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Budget 2024: चुनावी साल में अंतरिम बजट से क्या हैं उम्मीदें? बता रहे हैं एक्सपर्ट्स

Budget 2024 Expectations: इस बजट में युवा, महिलाएं, किसान से लेकर टैक्स भरने वाला आम आदमी फोकस में रह सकता है.

प्रतीक वाघमारे
बिजनेस
Published:
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Budget 2024: चुनावी साल में अंतरिम बजट से क्या हैं उम्मीदें? बता रहे हैं एक्सपर्ट्स

(फाइल फोटो)

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लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र सरकार 1 फरवरी को अपना अंतरिम बजट 2024 (Budget 2024) संसद में पेश करेगी. वित्त मंत्री निर्मला सितारमण (Nirmala Sitharaman) नई सरकार के चुनाव तक के लिए अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करेंगी. हालांकि, इस बजट में कोई बहुत बड़ी घोषणा की संभावना नहीं है, लेकिन कई सेक्टर्स और आम लोग अपनी-अपनी उम्मीदें लगाए बैठे हैं. क्विंट हिंदी ने कई एक्सपर्ट्स से बात की और उनकी बजट को लेकर उम्मीदों के बारे में जाना.

क्विंट हिंदी से बातचीत में फाइनेंशियल और लीगल एडवाइजरी फर्म कोहेरेंट एडवाइजर्स के लीड- बिजनेस एडवाइजरी - सर्वम गुप्ता ने कहा:

  • केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं. आगामी 2024 लोकसभा चुनावों के बाद नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश किया जाएगा. सामान्य तौर पर, चुनाव तक अगले कुछ महीनों के लिए वित्तीय रोडमैप की मंजूरी लेने के लिए अंतरिम बजट आता है. इसका प्राथमिक उद्देश्य सरकार को अर्थव्यवस्था के सुचारू कामकाज के लिए जरूरी वित्तीय खर्च जारी रखने में सक्षम बनाना है. बड़े या महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा आम तौर पर चुनाव के बाद पूर्ण बजट में की जाती है.

  • इसलिए, हमें इस अंतरिम बजट में बड़े टैक्स बदलाव की उम्मीद नहीं है. हालांकि, आम चुनावों को देखते हुए टैक्स को लेकर कुछ राहतों की घोषणा की जा सकती है.

  • कुछ अच्छी राहतों (डिडक्शन) को शामिल कर नई टैक्स व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाने का प्रयास किया जा सकता है. सरकार को नई टैक्स व्यवस्था में HRA छूट और सेक्शन 80सी डिडक्शन की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए.

  • बच्चों की शिक्षा पर भत्ते की वर्तमान छूट सीमा 100 रुपये प्रति बच्चा प्रति माह है, और बच्चों के हॉस्टल पर खर्च के भत्ते के लिए, यह 300 रुपये प्रति बच्चा प्रति माह है, जो छोटे परिवार में अधिकतम दो बच्चों पर लागू होता है. शिक्षा की बढ़ती लागत को देखते हुए इन सीमाओं में संशोधन की जरूरत है.

  • इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि टैक्सपेयर के लिए टैक्स रेट में कमी से उनकी सैलरी उनके हाथ में ज्यादा बच पाएगी. इसके अलावा, जीवन यापन की बढ़ती लागत और महंगाई को देखते हुए, सरकार को सेक्शन 80 सी के तहत छूट सीमा को 1.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.

क्विंट हिंदी से बातचीत में अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली ने बताया कि उन्हें बजट से क्या उम्मीद है:

  1. आने वाला बजट वोट ऑन अकाउंट होगा, लेकिन ये चुनाव से पहले आ रहा है इसलिए सरकार पूरी कोशिश करेगी कि समाज के ज्यादा से ज्यादा वर्गों तक लाभ पहुंचे. सरकार के चार-पांच चीजों पर ध्यान देने की संभावना है जिसका संकेत प्रधानमंत्री अपने भाषणों में पहले दे चुके हैं. युवा से संबंधित घोषणा की ज्यादा संभावना है, भारत में लगभग 65% आबादी 35 साल से कम है, इसलिए युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा या कुछ न कुछ सुनने को मिल सकता है.

  2. भारत में कोरोना के बाद से कुछ हद तक K शेप्ड ग्रोथ देखने को मिली, अमीर और अमीर हुआ, गरीब और गरीब, इसलिए जरूरी है कि गरीबों को लेकर कोई घोषणा हो.

  3. सरकार किसान पर भी ध्यान दे सकती है, फिलहाल किसान सम्मान निधि के तहत साल के 6 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, हो सकता है इस राशि को बढ़ा कर 12 हजार किया जा सकता है.

  4. भारत में लगभग 23% महिलाएं देश की आर्थिक गतिविधियों में योगदान देती हैं, तो महिलाओं को आगे लाने का कदम उठाया जा सकता है फिर वो आमदनी, महिला रोजगार या किसी अन्य विषय से संबंधित हो.

  5. टैक्स से संबंधित बात करें तो वित्त मंत्री पहले ही कह चुकी है कि इससे संबंधित कोई बड़ी घोषणा की संभावना नहीं है. लेकिन चुनाव से पहले का बजट है इसलिए संभावना है कि नई टैक्स व्यवस्था में छूट को 7 लाख की जगह 7.5 लाख किया जा सकता है. साथ ही नेशनल पेंशन व्यवस्था को टैक्स की नई रीजीम में शामिल किया जा सकता है क्योंकि सरकार नई टैक्स रीजीम को बढ़ावा देना चाहती है साथ ही नई टैक्स रीजीम में कोई रियायत नहीं होती है.

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क्विंट हिंदी से बातचीत में इंडिया के पहले लाइव पॉप्सिकल कॉन्सेप्ट और डेजर्ट कैफे स्कूजो आइस 'ओ' मैजिक के फाउंडर एंड डायरेक्टर गगन आनंद ने कहा:

  • नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में, हॉस्पिटैलिटी (खासकर QSR-क्विक सर्विस रेस्टोरेंट) सेक्टर लचीला है, फिर भी मौजूदा टैक्स ढांचा की असमानता के बोझ से दबा हुआ है. इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा उठाए बिना 5% जीएसटी लगाने से हमारे सेक्टर को जो प्रॉफिट मिलना चाहिए वो नहीं मिलता, जिससे ऐसी स्थिति पैदा होती है जहां बिजनेस और कस्टमर दोनों को खर्च का बोझ सहना पड़ता है.

  • रॉ मटेरियल से लेकर फिनिश्ड प्रोडक्ट और हमारे फिक्स खर्चे जैसे किराया, यूटिलिटी आदि तक, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर ईमानदारी से 18% जीएसटी चुकाता है लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं ले पाता है.

  • हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वो 5% जीएसटी के खिलाफ आईटीसी के फायदों को बढ़ाने की संभावना पर विचार करें. इससे न केवल इस सेक्टर पर वित्तीय दबाव कम होगा, बल्कि बिजनेस की क्षमता भी बढे़गी.

  • इस नए वित्तीय वर्ष में हम हॉस्पिटैलिटी सेक्टर और टैक्सेशन सिस्टम के बीच रिश्ते को अच्छा होते हुए देखना चाहते हैं.

क्विंट हिंदी से बातचीत में हेल्थ एंड वेलनेस स्टार्टअप आईथ्राइव (iThrive) के सीओओ अविनाश देशमुख ने कहा:

  • स्वस्थ समाज की खोज में, ऑल्टरनेटिव हेल्थकेयर सेक्टर की मांगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. आज के दौर में ऑल्टरनेटिव हेल्थकेयर सेक्टर पर 18% जीएसटी एक बड़ी बाधा बन रहा है. अगर इसमें ग्रोथ लानी है तो इसे 5% या जीरो टैक्स करना जरूरी है.

  • हेल्थ स्टार्टअप सेक्टर में, जो प्रिवेंटिव केयर और क्रोनिक डिजीज रिवर्सल हैं, उसे लेकर बैलेंस नहीं है. इस सेक्टर के कई प्रयासों के बावजूद, अस्पतालों को मिलने वाले फायदे इस सेक्टर को नहीं मिलते, जैसे कि घटी हुई बिजली दरें, प्रॉपर्टी टैक्स में छूट, जमीन अधिग्रहण में छूट और लोन संबंधित फायदे.

  • आयुष मंत्रालय ऑल्टरनेटिव हेल्थकेयर सेक्टर में पॉजिटिव योगदान देने में हमेशा पीछे रहता है. इन क्षेत्रों के सामने आने वाली कई समस्याओं का समाधान करने के लिए, एक बड़े परिवर्तन की जरूरत है. अगर इल सेक्टर के लिए एक अच्छा इकोसिस्टम तैयार करना है तो स्टेकहोल्डर से बात करना सबसे जरूरी है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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