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भारत के अब तक के सबसे बड़े आईपीओ (IPO) Paytm की पेरेंट कंपनी one97 कम्युनिकेशन की शेयर मार्केट में कमजोर शुरुआत हुई. Paytm के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई. पेटीएम का स्टॉक 18 नवंबर को 27.4% की कमजोरी के साथ ₹1560 पर बंद हुआ. paytm के काफी एक्सपेंसिव वैल्यूएशन के कारण शेयर में गिरावट देखने को मिली.
इश्यू प्राइस से देखें तो paytm का मार्केट वैल्यू 1.39 लाख करोड़ रुपये था. हालांकि लिस्टिंग के समय ही कंपनी का मार्केट वैल्यू 9.1% गिर गया. कारोबार के दौरान शेयर में बड़ी गिरावट देखने को मिली और अंत में 18 नवंबर को स्टॉक 27.4% की कमजोरी के साथ ₹1560 पर बंद हुआ. मतलब हर शेयर पर निवेशकों के ₹590 डूबे. इस हिसाब से देखें तो paytm में निवेशकों के कुल ₹37,500 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए.
पेटीएम के शेयर गुरुवार 18 नवंबर को पहली बार स्टॉक मार्केट में लिस्ट हुए. कंपनी ने मार्केट में कमजोर शुरुआत की. तय किए गए इश्यू प्राइस ₹2150 के मुकाबले पेटीएम का शेयर 9.1% के डिस्काउंट यानी ₹1955 पर लिस्ट हुआ.
फॉरेन ब्रोकरेज हॉउस मैक्वेरी ने वन 97 कम्युनिकेशंस (पेटीएम) को अंडरपरफॉर्म रेटिंग देते हुए, इश्यू प्राइस ₹2,150 रुपये की तुलना में ₹1,200 रुपये का लक्ष्य रखा है, जोकि इश्यू प्राइस से 44% संभावित गिरावट का सुझाव देता है.
संतोष मीणा, हेड ऑफ रिसर्च, स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट ने कहा कि, कंपनी के पास मजबूत ब्रांड पोजीशनिंग के साथ एक विशाल कंज्यूमर बेस है और डिजिटल भुगतान सेवाओं में सबसे पहले आने में कंपनी को फायदा है. हालांकि, ये अभी भी घाटे में चल रही कंपनी है और इसका वैल्यूएशन काफी ज्यादा प्रतीत होता है. इसलिए, हमने सब्सक्रिप्शन के मामले में एक कमजोर प्रतिक्रिया देखी.
Ansid कैपिटल के अनुराग सिंह ने बताया कि, पेटीएम ने ब्रोकरेज बाजार में कुछ खास नहीं किया. यहां तक कि वो बैंकिंग सेक्टर में भी सेंधमारी करने में नाकाम रही. वो पेमेंट के एक विकल्प के तौर पर ही सीमित है. पेटीएम ने लैंडिंग स्पेस में भी कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ा है.
ट्रेडिंगो के फाउंडर पार्थ न्याती का मानना है कि कंपनी घाटे में चल रही है और निकट भविष्य में भी इसके प्रॉफिट कमाने के कोई आसार नहीं हैं. उन्होंने सलाह दी है कि,
दरअसल पेटीएम लगातार घाटे में चल रही है. कंपनी को 2019-20 में कंपनी ने 2,943.32 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था और 2020-21 में कंसॉलिडेट घाटा 1,704 करोड़ रुपए का हुआ. इसके बाद कंपनी की तरफ से पैसे जुटाने के लिए आईपीओ निकाला गया. बाकी स्टार्टअप कंपनियों का भी यही हाल है. जिसमें प्रमोटर को तो खूब फायदा हुआ, लेकिन निवेशक कंगाल हुए हैं.
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