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Paytm IPO से पहले जान लीजिए टेक स्टार्टअप्स की हालत और क्या हैं जोखिम

"आईपीओ लॉन्च करने वाले स्टार्टअप्स आने वाले दो से तीन सालों में प्रॉफिट कमाने लगेंगे"

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8 नवंबर को पेटीएम (Paytm) अपना आईपीओ (IPO) लॉन्च कर रहा है, इससे पहले जोमेटो (Zomato), पॉलिसी बाजार और Nyakaa लॉन्च कर चुके हैं. ऐसे कई और भी टेक स्टार्ट अप्स हैं जो अपने आईपीओ को लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं.

इन आईपीओ को लेकर निवेशक उत्साहित रहते हैं. हर IPO कुछ घंटों में ही ओवर सब्सक्राइब हो जाता है. निवेशकों में आजकल की टेक स्टार्ट अप द्वारा लाए जा रहे आईपीओ पर खूब भरोसा है.

लेकिन वो कहते हैं 'इंवेस्टमेंट्स आर सब्जेक्ट टू मार्केट रिस्क' और हमारे बड़े-बुजुर्ग भी कह गए हैं कुछ भी चीज लेना मगर देखकर समझ कर ही लेना. इसलिए ये जानना जरूरी है कि आज कल की टेक स्टार्ट अप कंपनियों की स्थिति क्या है? वो आने वाले समय में कितना प्रॉफिट बनाने की क्षमता रखती है? तो चलिए समझते हैं.

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भारत में 40 हजार से ज्यादा स्टार्ट अप कंपनियां

2020-21में हुए इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार सरकार ने 23 दिसंबर, 2020 तक 41,061 स्टार्टअप को मान्यता दी है. इसमें से 39,000 से अधिक स्टार्टअप ने 4,70,000 नौकरियों की सूचना दी.

वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 38 कंपनियों का मूल्य $1 बिलियन से अधिक है जिसे यूनिकॉर्न बुलाया जाता है. 2020 में कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में खलबली के बावजूद लगभग 12 ऐसे स्टार्टअप और सामने आए.
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सर्वे में यह भी कहा गया कि आने वाले सालों में इन स्टार्टअप की संख्या में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है क्योंकि आए दिन टेक्नोलॉजी में हो रही प्रगति स्टार्टअप के आईडिया को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा रही है.

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घाटे में चल रहा है देश का बड़े से बड़ा स्टार्टअप

  • फ्लिपकार्ट (Flipkart)

वॉलमार्ट की ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 34,610 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया है - पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि.

इस वर्ष के दौरान कंपनी का घाटा 3,150 करोड़ रुपये रहा, जो 2018-19 में 3,837 करोड़ से 18 प्रतिशत कम हो गया.

  • जोमेटो (Zomato)

ऑन फूड ऑर्डर टेक स्टार्टअप कंपनी Zomato का वित्तीय वर्ष 2019-20 में 160.6 प्रतिशत घाटा बढ़ा है. वित्त वर्ष 2019 में घाटा 940 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,451 करोड़ रुपये हो गया. हालांकि इसके राजस्व में 98 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

  • ओला (Ola)

वित्त वर्ष 2020 में ओला का नेट लॉस 610 करोड़ रुपए था. वित्त वर्ष 2019 में ओला का कंसॉलिडेटेड लॉस 2,593 करोड़ था. कंपनी ने पहली बार 2021 में लगभग 90 करोड़ का ऑपरेटिंग प्रोफिट दर्ज किया है, हालांकि कंपनी का राजस्व 65 फीसदी कम भी हो गया.

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  • पेटीएम (Paytm)

कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पेटीएम को 2020-21 में कंसॉलिडेट घाटा 1,704 करोड़ रुपए का हुआ. वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में कंपनी ने 2,943.32 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था.

  • ओयो रूम्स (OYO)

कंपनी ने वित्त वर्ष के दौरान ₹ 241 करोड़ का नेट घाटा दर्ज किया है, लेकिन कंपनी ने कहा है कि फिलहाल और घाटे में रहने की आशंका है.

  • स्विगी (Swiggy)

ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी स्विगी जून 2018 के बाद से अरब डॉलर के क्लब में शामिल हो चुकी है. कंपनी की वैल्यू 3.3 बिलियन डॉलर है. कंपनी को वित्त वर्ष 2019 में 2,363 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है.

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इसके अलावा वित्त वर्ष 2019 के अनुसार बिग बास्केट को 572 करोड़, पॉलिसी बाजार 213 करोड़, ग्रोफर्स 448 करोड़ रुपयों का घटा दर्ज कर चुके हैं. आज भी यह सारी कंपनिया नुकसान में ही चल रही है. हालांकि इनके राजस्व में, कभी यूजर्स में बढ़ोतरी होती रहती है. जिससे ये कहा जा सकता है कि भविष्य में ये कंपनियां प्रोफिट मेंकिंग कंपनियां बन सकती है.

1997 में अमेज कंपनी ने पहली बार अपना आईपीओ लॉन्च किया और अगले साल ही कंपनी को घाटा हुआ था, तब कंपनी के प्रमुख जेफ बेजोज ने कहा था कि कंपनी को अभी और घाटा हो सकता है, कंपनी का फोकस लॉन्ग टर्म है.

ऐसे ही भारत की कई टेक स्टार्टअप कंपनी अपने निवेशकों से चाहती है कि वो लॉन्ग टर्म के हिसाब से निवेश करें. कई एक्सपर्ट्स अमेजन का उदाहरण देते हैं पर यह भी कहते हैं कि "हर कंपनी अमेजन नहीं हो सकती".

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टेक स्टार्टअप की स्थिति और उसमें निवेश को लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है?

फाइनेंशियल प्लानिंग फॉर चिल्ड्रन विथ स्पेशल नीड्ज के लेखक और सेबी रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट प्लानर जितेंद्र सोलंकी का कहना है, "इस तरह के स्टार्टअप में उन निवेशकों को निवेश करना चाहिए जो इस बिजनेस को गहनता से समझते हों और ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता रखते हों. किसी भी स्टार्ट अप का भविष्य आपको नहीं पता होता है और इसको समझना थोडा मुश्किल भी होता है. कूछ ही स्टार्टअप सर्वाइव कर पाते हैं और यही मुश्किल है निवेशकों के लिये. स्टार्टअप या तो बन्द हो जाते हैं या खरीद लिये जाते हैं. इसको भी समझना मुश्किल है.

धड़ल्ले से आ रहे आइपीओ में निवेश को लेकर जितेंद्र कहते हैं, "अभी बाजार अच्छा है तो सब स्टार्टअप अच्छे दिखेंगे लेकिन कौन सा सर्वाइव करेगा और कौन सी बेहतर कंपनी द्वारा खरीदा जाएगा ये आकलन मुश्किल है. किसी भी नए स्टार्टअप से बचें और जिसको कुछ साल बिजनेस करते हुए हो गए हों जैसे पेटीएम या फ्लिप्कार्ट उनमें ही निवेश करें."

'एज' जिसके अंतर्गत नौकरी डॉट कॉम है और अशोका यूनिवर्सिटी के को-फाउंडर संजीव भिखचंदानी ने ईटी को दिए एक इंटर्व्यू में कहा, "आईपीओ लॉन्च करने वाले स्टार्टअप्स अच्छी संख्या में है, जिनके डेटा की वह गोपनीयता रखते हैं, वो सब दो से तीन सालों में प्रॉफिट कमाने लगेंगी क्योंकि बाजार अगले पांच से 10 सालों तक घाटे में चल रही कंपनियों का समर्थन नहीं करेंगा".

कुल मिलाकर अधिकतर टेक स्टर्टअप के हालात ठीक तो नहीं है लेकिन बाजार और एक्सपर्ट्स उनके आईपीओ पर भरोसा जताते हैं क्योंकि उनका मानना है कि आने वाले सालों में इनमें से अधिकतर टेक स्टार्टअप फायदें में होंगे. क्योंकि आज ही इन कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर है, इनके पास यूजर्स है, एप पर ट्राफिक है. फिर भले ही ये सब घाटे में क्यों न हो.

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