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अमेरिका (US Fed) में महंगाई (Inflation) के चलते वहां की फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में वृद्धि कर रही है. माना जा रहा है कि ये वृद्धि अमेरिका फेड द्वारा सालभर तक की जाएगी ताकि 8 फीसदी तक पहुंच चुकी महंगाई को 2 फीसदी के नीचे लाया जा सके.
लेकिन अमेरिका में ब्याज दरों की वृद्धि के बीच ग्लोबल बाजार और भारतीय शेयर बाजार में उथल-पुथल क्यों हो रही है, भारतीय निवेशकों के लिए ये कितना चिंता का विषय है और वे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
हफ्तेभर पहले ही यूएस फेड ने ब्याज दरों में आधे प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. अमेरिका में मार्च 2022 में महंगाई 8.5% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, जो 1981 के बाद से सबसे अधिक है. इसी कारण से शेयर बाजार में गिरावट का दौर बना हुआ है. इसके अलावा मार्केट में गिरावट की वजह कोरोना के कारण चीन में लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग तो है ही.
यानि 22 साल में पहली बार 0.5 फीसदी की दर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है. अमेरिका में ये दरें अब बढ़कर अब 0.75%-1% पर पहुंच गई हैं. साधारण सी बात है कि ब्याज दरें बढ़ने से अमेरिका में कर्ज लेना मुश्किल हो जाएगा.
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट विशाल धवन ने क्विंट से बातचीत में कहा कि, "अमेरिका में रेट्स बढ़ गए हैं तो भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल लिया जाएगा जिससे की भारतीय बाजार में भारत के निवेशकों को लिए कम मौके होंगे."
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने क्विंट से बातचीत में समझाते हुए कहा कि, "यह स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं है. वर्तमान में कई देश महंगाई से जूझ रहे हैं. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की वजह से इसे और ज्यादा बल मिला है. ग्लोबल सप्लाय चेन पर दबाव बना हुआ है, जिसके कारण जरूरी सामान की कीमतों में वृद्धि हुई है."
वहीं विशाल धवन ने कहा कि, परेशान होने की जगह अपनी प्लानिंग को लॉन्ग टर्म के लिए रखिए. अगर आप निवेश करना ही चाहते हैं तो एसटीपी या एसआईपी (SIP) में निवेश करें. वो कहते हैं कि जो ये वैश्विक चिंता बनी हुई है इसे बांटने के लिए आपके पोर्टफोलियो में वेराइटी रखें यानि इंडियन इक्विटी और इंटरनेशनल इक्विटी दोनों में निवेश करके रखें.
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