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साल 2020 में, ज्यादातर साइंटिस्ट और एक्सपर्ट्स ने ये माना था कि नोवल कोरोना वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक तरीकों से हुई है. टॉप एक्सपर्ट्स, मीडिया और फैक्ट चेकर्स ने दूसरी थ्योरी के मुकाबले, इस थ्योरी पर यकीन किया था कि वायरस का जन्म प्राकृतिक कारणों से हुआ है. दूसरी थ्योरी थी कि दुनियाभर में तबाही मचा चुके इस कोरोना वायरस को लैब में इंसानों ने बनाया है.
मई 2021 तक, ‘प्राकृतिक तरीकों से उत्पत्ति’ को ही ज्यादा बल मिलता रहा, लेकिन पिछले कुछ महीनों से, इस संभावना के लिए समर्थन बढ़ रहा है कि कोविड-19 की उत्पत्ति आर्टिफिशियल तरीके से हुई है, और ये वुहान की लैब में बना है, जहां कोविड का पहला केस रिपोर्ट हुआ था.
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर हाल ही में ये चर्चाएं द वॉल स्ट्रीट जनरल (WSJ) की एक रिपोर्ट और अमेरिका के टॉप मेडिकल एक्सपर्ट डॉ एंथनी फाउची के बयान के बाद शुरू हुई है.
कोरोना वायरस को लेकर ये जानकारी इसलिए अहम है क्योंकि चीन ने बताया था कि कोविड का पहला केस 8 दिसंबर 2019 को रिपोर्ट किया गया था. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने WSJ की रिपोर्ट को “झूठ” बताया.
वहीं, कोविड को लेकर दुनिया की सबसे अहम आवाजों में से एक, यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के डायरेक्टर, डॉ एंथनी फाउची भी अब अपना रुख बदलते नजर आ रहे हैं. डॉ फाउची से हाल ही में सवाल किया गया था कि “क्या वो इस बात को लेकर कॉन्फिडेंट हैं कि कोविड की उत्पत्ति प्राकृतिक है?”, जिसके जवाब में डॉ फाउची ने कहा कि वो “आश्वस्त नहीं हैं.”
डॉ फाउची, चीन के साथ WHO की साझा स्टडी का जिक्र कर रहे थे, जिसमें यह संकेत दिया गया था कि अधिक संभावना है कि वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में किसी दूसरे जानवर के जरिए आया हो. स्टडी में कहा गया था कि वायरस के लैब से लीक होने की संभावना काफी कम है.
हालांकि, इसमें कहा गया है कि संक्रमण की उत्पत्ति में हुआनन सीफूड मार्केट की भूमिका या बाजार में संक्रमण कैसे फैला, इस बारे में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका.
लेकिन, साथ ही, WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम ने कहा था कि वुहान की वायरोलॉजी लैब की जांच ज्यादा आगे नहीं बढ़ी थी और वो नई जांच शुरू करने के लिए तैयार थे.
साल 2020 में, डॉ फाउची उन लोगों में शामिल थे जो इस बात को लेकर कॉन्फिडेंट थे कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक कारणों से हुई है.
मई 2020 में, नेशनल जियोग्राफिक से बात करते हुए, डॉ फाउची ने कहा था,
डॉ फाउची और WHO के अलावा, यूएस नेशनल इंटेलीजेंस डायरेक्टर के ऑफिस ने भी, 30 अप्रैल 2020 को एक बयान में कहा था कि वायरस इंसानों द्वारा नहीं बनाया गया है.
नेचर मेडिसिन में मार्च 2020 में पब्लिश हुए, शोधकर्ताओं के एक एनालिसिस में कहा गया था कि कोविड को ‘लैब में नहीं बनाया गया है’ या ‘वायरस में जानबूझक बदलाव नहीं किया गया है’. द लैंसेट में पब्लिश एक रिपोर्ट में भी, 27 गैर-चीनी वैज्ञानिकों ने वायरस के आर्टिफिशियल होने की संभावना को नकार दिया था.
कोरोना महामारी के आने के बाद, कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी में कहा गया है कि कोविड-19 को इंसानों ने बनाया है और इसे चीन की लैब में एक बायोवेपन की तरह तैयार किया गया है. ये थ्योरी इस फैक्ट पर आधारित थी कि कोविड के शुरुआती कई मरीजों को वुहान के एक मार्केट से लिंक किया गया था. वुहान में ही वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) लैब भी स्थित है. इस लैब में दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस पर शोध होता है.
PolitiFact के मुताबिक, ये थ्योरी गेन-ऑफ-फंक्शन हाईपोथीसिस से भी मिलती है- कि एक वायरस, जिसे वैज्ञानिकों ने ज्यादा घातक या संक्रामक बनाने के लिए छेड़छाड़ की, वुहान लैब से लीक हो गया.
लेकिन एक्सपर्ट्स का अभी भी कहना है कि इसकी संभावना काफी कम है.
CNN ने अपनी एक रिपोर्ट में, WHO के सलाहकार जेमी मेटजल के हवाले से बताया, कि जिस संभावना पर अब ज्यादा विचार किया जा रहा है, वो ये है कि साइंटिस्ट वैक्सीन डेवलप करने के इरादे से वायरस को ‘स्टडी’ कर रहे थे, जब वो लैब से लीक हो गया.
ये लीक अनजाने में हो सकता है, जिसके बाद चीन ने इसे छिपाने की कोशिश की.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वुहान लैब में शोधकर्ता प्राकृतिक रूप से नहीं बनने वाले वायरस बनाने के लिए बैट कोरोना वायरस पर रिवर्स जेनेटिक्स का उपयोग कर रहे थे.
यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिलवेनिया पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंफेक्शियस डिजीज के एक्सपर्ट, डॉ पॉल ऑफिट ने CNN को बताया कि इसकी संभावना कम है कि वुहान लैब ने वायरस को और संक्रामक बनाने के लिए उससे छेड़छाड़ की हो, और इसके लिए और जानकारी की जरूरत है.
जहां दुनिया तेजी से इस मामले की खुली और निष्पक्ष जांच चाहती है, वहीं चीन इस प्रयास में बाधाएं पैदा कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, WHO की जांच के दौरान, चीन ने कुछ कोविड मामलों पर अहमडेटा को टीम को सौंपने से इनकार कर दिया.
इसके अलावा, अपनी रिपोर्ट में लैब लीक थ्योरी पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर वैज्ञानिकों ने WHO की आलोचना की है.
वायरस प्राकृतिक तरीके से उत्पन्न हुआ या ये लैब से लीक हुआ? अभी तक इन दोनों ही दावों के समर्थन में ज्यादा सबूत नहीं है.
महामारी में डेढ़ साल गुजरने के बाद भी, हमें वायरस की उत्पत्ति के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है.
(CNN और PolitiFact के इनपुट्स के साथ)
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