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"ऑक्सीजन की किल्लत की समस्या अगले कुछ सप्ताहों में खत्म हो जाएगी परंतु अगली हेड लाइन होगी "नर्सों-डॉक्टरों के अभाव में कोविड ICU में मरते मरीज".यह होगा ही और मुझे इसमें कोई शंका नहीं है"
डॉ शेट्टी ने कहा कि अभी हर दिन 3 लाख से ज्यादा लोग जांच में कोरोना संक्रमित पाए जा रहे रहे हैं, लेकिन साथ ही उससे 5 -10 गुना ज्यादा लोग ,जो संक्रमित हैं ,उनकी जांच ही नहीं हो रही है .यानी हर दिन कम से कम 15 से 20 लाख लोग संक्रमित हो रहे हैं.
इसके अलावा वर्तमान में उपलब्ध डॉक्टर, नर्सों और पैरामेडिकल वर्कफोर्स पिछले लहर में ही थक चुके हैं और बड़ी संख्या में खुद संक्रमित हो चुके हैं .डॉ शेट्टी ने कहा कि मरीज का इलाज ICU बेड्स नहीं करते बल्कि उसके लिए नर्स ,डॉक्टर और पैरामेडिकल वर्कफोर्स की जरूरत होती है.
डॉ. शेट्टी ने कहा कि हम कितना भी बोलते रहें कि हम भारतीय जेनेटिकली इम्यून हैं, BCG वैक्सीन के कारण हमारे अंदर कमाल की इम्युनिटी है, लेकिन करोना ने भारतीयों और अमेरिकियों में कोई अंतर नहीं किया.
सिर्फ ICU बेड जोड़ना ही काफी नहीं है. हमें अगले कुछ सप्ताह में दो लाख नर्स और डेढ़ लाख डॉक्टरों की जरूरत होगी, जो अगले 1 साल कोविड ICU में मरीजों की देखभाल करें". उन्होंने आंकड़ा देते हुए बताया कि कोविड के पहले ही पूरे देश के सरकारी अस्पतालों में 78% मेडिकल विशेषज्ञों की कमी थी. उनके अनुसार करोना की दूसरी लहर अगले 4-5 महीने चलेगी और हमें अपने आप को तीसरे लहर के लिए तैयार करना होगा.
डॉक्टर शेट्टी ने कहा कि " विश्व में अगर कोई देश है जो चंद हफ्तों में इतने बड़े वर्कफोर्स को प्रोड्यूस कर सकता है तो वह भारत है"
उन्होंने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य मंत्रालय, इंडियन नर्सिंग काउंसिल के साथ मिलकर तुरंत इन 2,20000 नर्सिंग ग्रेजुएट को अगले 1 साल के लिए कोविड ICU में नियुक्त करें और साल के अंत में ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दे. इसके साथ ही भविष्य में आने वाले सरकारी नर्स की वैकेंसी में इन्हें प्राथमिकता दी जाए.
डॉ. शेट्टी ने बताया कि वर्तमान में 1.3 लाख युवा डॉक्टर है जो अभी कोविड ICU में काम नहीं कर रहे हैं बल्कि PG कोर्स में दाखिले के लिए NEET एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं, जहां सिर्फ 35000 सीटें हैं .उन्होंने सुझाव दिया कि तुरंत ऑनलाइन NEET एग्जाम लिया जाए और रिजल्ट चंद दिनों के अंदर प्रकाशित कर दिया जाए .35000 डॉक्टरों के PG में एडमिशन के बाद भी हमारे पास एक लाख युवा डॉक्टर बचेंगे जिन्हें अगले साल के PG एडमिशन एग्जाम में ग्रेस मार्क्स दिया जाए, बशर्ते कि वें 1 साल कोविड ICU में काम करें.
तीसरा सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि अभी देश में 90 हजार से एक लाख ऐसे डॉक्टर हैं जो ओवरसीज यूनिवर्सिटी से पासआउट है, लेकिन नेशनल एंट्रेंस एग्जाम (NEET) पास नहीं कर पाए हैं. उनमें से 20 हजार प्रतिभाशाली डॉक्टरों की पहचान की जाए और उन्हें अगले 1 साल कोविड ICU में काम करने के बदले परमानेंट रजिस्ट्रेशन दिया जाए
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