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कोरोना पर रामदेव के पहले ही झूठ पर एक्शन होता तो ये नौबत न आती

रामदेव सरसों के तेल से कोरोना का इलाज, कोरोनिल को WHO का अप्रूवल जैसे झूठ बोलते रहे और सरकार चुप रही

Siddharth Sarathe
कोरोनावायरस
Updated:
झूठे दावे करने वाले रामदेव ने कोरोना से होने वाली मौतौं का जिम्मेदार डॉक्टरों को बताया है
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झूठे दावे करने वाले रामदेव ने कोरोना से होने वाली मौतौं का जिम्मेदार डॉक्टरों को बताया है
फोटो : Altered by Quint

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योग गुरू रामदेव ने देश में कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों का जिम्मेदार एलोपैथी के डॉक्टरों को बताया है. एक वीडियो में रामदेव ये दावा करते दिख रहे हैं कि जितने लोग ऑक्सीजन, बेड की कमी से नहीं मरे, उससे कहीं ज्यादा एलोपैथी की दवाई खाने से मरे हैं.

बयान के बाद हुई चौतरफा आलोचना और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के ‘आग्रह’ के बाद पतंजलि और खुद रामदेव ने अपने बयान पर सफाई दी है. लेकिन, ये पहला मौका नहीं है जब रामदेव ने कोई ऐसा बयान दिया है जिससे पहले ही महामारी से जूझ रही जनता और भ्रमित हो जाए. रामदेव के बेबनुनियाद दावे पर स्वास्थ्य मंत्रालय की नींद खुलने का ये पहला मामला है.

इससे पहले रामदेव कोरोना के ऐसे इलाज बता चुके हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, सरकार चुप रही. यहां तक की स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में रामदेव ये झूठ बोल चुके हैं कि पतंजलि कि कोरोनिल को WHO का अप्रूवल मिला है. एक नजर में याद कीजिए रामदेव के वो बेबुनियाद बयान ,कोरोना के इलाज के नाम पर बताए गए वो अवैज्ञानिक नुस्खे, जिनपर न तो सरकार ने एक्शन लिया, न बयान वापस लेने का ‘आग्रह’ किया.

कोरोना की पहली लहर में सरसों के तेल से संक्रमण खत्म कर रहे थे रामदेव

पिछले साल अप्रैल में जब कोरोना संक्रमण रोकने के लिए देश भर में सख्त लॉकडाउन लगाया गया था. प्रवासी मजदूर बिना रोजगार के कहीं भूख से न मर जाएं, इस डर से पैदल ही हजारों किलोमीटर अपने घर की तरफ निकल पड़े थे. तब रामदेव एक न्यूज चैनल पर ये दावा कर रहे थे कि नाक में सरसों का तेल डालने से कोरोना संक्रमण खत्म हो जाता है.

25 अप्रैल को 'ई-एजेंडा आज तक' के एक स्पेशल सेशन में रामदेव शामिल हुए, जहां उन्होंने लोगों को लॉकडाउन के दौरान कुछ एक्सरसाइज और प्रैक्टिस करने को कहा, जिससे उन्हें फायदा होगा. रामदेव ने कहा

अगर कोई शख्स सरसों का तेल नाक में डालता है, तो पूरे रेसपिरेटरी ट्रैक में कोरोना वायरस होगा तो वो पेट में चला जाएगा और पेट में एसिड कोरोना को खत्म कर देगा.रामदेव ने दावा किया कि पेट में मौजूद ‘नेचुरल केमिकल’ वायरस को ‘मार’ देंगे, जैसे साबुन, हैंडवॉश या हैंड सैनेटाइजर उसे खत्म कर देते हैं.

क्विंट की वेबकूफ टीम से बातचीत में दिल्ली के इंद्रप्रस्थ्य अपोलो अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन फिजिशियन, डॉ सुरंजीत चटर्जी ने इन दावों को निराधार बताया था.

इस प्रभाव के लिए मुझे कोई मेडिकल एविडेंस नहीं दिखता. अमेरिका और यूके में भी, एल्कोहल से लेकर विटामिन सी लेने पर चर्चा हो रही है, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं है. अगर मैं सबूत-आधारित दवा की बात करूं, तो इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अगर आप अपनी नाक के माध्यम से सरसों का तेल डालते हैं, तो वायरस पेट में जाएगा और मर जाएगा. अभी तक ये साबित करने के लिए कोई मेडिकल सबूत नहीं है.
मई, 2020 में क्विंट से बातचीत में डॉ. सुरंजीत चटर्जी
कोरोना के इलाज को लेकर ये रामदेव का पहला दावा था. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इसे पूरी तरह बेबुनियाद बताया. लेकिन भारत सरकार या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कोई एक्शन तो दूर एक प्रतिक्रिया तक नहीं आई. जरा सोचिए जिन लोगों ने सरसों के तेल को नाक में डालने वाले नुस्खे को कोरोना का सही इलाज मान लिया होगा, वे आज किस हाल में होंगे, कहां होंगे? होंगे भी या नहीं?

बिना सरकारी अनुमति के दावा - हमने बना ली कोरोना की दवा

सरसों के तेल से कोरोना के इलाज का झूठा दावा करने के बाद रामदेव ने 23 जून, 2020 को पतंजलि के ब्रांड वाली ‘कोरोनिल’ लॉन्च की. दावा किया कि ये दवा कोरोना के इलाज में कारगर है. बता दें कि रामदेव ने ये दवा बिना आयुष मंत्रालय की अनुमति के ही लॉन्च कर दी थी.

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से ट्रायल्स का हिसाब मांगा और अनुमति न लेने पर फटकार भी लगाई. इसके बाद रामदेव और पतंजलि पर क्या एक्शन हुआ? कुछ नहीं, बल्कि बाद में सरकार ने कोरोनिल को ‘कोविड मैनेजमेंट ड्रग’ के रूप में मान्यता दे दी.

कोरोनिल की लॉन्चिंग के वक्त किसी ने रामदेव से सवाल नहीं पूछा कि आप तो सरसों के तेल से कोरोना का इलाज कर रहे थे? फिर इस दवा की जरूरत क्यों पड़ी? आप तब झूठ बोल रहे थे या आज झूठ बोल रहे हैं?
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जब स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में रामदेव ने झूठ बोला

रामदेव कोरोनिल की लॉन्चिंग पर नहीं रुके. 19 फरवरी, 2021 में रामदेव ने केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और नितिन गडकरी की मौजूदगी में ‘कोरोनिल’ की री-लॉन्चिंग की. री-लॉन्चिंग के कार्यक्रम में रामदेव ने ये दावा कर दिया कि कोरोनिल को WHO का अप्रूवल मिला है. रीलॉन्चिंग के कार्यक्रम में पीछे लगे बैनर को देखिए और पतंजलि के इस ट्वीट को देखिए.

सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

पहले WHO के अप्रूवल का झूठ बोला फिर यूटर्न लिया. पतंजलि के ट्विटर हैंडल से वो ट्वीट डिलीट हो गया, जिसमें WHO के अप्रूवल का दावा था.लेकिन इसका अर्काइव क्विंट की वेबकूफ टीम के पास मौजूद है. बाद में पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने ही सफाई दे दी कि सर्टिफिकेट WHO नहीं भारत सरकार ने दिया है.

सवाल ये है कि कोरोनिल की रीलॉन्चिंग में रामदेव और पतंजलि का उत्साहवर्धन कर रहे केंद्रीय मंत्रियों ने उनके झूठ पर कोई ऐतराज क्यों नहीं किया? एक्शन तो दूर पतंजलि से एक स्पष्टीकरण तक नहीं मांगा गया.

ऑक्सीजन की कमी से मर रहे लोगों का मजाक उड़़ता रहा और सरकार चुप थी

कोरोना की दूसरी लहर में जब ऑक्सीजन. बेड और वेंटीलेटर की कमी से लोग मर रहे थे तब रामदेव मरने वालों का मजाक उड़ा रहे थे. रामदेव का कहना था कि जब ऊपर वाले ने इतनी ऑक्सीजन दे रखी है तो लोग क्यों मर रहे हैं. यहां तक कह दिया कि ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटकने वालों ने माहौल में नकारात्मकता फैला रखी है. रामदेव का एक वीडियो सामने आया जिसमें वे कह रहे थे

“भगवान ने मुफ्त में ऑक्सीजन दे रखा है. ऑक्सीजन की कमी पड़ रही है... भगवान ने सारा ब्रह्मांड भर रखा है ऑक्सीजन से. ले तो ले बावले.”

रामदेव के इस बेतुके बयान पर भी सरकार ने वही किया जिसकी उम्मीद की जा सकती है - ‘चुप्पी’.

क्या सरकार की चुप्पी से ही मिला झूठ बोलने का बढ़ावा?

रामदेव के बेबुनियाद दावों पर बेतुके बयानों पर सरकार की चुप्पी का ही ये नतीजा क्यों न माना जाए कि आज रामदेव अपने पिछले झूठे दावों पर जवाब देने की बजाए एलोपैथ के उन डॉक्टर्स को लोगों की मौत का जिम्मेदार बता रहे हैं जो दिन रात लोगों की जान बचाने में खुद की जान खतरे में डाले हुए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से माफी का आग्रह भी यूं ही नहीं किया गया. नींद तब खुली जब डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने रामदेव के बयान के बाद कड़ा रुख अपनाया. सरकार से मांग की कि या तो आप रामदेव के आरोपों को सही कहें या फिर रामदेव पर एक्शन लें. डॉक्टरों के इस संगठन ने रामदेव को लीगल नोटिस भी भेजा है. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने रामदेव से बयान वापस लेने की गुजारिश की.

यानी सरकार से मांग की गई थी रामदेव पर एक्शन की. सरकार का एक्शन था रामदेव से अपना बयान वापस लेने का आग्रह. अपने पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा.

“आपका ये कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों कोरोना मरीजों की मौत एलोपैथी दवाई खाने से हुई. आप इस तथ्य से भली-भांति परिचित हैं कि कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में भारत सहित पूरे विश्व के असंख्य डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जानें न्यौछावर की हैं. ऐसे में, आप के द्वारा कोरोना के इलाज में एलोपैथी चिकित्सा को ‘तमाशा’, ‘बेकार’ और ‘दिवालिया’ बताना दुर्भाग्यपूर्ण है.”

स्वास्थ्य मंत्री ने अपने पत्र में रामदेव को एलोपैथी की कई दवाइयों और टीकों की देन गिनाई. डॉ हर्षवर्धन ने लिखा, “आपको पता होना चाहिए कि चेचक, पोलियो, इबोला, सार्स और टीबी जैसे गंभीर रोगों का निदान एलोपैथी ने ही दिया है. आज कोरोना के खिलाफ वैक्सीन एक अहम हथियार साबित हो रहा है, ये भी एलोपैथी की ही देन है.”

क्या रामदेव पर एक्शन होगा?

एलोपैथ के डॉक्टरों को कोरोना मरीजों का मर्डरर बताने के बाद भी रामदेव को लेकर सरकार के गुजारिश वाले मोड से ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि उनपर कितना एक्शन होगा. इस सवाल का सही जवाब तो उन सरकारों के पास ही है जिन्हें ऑक्सीजन की कमी पर SOS पैनिक फैलाना लगता है. जिन्हें लगता है कि लोगों तक ऑक्सीजन और दवाई पहुंचाने वाले, ऑक्सीजन की कमी पर बात करने वाले गिरफ्तार होने चाहिए.

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Published: 24 May 2021,10:11 PM IST

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