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यूपी: ऑक्सीजन मॉक ड्रिल करने वाले पारस अस्पताल का लाइसेंस रद्द

कोरोना के गंभीर मरीजों की पहचान के लिए हुई थी ऑक्सीजन मॉक ड्रिल

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कोरोना के गंभीर मरीजों की पहचान के लिए ऑक्सीजन मॉक ड्रिल
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कोरोना के गंभीर मरीजों की पहचान के लिए ऑक्सीजन मॉक ड्रिल
(फोटो: Screengrab)

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वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित पारस हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. साथ ही महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. ये वही अस्पताल है, जिसके मालिक का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वो ऑक्सीजन की कमी के बीच मरीजों की पहचान के लिए मॉक ड्रिल की बात कर रहा था. इस मॉक ड्रिल के तहत 5 मिनट तक ऑक्सीजन सप्लाई रोकने के आरोप हैं.

हॉस्पिटल को सील करने की तैयारी

अस्पताल मालिक का वीडियो सामने आने के बाद अब यूपी सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. इससे पहले इस मामले में जांच की बात कही गई थी. लेकिन अब लाइसेंस रद्द किए जाने के अलावा हॉस्पिटल को सील भी किया जा रहा है.

इतना ही नहीं पारस हॉस्पिटल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को आगरा के ‘कैलाश सत्यार्थी’ कहे जाने वाले नरेश कुमार पारस ने एक चिट्ठी लिखी. जिसके बाद अब इस मानवाधिकार आयोग ने भी मामला दर्ज कर लिया है.
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22 मरीजों की मौत के दावे को डीएम ने किया खारिज

आगरा के पारस हॉस्पिटल पर आरोप है कि उसने मॉक ड्रिल के नाम पर कई कोरोना मरीजों और बाकी गंभीर मरीजों की जान खतरे में डाली. आरोप ये भी था कि ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने के बाद करीब 22 लोगों की इस अस्पताल में मौत हुई.

हालांकि आगरा डीएम ने साफ किया है कि 22 लोगों की मौत की बात निराधार है. साथ ही उन्होंने ऑक्सीजन से मौत होने की बात से भी इनकार कर दिया. फिलहाल आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि 26 और 27 अप्रैल को अस्पताल में कुल 7 लोगों की मौत हुई थी.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल जब अप्रैल में कोरोना की दूसरी वेव आई तो देशभर में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिली. इसी दौरान आगरा के पारस हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन की कमी थी. जिसके चलते अस्पताल ने गंभीर मरीजों की पहचान के लिए एक मॉक ड्रिल करने का फैसला किया. जिसमें कथित तौर पर 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद की जानी थी. वायरल वीडियो में अस्पताल मालिक खुद बता रहा है कि इस मॉक ड्रिल के बाद 22 मरीजों की पहचान की गई.

हालांकि इस पूरी घटना का वीडियो अब जाकर सामने आया. जिसे लेकर अस्पताल मालिक ने कहा कि, मॉक ड्रिल सिर्फ मरीजों की पहचान करने के लिए हुई थी. इस दौरान ऑक्सीजन बंद नहीं किया गया था.

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Published: 09 Jun 2021,10:36 AM IST

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