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जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की कोविड वैक्सीन- ZyCoV-D को भारत में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. ये भारत में मंजूरी पानी वाली पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है, जिसका इस्तेमाल 12 साल से ऊपर के सभी लोगों पर किया जा सकता है.
ZyCoV-D, अहमदाबाद स्थित भारतीय दवा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) ने विकसित की है.
जायडस कैडिला वैक्सीन की मंजूरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ी उपलब्धि बताया है. पीएम ने ट्वीट में लिखा, "जायडस कैडिला की दुनिया के पहली DNA-आधारित वैक्सीन ZyCov-D को मंजूरी भारत के वैज्ञानिकों के उत्साह का प्रमाण है. वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि."
जायडस का दावा है कि लक्षण वाले कोविड केस में वैक्सीन 66.6 फीसदी प्रभावी है और मॉडरेट बीमारी में 100 फीसदी असरदार. कंपनी कहती है कि वैक्सीन 12 से 18 साल के बच्चों के लिए भी सुरक्षित है.
कंपनी ने कहा, "ZyCoV-D ने फेज तीन ट्रायल में 28,000 से ज्यादा लोगों में सुरक्षा और प्रभाव दिखाया. इनमें से 1000 वॉलंटियर 12-18 आयु समूह के थे."
ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है. DNA (और RNA) वैक्सीन— 1990 के दशक में पहली बार विकसित अपेक्षाकृत एक नई टेक्नोलॉजी है, जिसमें पारंपरिक वैक्सीन की तरह पैथोजन के एक कमजोर रूप का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
इसके बजाए इस तरह की वैक्सीन वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल कर काम करती है. प्लास्मिड वेक्टर को कोशिकाओं में डाला जाता है और फिर इसे न्यूक्लियस में रोपित कर दिया जाता है. इसे दूसरे मैसेंजर आरएनए (mRNA) मॉलीक्यूल में ट्रांसफर कर दिया जाता है, जो कोशिका के माध्यम से इम्यून प्रतिक्रिया करता है.
सैद्धांतिक रूप से DNA वैक्सीन mRNA वैक्सीन जैसे ही नतीजे देती हैं, और इसलिए जायडस वैक्सीन का असर भी मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन सहित बाजार में पहले से मौजूद दूसरी mRNA वैक्सीन जैसा ही होने की संभावना है
ZyCoV-D वैक्सीन के तीन डोज लगाए जाएंगे. अभी तक भारत में मंजूर की गईं सभी वैक्सीन के दो डोज दिए जाते हैं.
इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जाता है. हालांकि, कंपनी का कहना है कि 25 डिग्री पर भी कम से कम तीन महीने तक अच्छी स्थिरता देखी गई है. इसलिए वैक्सीन का ट्रांसपोर्ट आसान हो सकता है.
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