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बिहार चुनाव (Bihar Election 2020) से पहले बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) यानी जेपी नड्डा मिशन बिहार पर निकल चुके हैं. वही बिहार जहां उनका जन्म हुआ, जहां से उन्होंने छात्र राजनीति के जरिए सियासत की दुनिया में कदम रखा.
चुनावी माहौल में ये उनकी पहली बिहार यात्रा है. ऐसे में माना जा रहा है कि ये दौरा सीटों के बंटवारे के लिए काफी अहम है. बिहार चुनाव भले ही बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी जैसी पार्टियों के लिए नाक का सवाल हो, लेकिन जेपी नड्डा परीक्षा है.
दरअसल, जनवरी 2020 में जेपी नड्डा ने बीजेपी (BJP) की कमान संभाली है और अध्यक्ष बनने के बाद उनका ये दूसरा चुनाव है. इससे पहले अध्यक्ष बनने के बाद जेपी नड्डा की पार्टी को बुरी तरह से दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन अब उस हार से बाहर निकलने का मौका है.
बिहार चुनाव की परीक्षा के लिए जेपी नड्डा जमकर मेहनत कर रहे हैं. चुनाव को देखते हुए अभी हाल ही में नड्डा ने वर्चुअल माध्यम के जरिए बिहार BJP की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी वर्कर को जनता तक पहुंचने का रास्ता बताया था. जिसमें उन्होंने -
बिहार विधानसभा चुनाव को अब बस कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन अब तक सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में कोई सहमती बनती नहीं दिख रही है. रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और जेडीयू के बीच घमासान जारी है. दोनों एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की धमकी भी दे चुके हैं.
ये तो हुई टिकट से लेकर सहयोगियों को मनाने की बातें, लेकिन इसके अलावा जनता में भी सरकार के खिलाफ नाराजगी दिख रही है. बेरोजगारी, बाढ़, कोरोना, लॉकडाउन की वजह से लाखों मजदूरों का पलायन जैसे अहम मुद्दे भी बीजेपी के लिए महंगे जूते में कंकड़ का काम कर सकते हैं.
सोशल मीडिया पर लगातार युवा #बिहार_सरकार_रोजगार_दो जैसे ट्रेंड चला रहे हैं. 15 सालों में सिर्फ 20 महीने अगर हटा दें तो बिहार में बीजेपी-जेडीयू की सरकार रही है, ऐसे में बेरोजगारी और बिगड़ता हेल्थ सिस्टम भी विपक्ष के रडार पर है. ऐसे में इन मुद्दों को भी हैंडल करना पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए बड़ी चुनौती होगी.
जेपी नड्डा के लिए 'अध्यक्ष' पद काफी कांटों भरे ताज सा रहा है. अध्यक्ष बनने से पहले जेपी नड्डा बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष थे. तब उस वक्त झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए थे. बीजेपी सत्ता में रहते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन से चुनाव हार गई थी. यही नहीं महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ बरसों पुराना गठबंधन भी टूटा और वहां एनसीपी, कांग्रेस, शिवसेना ने सरकार भी बनाई.
इसके अलावा हरियाणा में बीजेपी की खट्टर सरकार भी मुश्किल से वापसी कर सकी, और चौटाला ब्रदर्स की जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनी. इन सब चीजों को समझने के बाद एक बात तो साफ है नड्डा भी बिहार में जीत के साथ अपने ट्रैक रिकॉर्ड को बेहतर जरूर करना चाहेंगे.
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