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गोरखपुर से BJP का रवि किशन पर दांव, योगी का गढ़ बचाने की चुनौती

समझिए- गोरखपुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

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गोरखपुर से BJP का रविकिशन पर दांव, योगी का गढ़ बचाने की चुनौती
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गोरखपुर से BJP का रविकिशन पर दांव, योगी का गढ़ बचाने की चुनौती
(फोटोः PTI)

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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की आठ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. इनमें सबसे महत्वपूर्व सीट है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ कही जाने वाली गोरखपुर लोकसभा सीट. बीजेपी ने इस सीट पर एक बार फिर ब्राह्मण दांव खेला है. बीजेपी ने भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन को उम्मीदवार बनाया है.

गोरखपुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार को लेकर पार्टी में लंबे समय से माथापच्ची चल रही थी. माना जा रहा था कि पार्टी गोरखपुर के मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद को अपना उम्मीदवार बना सकती, लेकिन पार्टी ने उन्हें संतकबीर नगर सीट से उम्मीदवार बनाया है. प्रवीण निषाद हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे.

प्रवीण निषाद ने यूपी में रोका था BJP का विजय रथ

फूलपुर और गोरखपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी. हार इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि इन दोनों ही सीटों पर सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. लेकिन विपक्ष ने ऐसी व्यूह रचना की, जिसमें दोनों दिग्गज फंस गए. कहा जाता है कि इस जीत ने विपक्ष को यूपी के अंदर फिर से खड़ा होने का हौसला दिया.

बीजेपी के खिलाफ एसपी-बीएसपी करीब आए और यूपी में देखते ही देखते बाजी पलट दी. खासतौर से दो दशक से अजेय रहने वाली गोरखपुर सीट पर बीजेपी की हार ने विपक्ष का रुतबा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया. योगी के लिए यह हार किसी सदमे से कम नहीं थी. विधानसभा की हाहाकारी जीत, उपचुनाव की हार में खो गई. या यूं कहें कि जीत की चमक फीकी पड़ गई. दूसरी ओर गोरखपुर में जीत के साथ ही निषाद पार्टी रातों रात सियासी फलक पर छा गई.

योगी के सामने ‘गढ़’ बचाने की चुनौती

जानकार बताते हैं कि गोरखपुर में अपने किले को बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ बेहद परेशान हैं. एसपी-बीएसपी से वह जैसे-तैसे निपट लेंगे लेकिन गोरखपुर के चुनाव में अहम रोल अदा करने वाले निषादों से पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा.

मगर सियासी दांवपेंच के माहिर खिलाड़ी बन चुके योगी आदित्यनाथ ने मजबूत दांव खेला और जो निषाद पार्टी, समाजवादी पार्टी के साथ बैठक पर बैठक कर रही थी, वो अचानक बीजेपी के पाले में आ गई.

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रवि किशन के रूप में BJP की ब्राह्मण चेहरे की तलाश पूरी

गोरखपुर में निषादों के बाद दूसरे नम्बर पर ब्राह्मण वोटर है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन ने इस बार निषाद समाज से ताल्लुक रखने वाले रामभुआल निषाद को गोरखपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में बीजेपी के सामने रणनीतिक तौर पर गोरखपुर सीट से किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारने का ही विकल्प बचा था.

बीजेपी ने गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में उपेन्द्र दत्त शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा था, हालांकि उन्हें गठबंधन के उम्मीदवार प्रवीण निषाद से शिकस्त मिली थी.  

बीजेपी ने रवि किशन को उम्मीदवार बनाकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं. एक तो रविकिशन ब्राह्मण समाज से ताल्लुक रखते हैं. दूसरा वह भोजपुरी सिनेमा के बड़े सितारे हैं. बीजेपी को उम्मीद है कि रविकिशन को मैदान में उतारने से पार्टी को एकजुट ब्राह्मण वोट मिलेगा और पार्टी को रविकिशन के सेलेब्रिटी होने का फायदा भी मिलेगा.

रविकिशन 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट से चुनाव लड़ाया था लेकिन उन्हें यहां जीत हासिल नहीं हो सकी. रविकिशन को केवल 4 फीसदी वोट हासिल हुए थे. इसके बाद रवि किशन ने कांग्रेस छोड़ दी और फरवरी 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए.

गोरखपुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

गोरखपुर संसदीय सीट पर करीब 19.5 लाख मतदाता (2011 की जनगणना के मुताबिक) हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा निषाद समुदाय के वोटर हैं. गोरखपुर सीट पर करीब 3.5 लाख वोट निषाद जाति के लोगों का है. उसके बाद यादव और दलित मतदाताओं की संख्या है. दो लाख के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं.

रवि किशन के सिनेमा से सियासत तक के सफर पर एक नजर

  • रवि किशन की सियासी पारी की शुरुआत लोकसभा चुनाव 2014 में ही हो गई थी. 2014 में कांग्रेस की टिकट पर अपने गृह जनपद जौनपुर से चुनाव लड़ा. हालांकि, वह हार गए थे.
  • बॉलीवुड फिल्मों से असफल होकर भोजपुरी फिल्मों का रुख करने वाले रवि किशन भोजपुरी सिनेमा के स्टार एक्टर माने जाते हैं
  • रवि किशन को भोजपुरी सिनेमा का सबसे महंगा एक्टर माना जाता है

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Published: 15 Apr 2019,05:55 PM IST

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