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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने प्रधानमंत्री पद को लेकर अपनी दबी हुई महत्वाकांक्षाओं को आखिरकार इशारों-इशारों में जाहिर कर ही दिया. मायावती ने विशाखापत्तनम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर उन्हें मौका मिला तो वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें जो अनुभव मिला है, उसका इस्तेमाल केंद्र में बेहतर सरकार चलाने में करेंगी.
उन्होंने कहा कि वह चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
जब मायावती से ये सवाल किया गया कि क्या वह अगली प्रधानमंत्री बनना चाहेंगी. इस पर उन्होंने कहा कि 23 मई को आम चुनावों के रिजल्ट आने के बाद ही चीजें साफ हो पाएंगी.
मायावती ने इस बात पर भी जोर दिया कि वोट शेयर के मामले में बीएसपी साल 2014 के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
थर्ड फ्रंट’ के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर चुनाव नतीजे सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
मायावती ने बीजेपी पर साल 2014 के चुनावी वादों से जनता का ध्यान भटकाने का भी आरोप लगाया.
मायावती ने कहा कि कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही, लेकिन उन्होंने वादे पूरे नहीं किए, इसलिए जनता ने उन्हें खारिज कर दिया और बीजेपी ने इसका फायदा उठा लिया.
उन्होंने कहा कि बीएसपी हमेशा से ही कम बोलने में और ज्यादा करने में विश्वास रखती है.
उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो वह किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करेगी.
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीएसपी-एसपी-आरएलडी गठबंधन के सामने बीजेपी की हालत बहुत खराब है. उन्होंने कहा कि गठबंधन के आगे सत्ताधारी पार्टी परेशान है.
मायावती ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का भी वादा किया है.
बीएसपी चीफ ने उम्मीद जताई की आंध्र प्रदेश में जेएसपी-बीएसपी-सीपीआई(एम) की सरकार बनेगी और जेएसपी चीफ पवन कल्याण राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे.
बहुजन समाज पार्टी आंध्र प्रदेश में जन सेना, सीपीआई और सीपीआई (एम) के साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ रही है.
गठबंधन में बीएसपी आंध्र प्रदेश की कुल 25 लोकसभा सीटों में से तीन और 175 विधानसभा सीटों में से 21 पर चुनाव लड़ रही है.
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Published: 03 Apr 2019,06:02 PM IST