Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Delhi elections  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दिल्ली चुनाव:शीला दीक्षित के बगैर कैसे पार लगेगी कांग्रेस की नैया?

दिल्ली चुनाव:शीला दीक्षित के बगैर कैसे पार लगेगी कांग्रेस की नैया?

शीला दीक्षित द्वारा पीछे छोड़े गए खाली जगह को कैसे भरेगी कांग्रेस?

हिमांशी दहिया
दिल्ली चुनाव
Published:
शीला दीक्षित द्वारा पीछे छोड़े गए खाली जगह को कैसे भरेगी कांग्रेस?
i
शीला दीक्षित द्वारा पीछे छोड़े गए खाली जगह को कैसे भरेगी कांग्रेस?
(फोटो : श्रुति माथुर / द क्विंट)

advertisement

8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में 70 सदस्यों का चुनाव करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी तैयार है. ओपिनियन पोल आम आदमी पार्टी की एक शानदार जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं. इससे बीजेपी और कांग्रेस एक बड़े सवाल में घिर गए हैं : 'केजरीवाल बनाम कौन?'

बीजेपी ने अब तक अपने मुख्यमंत्री चेहरे का ऐलान नहीं किया है, जबकि कांग्रेस के पास एक अलग तरह की चुनौती है: लगातार तीन-कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित द्वारा पीछे छोड़े गए खाली जगह को कैसे भरा जाए?

तो आइए, कोशिश करते हैं और समझते हैं कि दिल्ली में 'शीला कांग्रेस' के बाद क्या है और 2020 का विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए कैसा है.

क्या शीला दीक्षित की 15 साल की विरासत काम आएगी?

20 जुलाई 2019 को, जब एस्कॉर्ट्स अपोलो अस्पताल में शीला दीक्षित का निधन हुआ, तो बहुतों ने महसूस किया कि वह कांग्रेस पार्टी की दिल्ली यूनिट में ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति में भी एक खाली जगह छोड़ गईं हैं.
कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक, शीला दीक्षित ने 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार कामयाबी के साथ दिल्ली सरकार की बागडोर संभाली. उन्हें दिल्ली को मॉडर्न रूप देने के लिए बड़े पैमाने पर श्रेय दिया जाता है.
एक राजनीतिक परिवार से होने के बावजूद, उन्हें मतदाताओं ने एक मिलनसार मुख्यमंत्री के तौर पर देखा.

उनके कार्यकाल के दौरान ही दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में सुधार हुआ और पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से सीएनजी वाहनों में तब्दील हुए. दिल्ली मेट्रो के पहला प्रोजेक्ट उनके कार्यकाल के दौरान आया और दूसरे शहरों के लिए एक मिसाल बन गया. शहर में फ्लाईओवर्स का जाल बिछाकर यातायात आसान करने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है.

हालांकि कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपों और निर्भया गैंगरेप मामले के बाद उनकी “डिस्कनेक्ट” प्रतिक्रिया ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया और 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई. दीक्षित खुद नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अरविंद केजरीवाल से हार गईं थीं.

जनवरी 2019 में किए गए सीवोटर सर्वे में कहा गया कि 42.5 प्रतिशत बीजेपी मतदाताओं ने कहा कि शीला दीक्षित दिल्ली की सबसे अच्छी सीएम थीं.

दीक्षित ने दिल्ली में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में काम करना जारी रखा और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें फिर से सामने लाया गया. वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ीं, लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर में बीजेपी के मनोज तिवारी से हार गईं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कांग्रेस के लिए विकल्प क्या हैं?

बीजेपी केजरीवाल पर हमला बोलने के अभियान पर फोकस कर रही है. इसके उलट कांग्रेस शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान किए गए कामों का प्रचार कर रही है. इसलिए यह हैरानी की बात नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री के कैबिनेट के कई सहयोगियों को चुनाव में पार्टी ने मैदान में उतारा है. इनमें कृष्णा नगर से अशोक के वालिया, पटेल नगर से कृष्णा तीरथ, बल्लीमारान से हारून यूसुफ, गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली और शाहदरा से नरेंद्र नाथ जैसे नेता शामिल हैं. कहने की जरूरत नहीं है कि वे ऐसे लोगों का वोट हासिल करना चाह रहे हैं, जिन्हें पूर्व सीएम के काम से सीधा फायदा मिला हो.

वालिया, लवली, यूसुफ, तीरथ और नरेंद्र नाथ जैसे नेताओं को खुद अपनी सीट जीतने के लिए चुनौती मिल रही है, अकेले सीएम उम्मीदवार बनना तो छोड़ दें.

जनवरी में हुए सीवोटर सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में लोग 60% से ज्यादा लोग केजरीवाल को सबसे लोकप्रिय नेता मानते हैं. कांग्रेस नेता अजय माकन उनसे बेहद पीछे हैं, जिन्हें महज 7% लोग ही दिल्ली का सबसे लोकप्रिय नेता मानते हैं. लेकिन माकन स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.

अगर इस चुनाव में कांग्रेस 15-20 प्रतिशत के वोट शेयर को पार करने में नाकाम रहती है, तो पार्टी के लिए दिल्ली की राजनीति में बने रहना बहुत मुश्किल होगा.

ये भी पढ़ें- शीला दीक्षित के लिए कोई दुश्मन नहीं था, या तो विरोधी थे, या समर्थक

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT