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Exit Poll Vs Result 2024: "सत्ता विरोधी लहर समझने में फेल रहे" क्यों एग्जिट पोल उल्टे पड़े?

एग्जिट पोल से लोकसभा चुनाव रिजल्ट कितना अलग रहा?

रोमा रागिनी
चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>Exit Poll Vs Result 2024: 2004 के बाद फिर एग्जिट पोल फेल, UP-बंगाल में सारे अनुमान धड़ाम</p></div>
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Exit Poll Vs Result 2024: 2004 के बाद फिर एग्जिट पोल फेल, UP-बंगाल में सारे अनुमान धड़ाम

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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Exit Poll Vs Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का फाइनल मैच खत्म हो चुका है और रिजल्ट सबके सामने है. हालांकि, सभी एग्जिट पोल एजेंसियां बीजेपी के '400 पार' के नैरेटिव को ही मजबूत करते नजर आईं. इलेक्शन रिजल्ट 2024 ने सभी एग्जिट पोल को फेल करार दिया है. 2004 की तरह ही पोल एजेंसियां जनता का मूड क्या है, भांपने में नाकाम रही. पोल एजेंसियों ने इंडिया गठबंधन की ताकत को भी कम आंका तो चलिए जानते हैं कि एग्जिट पोल से रिजल्ट कितना अलग रहा और इसके फेल होने के कारण क्या रहे?

पहले एग्जिट पोल पर नजर डाल लेते हैं....

टुडेज चाणक्या के एग्जिट पोल में बीजेपी को 400 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. वहीं बीजेपी को अकेले उन्होंने 335 सीटें दी थी.

2019 में सटीक का आकलन लगाने के लिए इस पोल एजेंसी को लेकर लोगों में विस्वसनीयता बढ़ी थी. हालांकि, इस बार टुडेज चाणक्या के एग्जिट पोल के अनुमान धाराशयी हो गए. इसने कांग्रेस को 50 और INDIA गुट को 107 सीटें ही दी थी.

टाइम्स नाउ ने NDA को 360 और इंडिया गुट को 146 सीटें दी थी.

जन की बात ने एनडीए को 377 बीजेपी को 327 और इंडिया 151 और कांग्रेस को 52 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था.

सी वोटर ने एनडीए को 353, बीजेपी को 313 सीटें दी थी. इंडिया गुट को 170 सीटें और कांग्रेस को 75 सीटें जीतने का अनुमान लगाया था.

एक्सिस माय इंडिया एनडीए ने 381 सीटें मिली और इंडिया गुट को 148 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था.

पोल्स ऑफ पोल यानी सभी एग्जिट पोल का औसत निकाले तो एनडीए को 374 सीटें और इंडिया को 145 सीटें मिलने की संभावना जताई गई.

क्या रहा परिणाम?

अगर सभी एग्जिट पोल के औसत को चुनाव परिणाम से घटाए तो NDA को सभी एग्जिट पोल ने अधिक सीटें दी थी और औसत से 82 सीटें कम आईं है. वहीं, इंडिया गुट को औसत सीटें 145 मिलती नजर आ रही थी, उन्हें 95 सीटें अधिक मिली हैं.

बंगाल में भी हवा भांप नहीं सकी पोल एजेंसियां

बंगाल के एग्जिट पोल्स में बीजेपी के अबतक के सबसे अच्छा प्रदर्शन करने की भविष्यवाणी की गई थी. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को झटका लगने का अनुमान लगाया गया था क्योंकि अधिकांश एग्जिट पोल में कहा गया है कि लोकसभा सीटों के मामले में बीजेपी अब बंगाल में सबसे बड़ी पार्टी होगी.

पोल ऑफ पोल्स में बीजेपी के लिए 23 और तृणमूल कांग्रेस के लिए 18 सीटों की भविष्यवाणी की गई पर चुनाव परिणाम देखें तो टीएमसी को राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी. टीएमसी ने 29 सीटें जीती हैं, वहीं बीजेपी के खाते में 12 सीटें गईं हैं. 2019 में बीजेपी ने 19 सीटें जीती थीं, ऐसे में उसे 9 सीटों का नुकसान हुआ है.

चुनाव परिणाम में यूपी के एग्जिट पोल धड़ाम

एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 64-67 सीटें और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को एक सीट मिलने की भविष्यवाणी की गई. इसमें अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को सात से नौ सीटें और कांग्रेस को एक से तीन सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया.

न्यूज18 मेगा एग्जिट पोल में एनडीए को कुल 80 में से 68-71 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है, जबकि विपक्ष के इंडिया ब्लॉक को नौ से 12 सीटें मिलने की संभावना है.

रिपब्लिक-पीमार्क के मुताबिक, एनडीए को 69 सीटें मिलने की उम्मीद है, जबकि इंडिया गठबंधन को आठ सीटें मिलने की उम्मीद है.

इंडिया न्यूज-डी डायनामिक सर्वे में भी एनडीए को 69 और इंडिया को 11 सीटें मिलने का अनुमान है.

इसके अलावा, न्यूज नेशन ने एनडीए को 67 सीटें और इंडिया को 13 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की.

लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट के अनुसार, SP 37 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. वहीं बीजेपी के खाते में 33 सीटें आईं. कांग्रेस ने 6 सीटें जीती और RLD ने 2. ऐसे में यह साफ है कि एग्जिट पोल यूपी में पूरी तरह फेल रहे.

2004 में गलत साबित हुए थे एग्जिट पोल

सबसे रोचक चुनाव परिणाम 2004 का रहा, जिसने सभी एग्जिट पोल को गलत साबित कर दिया था. एग्जिट पोल देखें तो एनडीटीवी AC NIELSEN ने एनडीए को 230 से 250 सीटें और कांग्रेस को 190 से 205 सीटें जीतने की संभावना जताई थी.

इसी तरह 'आज तक मार्ग' ने भी एनडीए को 248 सीटें और कांग्रेस को 190 सीटें मिलने का अनुमान लगाया.

स्टारन्यूज सी वोटर ने एनडीए को 263 से 275 और कांग्रेस को 174 से 186 और अन्य को 86 से 98 सीटें मिलने की संभावना जताई.

कमोबेश सभी एग्जिट पोल निकालने वाली एजेंसियों ने एनडीए की ही सरकार बनती हुई दिखाई, पर 2004 के चुनाव परिणाम जारी हुए तो सभी एग्जिट पोल फेल साबित हुए.

2004 में यूपीए ने 208 सीटें जीतकर सरकार बनाई और एनडीए को महज 181 सीटों से संतोष कर विपक्ष में बैठना पड़ा.

इसके अलावा, 2019 में अन्य पोल एजेंसियों ने एनडीए की सरकार बनने की भविष्यवाणी की थी लेकिन बीजेपी की सीटें ठीक से भांप नहीं सकीं. NDA ने लोकसभा में 352 सीटों पर कब्जा किया, जबकि यूपीए को केवल 91 सीटें मिलीं. जिसमें बीजेपी ने सबसे ज्यादा 303 सीटें जीती थीं.

क्यों फेल रहे एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल फेल होने पर Lokniti-CSDS के संजय कुमार कहते हैं- "दो-तीन राज्यों जैसे यूपी, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सर्वे उल्टा हो गया, इसलिए ओवरऑल एग्जिट पोल सही चुनाव परिणाम से अलग आए हैं."

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक्सिस माय इंडिया के चेयरमेन प्रदीप गुप्ता ने कहा...

"हम तीन बड़े राज्यों - उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सही आकलन नहीं कर सके. हम नहीं समझ सके कि दलित वोट किस दिशा में जा रहे हैं. यहां तक ​​कि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के मामले में भी हम क्रमश: 14 और 10 सीटों से चूक गए."

CNX के निदेशक भावेश झा, जिनके इंडिया टीवी-सीएनएक्स पोल ने एनडीए के लिए 371 से 401 की भविष्यवाणी की थी, उन्होंने कहा कि वे अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि यूपी के अनुमान गलत क्यों हो गए, जबकि अन्य सभी राज्य इस आंकड़े के करीब थे.

सी वोटर के यशवन्त देशमुख ने कहा, “राज्यवार अनुमान के मामले में, केवल उत्तर प्रदेश ही था, जहां हमसे गलती हुई, हमने पहले ही अनुमान लगाया था कि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र गर्त में चले जाएंगे, लेकिन यूपी के मामले में, अनुमान और रिजल्ट बहुत अलग थे."

हालांकि, अपने पैरवी में देशमुख ने यह भी कहा “हो सकता है, पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बहुत अधिक ध्रुवीकरण हुआ हो. साथ ही, हमारी गणना का आधार 2019 के आंकड़े थे, जब एसपी और बीएसपी ने एक साथ चुनाव लड़ा था. शायद इस बार, हमारे पास लगभग 40 सीटों के लिए सही बेसलाइन नहीं थी. इसलिए ये ऐसा हुआ."

जन की बात के प्रदीप भंडारी ने कहा, “जहां तक ​​​​मैं समझता हूं, इस बार अनुमान सही नहीं रहे हैं क्योंकि यूपी में, हम सत्ता विरोधी लहर और जाति कारक को समझने में फेल रहे... यह एक ब्लैक स्वान इवेंट थी. आखिरकार, यह डेटा के वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है, और यूपी में जाति कारक के प्रभाव का इस हद तक पता नहीं लगाया जा सकता."

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