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गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Elections) के बीच बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) और आप (AAP) के अलावा निर्दलीय (Independent Candidate) भी सुर्खियां बटोर रहे हैं. बीजेपी के छह नेताओं को टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि गुजरात में निर्दल उम्मीदवारों का क्या प्रभाव रहा है?
गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद एक मौजूदा विधायक और चार पूर्व विधायकों समेत पार्टी के छह नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.
बीजेपी के पूर्व विधायक और पार्टी के आदिवासी चेहरे हर्षद वसावा ने नर्मदा जिले के नांदोद में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर हफ्तेभर पहले नामांकन पत्र दाखिल किया था, उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है और पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार भी मैदान हैं.
जूनागढ़ जिले के केशोद से बीजेपी के पूर्व विधायक अरविंद लडानी ने भी नामांकन वापस नहीं लिया. यहां से वर्तमान विधायक देवभाई मालम को टिकट दिया गया है जिससे वे खफा हैं.
बीजेपी के मौजूदा विधायक और दो पूर्व विधायकों ने दूसरे चरण के तहत पांच दिसंबर को होने वाले चुनाव के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. दूसरे चरण के लिए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 21 नवंबर है.
बीजेपी ने वाघोडिया से छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव को इस बार टिकट नहीं दिया. इससे नाराज हो कर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया. इस सीट से बीजेपी ने इस बार अश्विन पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है.
बीजेपी के पूर्व विधायक दिनेश पटेल ने वडोदरा जिले की पडरा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा है. इस सीट से बीजेपी ने चैतन्यसिंह जाला को टिकट दिया है. फिलहाल ये सीट कांग्रेस के कब्जे में है.
बायड सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक धवलसिंह जाला, जो बीजेपी में शामिल हुए थे, उन्होंने निर्दलीय के रूप में अपना पर्चा दाखिल किया है क्योंकि उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. धवलसिंह जाला 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के जाशु पटेल से हार गए थे.
बनासकांठा जिले की धानेरा सीट से बीजेपी नेता मावजी देसाई ने भी पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद निर्दलीय नामांकन दाखिल किया. 2017 में वह कांग्रेस के नथाभाई पटेल से हार गए थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में 794 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. जिसमें से केवल तीन उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी और तीन उम्मीदवार दूसरे स्थान और 77 उम्मीदवार तीसरे स्थान पर थे. वहीं 783 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी.
2012 के चुनाव में 668 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. एक की जीत हुई जबकि एक उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा. वहीं तीसरे स्थान पर 104 उम्मीदवार आए थे और 662 की जमानत जब्त हुई थी.
2007 के चुनाव में रण में 480 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 2 उम्मीदवार जीत दर्ज कर पाए थे. 5 उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे और 92 तीसरे स्थान पर. वहीं 469 की जमानत जब्त हुई थी.
2002 के चुनाव में 344 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. जीतने वाले उम्मीदवार 2 थे. दूसरे स्थान पर 4 और तीसरे पर 94 उम्मीदवार थे. 330 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी.
गुजरात चुनाव में सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार साल 1995 के चुनाव में उतरे थे. तब 1617 उम्मीदवार निर्दलीय थे. जीतने वालों की संख्या 16 थी. दूसरे स्थान पर तब 27 और तीसरे पर 90 उम्मीदवार थे. 1,555 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी.
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