गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के चुनावी बिगुल के बीच पार्टियां जातिगत समीकरण को साधने में लगी हैं. गुजरात में इलाके के हिसाब से हर जाति का अपना वोट बैंक है और उस जाति का क्षेत्र के हिसाब से अपना महत्व है. लेकिन, गुजरात में पाटीदार समुदाय किंगमेकर की भूमिका में रहता है. गुजरात में करीब 15 फीसदी आबादी आदिवासी है और करीब 12 फीसदी आबादी पाटीदारों की है, जो आदिवासियों से कम हैं. लेकिन, पाटीदार राज्य में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक तौर पर सबसे सशक्त समूह है.
पाटीदार समाज का राजनीतिक प्रभाव इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2017 के चुनाव में 182 विधानसभा सीटों वाले राज्य में करीब 50 विधायक सिर्फ पाटीदार समुदाय से चुनकर आए. ऐसे में राज्य की राजनीति में इनका प्रतिनिधित्व करीब 28 फीसदी है, जो किसी भी समुदाय से ज्यादा है. जानकारों का मानना है कि गुजरात में हर पार्टी का भविष्य पाटीदारों पर टिका हुआ है.
प्रदेश में जिसका पाटीदार उसकी सरकार. गुजरात के 62 सालों के इतिहास में 17 मुख्यमंत्री हुए और इनमें से 5 मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय से हैं.
मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल में पाटीदार समुदाय से आते हैं. जब विजय रूपाणी मुख्यमंत्री थे, तब पटेलों ने मुख्यमंत्री पद की मांग की थी और बीजेपी को इस मांग को मानना पड़ा था. इसके बाद विजय रूपाणी समेत पूरे मंत्रिमंडल को हटा दिया गया है और भूपेंद्र पटेल तो मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई. इसके बाद कांग्रेस छोड़ हार्दिक पटेल भी बीजेपी की नैया पर सवार हो गए हैं और वीरामगाम से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
गुजरात के पाटीदारों के राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो चिमनभाई पटेल पहले पाटीदार मुख्यमंत्री थे. वह पहले जनता दल से और फिर कांग्रेस से मुख्यमंत्री बने. उनसे पहले के सभी मुख्यमंत्री व्यापारी और ब्राह्मण समुदायों से रहे हैं. चिमनभाई पटेल के बाद बाबूभाई जशभाई पटेल दो बार मुख्यमंत्री बने और फिर केशुभाई पटेल और उसके बाद आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री बनीं. इसके बाद भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री हैं और उन्हीं के नेतृत्व में बीजेपी गुजरात के चुनावी मैदान में है.
माना जाता है कि गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में करीब 70 सीटों पर पाटीदार समुदाय जीत और हार तय करता है. पाटीदार समुदाय के वोटों पर कांग्रेस और बीजेपी की सबसे ज्यादा नजर रहती है. लेकिन, इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में हैं. इस समुदाय को साधने के लिए AAP ने राज्य में पार्टी की कमान युवा पाटीदार नेता गोपाल इटालिया को सौंपी है. हालांकि, कमजोर कांग्रेस और असंगठित आम आदमी पार्टी को देखते हुए जानकारों का मानना है कि बीजेपी चुनाव में पाटीदारों को खुश करने में आगे दिख रही है.
साल 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 48 फीसदी वोट मिला था. इसमें पाटीदारों की हिस्सेदारी 11 फीसदी थी. लेकिन, 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गिरावट दर्ज की गई. वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में पाटीदारों के 60 फीसदी वोट बीजेपी को मिले, जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में ये आंकड़ा घटकर 49.1 फीसदी पर पहुंच गया. 2017 के चुनाव में बीजेपी के 28 और कांग्रेस के 20 पाटीदार विधायक जीते थे. यही वजह है कि इस बार भी दोनों पार्टियों की लिस्ट में पाटीदारों की हिस्सेदारी ज्यादा है.
बीजेपी की उम्मीदवारों की सूची में 45 पाटीदारों को जगह मिली है. इनमें से 25 लेउवा पटेल और 20 कड़वा पटेल हैं. पाटीदार आंदोलन के चेहरे हार्दिक पटेल को वीरमगाम विधानसभा सीट से बीजेपी ने टिकट दिया है.
गुजरात में अगर अन्य समुदायों की हिस्सेदारी की बात करें तो कोली 24%, पाटीदार 15%, मुस्लिम 10%, एसटी (ST) 15%, एससी (SC) 7%, ब्राह्मण 4%, राजपूत 5%, वैश्य 3% और अन्य 17% वोटर्स हैं.
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