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Gujarat Elections 2022: बीजेपी ने गुजरात की ऐसी 19 विधानसभा सीटों में से 17 पर जीत हासिल की है, जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी संख्या में मौजूद है. बीजेपी ने यह कारनामा तब किया है जब बीजेपी ने गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से किसी पर भी एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था. दूसरी तरफ कांग्रेस ने 19 में से बाकि की 2 सीटों जमालपुर-खड़िया और वडगाम पर जीत हासिल की है. क्विंट ने उन सभी 19 सीटों का विश्लेषण किया जहां मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में मौजूद हैं.
इनमें से कई सीटों पर कई मुस्लिम उम्मीदवार थे, जिनमें से कई निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे थे. जैसे लिम्बायत की सीट पर कुल 44 उम्मीदवार थे, जिनमें 36 मुस्लिम थे. जबकि यहां से बीजेपी के संगीताबेन राजेंद्र पाटिल 52% से अधिक वोट शेयर पाकर विजयी हुए हैं. इस सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) महज 20% वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर है.
भले ही मुसलमान गुजरात की आबादी का 9 प्रतिशत हैं, लेकिन राज्य में उनके प्रतिनिधित्व का इतिहास खराब रहा है. पिछले 27 साल से गुजरात में शासन कर रही (और अगले 5 साल का बहुमत पा चुकी) बीजेपी ने आखिरी बार 1998 में गुजरात विधानसभा चुनाव में एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा था.
भारी मुस्लिम आबादी वाली सीटों में से एक गोधरा है. यहां से बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रसिंह राउलजी 35198 वोटों से जीत चुके हैं. याद रहे कि इन्होंने ही बिलकिस बानो के बलात्कारियों को "संस्कारी ब्राह्मण" कहा था. वह इस निर्वाचन क्षेत्र से छह बार के विधायक हैं.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के उम्मीदवारों ने बड़ी मुस्लिम आबादी वाली 19 में से 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनमें से किसी पर भी उसे जीत नहीं मिली. चूंकि AIMIM को इन 13 सीटों में से हरेक पर जीत के मार्जिन से कम वोट मिले हैं, इसलिए उस पर "वोट कटवा" होने का आरोप सही नहीं है.
एकमात्र सीट जहां AIMIM ने वोटों का एक बड़ा हिस्सा जीता हैं वह भुज का है. यहां पार्टी उम्मीदवार को 17.36 फीसदी वोट मिले हैं, लेकिन इसके बावजूद यह बीजेपी के जीत के अंतर से कम है.
2002 के बिलकिस बानो बलात्कार मामले में दोषियों की रिहाई चुनाव से पहले विवाद का मुद्दा बन गई थी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जिन्होंने गुजरात में सीमित प्रचार किया था, ने महिलाओं को धोखा देने का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा था.
AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने चुनाव प्रचार में बार-बार इस मुद्दे को उठाया था. हालांकि, नतीजों के बाद यह साफ है कि यह मुद्दा किसी भी तरह से बीजेपी के वोट बैंक को कम करने में विफल रहा.
नवंबर 2022 में चुनाव की तारीखों से कुछ हफ्ते पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक विवादास्पद बयान दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि 2002 के दंगों के अपराधियों को "सबक सिखाया गया था". इसके बाद, बीजेपी नेता और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि "हिंदू आमतौर पर दंगों में शामिल नहीं होते हैं".
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