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Interview|"बलात्कारियों को हीरो की तरह सम्मानित किया जा रहा"-बिलकिस बानो के पति

"18 सालों में हमने जितने घर शिफ्ट किए हैं, मैं उनकी गिनती भी नहीं कर सकता."- क्विंट से Bilkis Bano के पति याकूब रसूल

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भारत
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" इस फैसले ने हमारी 18 साल की लड़ाई को एक झटके में खत्म कर दिया." यह कहना है बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के 45 वर्षीय पति याकूब रसूल का.

15 अगस्त को गुजरात के गोधरा जेल से 11 लोगों को रिहा कर दिया गया. इन लोगों को रसूल की पत्नी बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार, उनकी तीन साल की बेटी और 13 अन्य रिश्तेदारों की हत्या करने का दोषी पाया गया था. गुजरात सरकार ने 1992 की अपनी माफी नीति (remission policy) के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी.

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ये 11 दोषी दाहोद के सिंगवाड़ गांव लौटे, जहां उनके परिवार के साथ-साथ दक्षिणपंथी समूहों ने उनका स्वागत फूल मालाओं के साथ किया.

दोषियों के जेल से बाहर आने के छह दिन बाद, याकूब रसूल ने क्विंट से न्याय के लिए परिवार के 18 साल के लंबे संघर्ष और दोषियों की रिहाई के बाद बिलकिस बानो के डर के बारे में बात की. इंटरव्यू का कुछ हिस्सा यह रहा:

दोषियों के जेल से बाहर आने की इस खबर पर बिलकिस बानो की क्या प्रतिक्रिया थी?

बिलकिस तो इतनी मायूस है कि उसने अभी तक किसी से बात नहीं की है. उसका दिल दुखा है और उसके मन में डर बैठ गया है.

"वह अभी तक यह पूरी तरह से समझ नहीं पाई है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ है. हमें कोई खबर नहीं थी कि ऐसी कोई तैयारी चल रही थी. असल में हमने (दोषियों की) रिहाई के बारे में तब जाना जब कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर कुछ फोटो और वीडियो देखे, और हमें बताया. पहले तो मुझे नहीं लगा कि यह सच है. फिर मैंने इसको कंफर्म किया और फिर बिलकिस को बताया. वह सुन्न हो गई."
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हमें बताया गया कि उन लोगों को “अच्छे आचरण के कारण रिहा कर दिया गया”. मैं जानना चाहता हूं कि इन लोगों ने जेल में ऐसा कौन सा अच्छा व्यवहार दिखाया कि ऐसे जघन्य अपराधों के इन आरोपियों को रिव्यु कमिटी ने रिहा कर दिया.

हमें दोषियों की रिहाई से जुड़े कोई भी आधिकारिक डॉक्यूमेंट नहीं मिले हैं. हमने रिहाई की एक कॉपी मांगी है, ताकि हम अपनी भविष्य की कार्रवाई तय कर सकें.

दूसरी तरफ इस बात को लेकर थोड़ी राहत भी है कि पूरा हमारा समर्थन भी कर रहा है.

पिछले दो दशकों में आपके परिवार को जिस संघर्ष से गुजरना पड़ा है, उसके लिए इस रिहाई का क्या मतलब है?

इस फैसले ने हमारी 18 साल की लड़ाई को एक झटके में खत्म कर दिया है. हमने पिछले दो दशकों में कई अदालतों में यह लड़ाई लगी- सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स के अनुसार केस के मुंबई के एक कोर्ट में ट्रांसफर होने से लेकर सीबीआई को ट्रांसफर किए जाने तक की लड़ाई.

सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी लेकिन उसने भी फैसले को बरकरार रखा.

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जब 2019 में SC ने हमें 50 लाख रुपये और मुआवजे के रूप में सरकारी नौकरी का आदेश दिया तो हमें लगा था कि हम नए सिरे से शुरुआत करेंगे.

"हम अपनी जिंदगी बस थोड़ी सी सुधारने की कोशिश ही कर रहे थे कि इतना बड़ा झटका हमें लग गया"

आपने बिलकिस बानो और अपने परिवार की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को जाहिर किया है

हर बार जब कोई एक अपराधी पैरोल पर जेल से बाहर आता था, तो हम बहुत डर में रहते थे. कल्पना कीजिए कि अब हम क्या महसूस कर रहे होंगे जब वे सभी 11 अब आजाद हैं.

अब हमारे परिवार, बिलकिस और हमारे बच्चों की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा? अभी तो रिहाई पर मीडिया का खूब ध्यान है लेकिन जब यह ध्यान हटेगा तब क्या होगा?

आपके परिवार के लिए पिछले दो दशक में जिंदगी आसान नहीं रही होगी

पिछले 18 सालों में हमने जितने घर शिफ्ट किए हैं, मैं उनकी गिनती भी नहीं कर सकता. हम एक जगह टिककर बस नहीं पा रहे थे, हमें डर के कारण ठिकाना बदलना पड़ता था.

हमारा कोई स्थायी पता नहीं था और हम अपने अस्थायी पते को भी कई लोगों के साथ शेयर नहीं कर सकते थे. हमारे घर ज्यादा गेस्ट नहीं आते थे. इस दौरान हमें अपने बच्चों और उनकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में भी चिंता करनी थी.

पिछले 18 वर्ष हमारे लिए 'कठिन' थे, यह कहना उसे कम आंकना होगा, हमारे सामने आई चुनौतियों की लिस्ट खत्म नहीं होगी.

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आपके बच्चे अब बड़े हो गए हैं, वे इस स्थिति को कैसे समझते हैं?

पिछले 18 सालों में जिंदगी जैसी रही है, उ सके कारण हमारे बच्चों को दूसरे बच्चों की तुलना में जल्दी बड़े/मैच्योर हो गए. हमारे बच्चे सब समझते हैं और सब देख रहे हैं.

"बिलकिस और मैंने उन्हें दंगों के बाद की परिस्थितियों से उन्हें बचाने की कोशिश की थी. अदालतों में क्या हो रहा था, इस पर कभी हमने उनकी मौजूदगी में चर्चा नहीं की. लेकिन वे हमें संघर्ष करते हुए देखकर बड़े हुए हैं. अब वे अपने भविष्य के बारे में चिंतित हैं."

मैं उन्हें कैसे बताऊं कि उनका भविष्य अब कैसा होगा? क्या उनकी बाकी की जिंदगी डर-डर के गुजरेगी या वो एक बेहतर भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं?

मुझे नहीं पता.

11 दोषियों का माला पहनाकर स्वागत किया गया है. एक स्थानीय विधायक (सीके राउलजी) ने उन्हें 'संस्कारी ब्राह्मण' कहा है. आपका उसके बारे में क्या कहना है?

इन बातों को देखना और सुनना निराशाजनक है. बिलकिस चाहे अभी कुछ ना कहे लेकिन वो ये सब देख रही है. बलात्कारियों और हत्यारों की रिहाई का जश्न किस तरह से मनाया जा रहा है, यह पूरा देश देख रहा है.

"यह न केवल बिलकिस का अपमान है, बल्कि इस देश की सभी महिलाओं का अपमान भी है. बलात्कारियों को ऐसे सम्मानित किया जा रहा है जैसे कि वे किसी तरह के हीरो हों."

मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि इस जश्न और सम्मान को बिलकिस, हम और देश भर की महिलाएं और लोग देख रहे हैं. यह भुलाया नहीं जाएगा.

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