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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के दौरान हैदराबाद से बीजेपी की उम्मीदवार माधवी लता (Madhavi Latha) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. वीडियो में माधवी लता अपने लोकसभा क्षेत्र के एक पोलिंग बूथ पर मतदान के लिए बैठी मुस्लिम महिलाओं के वोटर आईडी चेक करती नजर आईं. अब पोलिंग बूथ के बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) ने द क्विंट को बताया कि इनमें से एक महिला बिना अपना वोट डाले वापस लौट गई.
एम अरुणा हैदराबाद के मालकपेट में असमनगढ़ में बूथ नंबर 46 पर बूथ लेवल ऑफिसर थे. उन्होंने कहा, "मैं अपना काम कर रहा था जब मैडम (माधवी लता) अंदर आईं और पोलिंग बूथ में बैठी चार बुर्का पहने महिलाओं से पूछा कि क्या उन्होंने अपना वोट डाला है. उन्होंने कहा कि अभी वो वोट डालने का इंतजार कर रही थीं. फिर मैडम ने अचानक उनके आईडी कार्ड मांगे और कहा कि वे अपने चेहरे से नकाब हटा दें ताकि वह जांच कर सकें."
हैदराबाद के चार बार के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं माधवी लता पर मलकपेट पुलिस ने 13 मई को मामला दर्ज किया था. उन्होंने कथित तौर पर पोलिंग बूथ पर कई बुर्के वाली महिलाओं से आईडी कार्ड की मांग की थी और उन्हें नकाब उठाने के लिए मजबूर किया था.
हैदराबाद कलेक्टर ने एक्स पर एक पोस्ट के जवाब में कहा: "चुनाव लड़ रहीं बीजेपी उम्मीदवार श्रीमती माधवी लता के खिलाफ मालाकपेट पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 171 सी, 186, 505 (1) (सी) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 132 के तहत मामला दर्ज किया गया है."
माधवी लता के खिलाफ बाद में उसी दिन हैदराबाद के गोशामहल विधानसभा क्षेत्र में एक पुलिस अधिकारी के काम में बाधा डालने के आरोप में मंगलहाट पुलिस स्टेशन में एक और मामला दर्ज किया गया. यहां से बीजेपी नेता टी राजा सिंह विधायक हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए कथित वीडियो में, माधवी लता बुर्का पहनीं मुस्लिम महिला वोटरों से आईडी कार्ड मांगती हुईं और उन्हें अपना नकाब उठाने के लिए कहती हुई दिखाई दे रही हैं ताकि वह उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके.
माधवी लता ने वोटर से आगे पूछा, ''यह आईडी कार्ड कब बना?''
वीडियो सामने आने के बाद इसकी खूब आलोचना हुई. कई लोगों ने माधवी लता पर 'मुस्लिम वोटरों को धमकाने' का आरोप लगाया. इस आरोप पर उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा: "मैं एक उम्मीदवार हूं. कानून के अनुसार उम्मीदवार को फेसमास्क के बिना आईडी कार्ड की जांच करने का अधिकार है. मैं एक पुरुष नहीं हूं, मैं एक महिला हूं और बहुत विनम्रता के साथ, मैंने उनसे केवल अनुरोध किया है. अगर कोई इसे बड़ा मुद्दा बनाना चाहता है तो इसका मतलब है कि वे डरे हुए हैं."
क्विंट से बात करते हुए बीएलओ अरुणा ने कहा, "हमें किसी का नकाब उठाने के लिए नहीं कहा गया है. हमारा काम वोटरों को गाइड देना है कि क्या करना है. हम बस यही कर रहे थे."
अरुणा की शिकायत के आधार पर मलकपेट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. इसकी एक कॉपी द क्विंट के पास है. इसमें आरोप लगाया गया:
बीएलओ ने क्विंट को पुष्टि की कि जिन तीन अन्य महिलाओं का "वेरिफिकेशन" किया गया था, उन्होंने अपना वोट डाला.
हालांकि, शहर भर से सामने आए कथित वीडियो से पता चला कि माधवी लता ने दूसरे बूथों का भी दौरा किया था और बुर्का पहनी वोटरों का इसी तरह का "वेरिफिकेशन" किया था.
मंगलहाट पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी जी सत्यनारायण ने एक बयान में कहा कि बीजेपी पार्टी के सिंबल के साथ डमी ईवीएम दिखाकर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के लिए प्रचार करने के लिए दो बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था.
पुलिस अधिकारी के आगे बयान में कहा, "माधवी लता अपने फॉलोअर्स के साथ पुलिस स्टेशन आईं और मेरे साथ बहस की और आरोपियों को बीजेपी सिंबल वाले डमी ईवीएम के साथ ले जाकर काम में बाधा डाला."
मामला IPC की धारा 353 (किसी लोक सेवक को उनके कर्तव्य को निभाने से रोकने के लिए विशेष रूप से आपराधिक बल का उपयोग करना या धमकी देना) और 224 (कानूनी गिरफ्तारी में अवैध बाधा) के तहत दर्ज किया गया था.
14 मई को, नागरिक अधिकार मंच, तेलंगाना फॉर पीस एंड यूनिटी, ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर माधवी लता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
चुनाव संचालन नियम, 1961 के अनुसार, केवल पीठासीन अधिकारी या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति ही वोटर की पहचान सत्यापित कर सकता है. नियम के अनुसार:
पीठासीन अधिकारी मतदान केंद्र पर ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है जिन्हें वह मतदाताओं की पहचान में मदद करने या मतदान कराने में अन्यथा सहायता करने के लिए उचित समझता है.
जैसे ही हर वोटर मतदान केंद्र में प्रवेश करता है, पीठासीन अधिकारी या उसके द्वारा इस संबंध में अधिकृत मतदान अधिकारी मतदाता सूची में एन्ट्री के साथ निर्वाचक के नाम और अन्य विवरणों की जांच करेगा और फिर क्रम संख्या, नाम और अन्य विवरण मांगेगा.
घूंघट या बुर्का पहनने वाली महिलाओं के लिए, चुनाव आयोग द्वारा पीठासीन अधिकारी के लिए हैंडबुक में कहा गया है: "यदि आपके मतदान केंद्र पर पर्याप्त बड़ी संख्या में 'पर्दानशीन' (बुर्का-पहने हुए) महिला मतदाता हैं तो आपको उनकी पहचान के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए और गोपनीयता, गरिमा और शालीनता को ध्यान में रखते हुए एक अलग बाड़े में एक महिला मतदान अधिकारी द्वारा बायीं तर्जनी पर अमिट स्याही लगाना चाहिए."
क्विंट ने टिप्पणी के लिए तेलंगाना के सीईओ से संपर्क किया है. प्रतिक्रिया मिलने पर स्टोरी अपडेट कर दी जाएगी.
मतदान के दिन, तेलंगाना के निज़ामाबाद निर्वाचन क्षेत्र में, बीजेपी के उम्मीदवार अरविंद धर्मपुरी ने भी कथित तौर पर मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनकर आने वाली मुस्लिम महिलाओं को गलत ठहराया.
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