advertisement
MP Election Result 2023: मध्य प्रदेश चुनाव के रिजल्ट (MP Election Result 2023) सामने आ चुके हैं. विधानसभा की 230 सीटों पर चुनाव हुए और जनता ने शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गजों समेत कुल 2,533 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर दिया है. एमपी चुनाव को लेकर आपके मन में कई सवाल होंगे, तो चलिए हम आपको ऐसे ही 10 सवालों के जरिए चुनाव का पूरा गणित समझाते हैं.
1- मध्य प्रदेश में कौन जीता? किसे कितनी सीट और वोट मिले?
एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है. बीजेपी के खाते में 163 सीट और कांग्रेस के खाते 66 सीट आई है. बीजेपी का वोटिंग प्रतिशत 48.5 और कांग्रेस का 40.40 प्रतिशत रहा.
2- मध्य प्रदेश में बीजेपी क्यों जीती?
एमपी में बीजेपी की जीत की सबसे बड़ी वजह शिवराज की 'लाडली बहना' योजना को माना जा रहा है. मोदी 'मैजिक' भी दूसरा फैक्टर है. तीसरा फैक्टर सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारना रहा. जबकि, पांचवा फैक्टर बूथ लेवल पर बीजेपी का काम करना रहा.
3- शिवराज या मोदी..जीत का श्रेय किसे जाता है?
मध्यप्रदेश में बीजेपी की जीत का श्रेय सीएम शिवराज को दिया जा रहा है. कहा जा रहा है कि उनकी 'मामा' वाली इमेज के कारण जनता उनसे जुड़ी रही. चुनावी आंकड़ों के मुताबिक मामा शिवराज को बहनों का खूब आशीर्वाद मिला, यानी महिला वोटर्स ने शिवराज को बढ़-चढ़कर वोट किया. शिवराज का इमोशनल कनेक्ट भी काम आया. वह रैलियों में पूछा करते थे. मैं चुनाव लड़ूं या न लड़ूं.. जनता ने उसका जवाब दे दिया.
4- शिवराज के मंत्रियों का क्या हुआ?
शिवराज के मंत्रियों की बात की जाए तो नरोत्तम मिश्रा, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रेम सिंह पटेल समेत 7 मंत्री चुनाव हार गए हैं.
5- क्या 'लाडली बहना' योजना ने बीजेपी को जीत दिलाई?
इसका जवाब हां है. पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि बीजेपी की जीत में लाडली बहना योजना गेमचेंजर साबित हुई है. एमपी की 1.3 करोड़ महिलाओं के लिए शिवराज सिंह चौहान ने कैश-इन-हैंड योजना शुरू की, जिसकी चर्चा एमपी से लेकर बाहर तक हुई.
6- पीएम मोदी के सांसदों-केंद्रीय मंत्रियों का क्या हुआ?
पीएम मोदी के तीन केंद्रीय मंत्री और चार सांसद चुनावी मैदान में थे. इनमें एक केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और एक सांसद गणेश सिंह की हार हुई है. बाकी दो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नरसिंहपुर से प्रह्लाद सिंह पटेल और तीन सांसद राकेश सिंह, उदयप्रताप सिंह और रीति पाठक चुनाव जीत गए हैं.
7- बीजेपी को चुनाव जिताने में सिंधिया और उनका प्रभाव काम आया?
सिंधिया का ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में पैठ मानी जाती है. यहां 34 विधानसभा की सीटे हैं. ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीजेपी ने 18 और कांग्रेस ने 16 सीटें जीती हैं. 2018 में 34 में से कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थी और बीजेपी 7. यानी पिछली बार के मुकाबले बीजेपी ने यहां 11 सीटों पर बढ़त बनाई है. यानी सिंधिया फैक्टर काम किया है.
8- कमलनाथ तो कॉन्फिडेंट में दिख रहे थे, क्या ओवर कॉन्फिडेंट कांग्रेस को ले डूबा?
हां, जानकारों का भी यही कहना है कि कमलनाथ को ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा. कमलनाथ चुनाव में कॉन्फिडेंट दिख रहे थे. कमलनाथ को जिस तरह से प्रचार करना चाहिए था, उन्होंने वैसा नहीं किया. वे बीजेपी के आक्रमक प्रचार के सामने फेल हो गए.
9- मध्य प्रदेश में एसपी-बीएसपी ने वोट काटने का काम किया?
एमपी में बीएसपी का वोट प्रतिशत 3.40 और SP का 0.46 रहा. 2018 में BSP को 5 प्रतिशत से अधिक और SP 1.32 प्रतिशत रहा. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इनका खुद का वोट परसेंटेज कम हुआ है. लेकिन, कई ऐसी सीटें रहीं जहां बीजेपी के जीत का अंतर एसपी-बीएसपी को मिले वोटों से कम था. यानी ये कह सकते हैं कि अगर ये दोनों कांग्रेस के साथ होते तो ये सीट कांग्रेस के खाते में जाती.
10- राहुल की 'भारत जोड़ो यात्रा' कांग्रेस के काम आई या नहीं?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा एमपी की बुरहानपुर, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर मालवा में हुई थी. लेकिन, इन सभी जगहों पर कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा. इस हिसाब से कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने वोटर्स पर अपना छाप नहीं छोड़ पाई.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)