मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) के नतीजों आ चुके हैं और बीजेपी ने एक बार फिर सत्ता में वापसी की है. 230 विधानसभा सीटों के लिए 2533 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी थी. मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच था, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा.
हालांकि, चुनावों से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों को बड़ी संख्या में बागी नेताओं का सामना करना पड़ा. जिनको अपनी पार्टी में टिकट नहीं मिला वो या तो दूसरी पार्टियों में चले गए या निर्दलीय के रूप में मैदान में आ गए. लेकिन इन चुनावों में बागियों का प्रदर्शन काफी खराब रहा. हमनें 17 अहम सीटों की सूचि बनाई, जहां बागी बड़ी भूमिका में थे, लेकिन इनमें केवल 1 सीट पर बागी विधायक जीत पाया.
देखिए बागियों की सीटों का हाल...
बीजेपी
1. बुरहानपुर सीट - हर्षवर्धन सिंह - हार
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पांच बार के सांसद नंद कुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह बुरहानपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. हर्षवर्धन ने 2019 में खंडवा लोकसभा सीट से भी टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें नहीं मिला. इस बार के विधानसभा चुनावों में वे बुरहानपुर से टिकट की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी जगह पार्टी ने अर्चना चिटनिस पर भरोसा दिखाया. चिटनीस पिछला चुनाव 5,120 वोटों के मामूली अंतर से हार गई थीं.
हर्षवर्धन को लग रहा था कि अर्चना को दोबारा मैदान में नहीं उतारा जाएगा, लेकिन बीजेपी ने फिर उन्हीं पर भरोसा दिखाया.
अर्चना ने भी इस जीत में तब्दील कर अपनी पार्टी को मजबूत किया. यानी इस सीट पर बागी हर्षवर्धन सिंह की हार हुई.
2. सीधी सीट - केदारनाथ शुक्ला - हार
सीधी सीट से चार बार चुनाव जीतने वाले विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट इस बार बीजेपी ने काट दिया था. उनकी जगह लोकसभा सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारा. शुक्ला के करीबी माने जाने वाले एक व्यक्ति पर एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने करने का कथित वीडियो खूब वायरल हुआ था, जिससे बाद पार्टी शुक्ला का टिकट कट गया. उन्होंने बाद में निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. केदारनाथ शुक्ला को हार का सामना करना पड़ा और जीत रीति पाठक की हुई.
3. मुरैना - राकेश सिंह - हार
बीजेपी के पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह बीएसपी उम्मीदवार के रूप में मुरैना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मुरैना से रघुराज कंसाना को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पिता-पुत्र दोनों ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था. कंसाना पहले कांग्रेस में थे और 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद हुए उपचुनाव में 5,751 वोटों के अंतर से उनकी हार हुई थी.
इस सीट पर कांग्रेस के दिनेश गुर्जर ने 19871 वोटों से जीत हासिल की.
4. भिंड- संजीव सिंह- हार
भिंड सीट पर बीजेपी ने विधायक संजीव सिंह का टिकट काटकर नरेंद्र सिंह कुशवाह को मैदान में उतारा था.
पटवारी (राजस्व अधिकारी) परीक्षा में 10 में से सात टॉपर्स संजीव सिंह के स्वामित्व वाले परीक्षा केंद्र से निकले थे, जिसके बाद से कांग्रेस उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए आक्रामक प्रचार कर रही थी. टिकट कटने के बाद वे बीएसपी में लौट गए. उन्होंने बीएसपी के साथ ही अपना करियर शुरू किया था.संजीव सिंह को हार का सामना करना पड़ा और जीत नरेंद्र सिंह कुशवाह के हाथ लगी.
5. सतना - रत्नाकर चतुर्वेदी - हार
बीजेपी के पूर्व जिला उपाध्यक्ष रत्नाकर चतुर्वेदी टिकट न मिलने से BSP में शामिल हो गए थे और BSP के टिकट पर ही चुनाव लड़े. उनका मुकाबला बीजेपी के चार बार के लोकसभा सांसद गणेश सिंह से था. गणेश सिंह और रत्नाकर चतुर्वेदी दोनों को हार का समाना करना पड़ा और जीत कांग्रेस उम्मीदवार की हुई.
6. राजनगर (छतरपुर) - घासीराम पटेल - हार
बीजेपी नेता और खजुराहो विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष घासीराम पटेल पिछले महीने टिकट कटने के बाद बीएसपी में शामिल हुए थे. वे दो बार के बीजेपी के जिला अध्यक्ष रहे लेकिन इस बार बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े. कांग्रेस ने मौजूदा राजनगर विधायक नाती राजा पर दांव लगाया, जो 2018 में सिर्फ 732 वोटों से जीते थे.
इस सीट पर बीजेपी नेता अरविंद पटेरिया की 5,867 वोटों से जीत हुई है.
7. निवाड़ी - नंदराम कुशवाह - हार
2018 विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर पृथ्वीपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले नंदराम कुशवाह 2021 विधानसभा उपचुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हो गए थे. नंदराम इस चुनाव में निवाड़ी विधानसभा से बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन बीजेपी ने दो बार के विधायक अनिल जैन को अपना उम्मीदवार बनाया. इसके बाद राज्य मंत्री नंदराम कुशवाह ने इसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा.
इस सीट पर बीजेपी के अनिल जैन की 17,157 वोटों से जीत हुई है.
8. टीकमगढ़ - केके श्रीवास्तव- हार
टीकमगढ़ विधानसभा में बीजेपी ने राकेश गिरी को प्रत्याशी बनाया, लेकिन टिकट की मांग पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव भी कर रहे थे. टिकट न मिलने के बाद केके श्रीवास्तव निर्दलीय ही चुनावी मैदान में कूद गए. केके श्रीवास्तव और राकेश गिरी दोनों को हार का सामना करना पड़ा है और जीत कांग्रेस उम्मीदवार की हुई है.
कांग्रेस
9. नागौद (सतना)- यादवेंद्र सिंह- हार
नागौद सीट से पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और BSP में शामिल हो गए. यादवेंद्र सिंह दूसरे नंबर पर रहे और यहां जीत बीजेपी उम्मीदवार नागेन्द्र सिंह की हुई.
10. डॉ अम्बेडकर नगर (महू)- हार
पूर्व कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार 1998 से यह सीट जीत रहे थे, लेकिन 2013 में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनसे यह सीट नहीं छीन ली. अगले चुनाव में, वे बीजेपी की उषा ठाकुर से 7,157 वोटों के अंतर से सीट हार गए. इस बार टिकट न मिलने पर दरबार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. कांग्रेस के रमाशंकर शुक्ला इस सीट से उम्मीदवार थे. वे बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. आखिर में जीत बीजेपी उम्मीदवार उषा ठाकुर की हुई.
11. आलोट (रतलाम)- प्रेमचंद गुड्डु- हार
पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डु अब कांग्रेस से इस्तीफा देकर आलोट से निर्दलीय चुनाव लड़े. 2018 के चुनावों से पहले, उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में वे कांग्रेस में लौट आए और इंदौर के सांवेर से उपचुनाव लड़े, लेकिन हार हुई. आलोट के मौजूदा कांग्रेस विधायक मनोज चावला 2018 में 5,448 वोटों से जीते थे और उन्हें फिर से मैदान में उतारा गया है.
इस सीट पर बीजेपी के डॉ. चिंतामणि मालवीय की 68,884 वोटों से जीत हुई.
12. त्योंथर (रीवा)- सिद्धार्थ तिवारी- जीत
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी इस सीट से रमाशंकर सिंह से टिकट गंवाने के बाद 19 अक्टूबर को बीजेपी में शामिल हो गए. उन्हें बीजेपी ने मैदान में उतारा है. उन्होंने 2018 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और 5,343 वोटों से हार गए थे. कांग्रेस ने इस सीट से रामाशंकर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है.
इस सीट पर बीजेपी के सिद्धार्थ तिवारी 'राज' की 4746 वोटों से जीत हुई.
13. सुमावली (मुरैना) - एदल सिंह कुशवाहा - हार
सुमावली से कांग्रेस ने पहले एदल सिंह कुशवाहा का टिकट काटकर कुलदीप सिकरवार को मैदान में उतारा, फिर जब कुशवाहा नाराज होकर बीएसपी में चले गए तो पार्टी ने कांग्रेस ने उन्हें वापस बुलाकर इसी सीट से टिकट दे दिया. इसके बाद सिरकवार नाराज हो गए और वे बीएसपी में चले गए. 2018 में बीजेपी प्रत्याशी अजब सिंह कुशवाह 13,313 वोटों से हार गए थे. BSP को 31,331 वोट मिले थे.
इस सीट पर बीजेपी के ऐदल सिंह कंसाना ने 16,008 वोटों से जीत हासिल की.
14. पोहरी (शिवपुरी)- प्रधुम्न वर्मा- हार
कांग्रेस से पोहरी सीट पर टिकट कटने के बाद प्रधुम्न वर्मा बीएसपी में शामिल हो गए थे. उनकी जगह कैलाश कुशवाह पार्टी की पहली पसंद बने. 2018 में इस सीट पर बीएसपी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे और उन्हें 52,736 वोट मिले थे.
इस सीट पर कांग्रेस के कैलाश कुशवाहा ने 49,481 से जीत हासिल की.
15. जतारा (टीकमगढ़)- आर आर बंसल- हार
आर आर बंसल 2018 का चुनाव 36,715 वोटों के अंतर से हार गए थे और ये साफ स्पष्ट था कि उन्हें कांग्रेस दोबारा मैदान में नहीं उतारेगी. पार्टी ने उनकी जगह किरण अहिरवार को चुना और बंसल समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने यहां से अपने मौजूदा विधायक हरिशंकर खटीक को मैदान में उतारा और उन्हें जीत भी हसिल हुई.
16. गोटेगांव (नरसिंहपुर) - एनपी प्रजापति- हार
कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काटकर उनकी जगह शेखर चौधरी को टिकट दे दिया है. हालांकि, प्रजापति के समर्थकों के विरोध के बाद उन्हें टिकट मिल गया. शेखर चौधरी ने फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया.
इस सीट पर बीजेपी के महेंद्र नागेश की 47,788 वोटों से जीत हुई है.
17. सिवनी मालवा- ओम प्रकाश रघुवंशी- हार
सिवनी मालवा से कांग्रेस के पूर्व विधायक ओम प्रकाश रघुवंशी ने टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था. सिवनी से कांग्रेस ने अजय पटेल को मैदान में उतारा है.
इस सीट पर बीजेपी के प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा ने 36,014 वोटों से जीत हासिल की.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)