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मिजोरम विधानसभा चुनाव (Mizoram Assembly Elections) में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) पार्टी ने मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) को करारी शिकस्त दी है और अब स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने को तैयार है.
ZPM एक नई क्षेत्रिय पार्टी है और मान्यता प्राप्त पार्टी के रूप में पहली बार चुनाव लड़ रही है. अपने पहले ही प्रयास में इसने 40 में से 27 सीटें जीतकर मिजोरम की कमान अपने हाथ में ले ली है. इसके मुखिया लालडुहोमा (Lalduhoma) प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे.
1987 में मिजोरम के गठन के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस या MNF के अलावा कोई पार्टी तीसरी पार्टी सत्ता में आई है.
ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन हैं लालडुहोमा, जिन्होंने पहले ही प्रयास में मणिपुर फतह कर लिया है.
नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री पूरी करने के बाद, लालडुहोमा भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हो गए थे. इस नौकरी के साथ वे तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी बने थे. उन्होंने 1984 में सर्विस से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए और उसी साल लोकसभा के लिए चुने गए.
ZPM की शुरुआत 2017 में छह छोटे क्षेत्रीय दलों और सिविल सोसायटी समूहों के एक साझा मंच देने के रूप में हुई थी. 2018 में विधानसभा चुनावों के दौरान ये तक ये मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं थी, लेकिन इस मंच के 38 स्वतंत्र उम्मीदवार थे, जिनमें से आठ विधायक बन गए. इससे वो विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी की स्थिती में आ गए. 2019 में, चुनाव आयोग ने ZPM को एक पार्टी के रूप में मान्यता दी.
लालडुहोमा 2021 में सेरछिप सीट से निर्दलिय से ZPM पार्टी में आधिकारिक रूप से आ गए, लेकिन इसके चलते वे फिर से "दलबदल" कानून में फंस गए और विधायकी गंवानी पड़ी. इस सीट पर फिर उप-चुनाव हुआ जिसमें लालडुहोमा की जीत के साथ ZPM का पहला विधायक विधानसभा में पहुंचा.
चुनावों में ZPM और लालदुहोमा ने कांग्रेस और MNF दोनों के खिलाफ दशकों की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाया. उन्होंने MNF पर बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA का हिस्सा बनकर अपना क्षेत्रीय चरित्र खो देने का आरोप लगाया.
MNF की तरह, ZPM भी मिजो पहचान पर जोर देता है और लालदुहोमा ने अतीत में ज़ो जातीय समूह के सभी क्षेत्रों के एकीकरण के पक्ष में भी बात की है. इसमें मणिपुर के कुकी-जोमिस भी शामिल हैं.
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