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Punjab Election 2022: मैं यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को बहुत अच्छी तरह नहीं जानता. हालांकि अभी तक जो कुछ भी सुना, नकारात्मक ही सुना है, लेकिन मुझे भगवंत मान पर भरोसा है. मैं आम आदमी पार्टी को वोट करूंगा और वो भगवंत मान (Bhagwant Mann) की वजह से. ये कहना है दीप सिंह का, जो पंजाब में मालवा क्षेत्र के मंसा शहर के रहने वाले हैं.
दीप के दोस्त जो उनके साथ वर्कशॉप में बैठे थे और ताश खेल रहे थे, उनकी राय भी यही है. हालांकि एक ने नई बात ये कही कि वो कांग्रेस के उम्मीदवार मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moosewala) को वोट दे सकते थे, अगर वो अपने चुनावी कैम्पेन में थोड़ी विनम्रता दिखाते.
कुछ अनुमानों के अनुसार, माझा और दोआबा में आम आदमी पार्टी की संरचनात्मक कमजोरी की वजह से उसे मालवा क्षेत्र की 69 में से दो तिहाई सीटों को जीतना होगा, तभी वह पंजाब में स्पष्ट बहुमत पा सकती है.
मालवा में आम आदमी पार्टी भगवंत मान फैक्टर पर बहुत ज्यादा निर्भर है. वहीं माझा में हमने पाया कि अरविंद केजरीवाल की अपील यहां ज्यादा अहम रोल निभा रही है.
हालांकि मान फैक्टर अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग तरह से काम कर रहा है और इन अलग अलग फैक्टर्स का पारस्परिक प्रभाव ही तय करेगा कि आम आदमी पार्टी मालवा में वो सीटें जिनकी उसे जरूरत है, जीत पाती है या नहीं.
मानसा, जहां हम दीप और उसके दोस्तों से मिले थे. यहां वोटर्स की एक बड़ी संख्या का झुकाव आम आदमी पार्टी की तरफ भगवंत मान की वजह से है. जबकि वो स्थानीय कैंडिडेट डॉ. विजय सिंगला को कुछ खास पसंद नहीं करते. ये कई दूसरी सीटों पर भी है.
उदाहरण के लिए संगरूर शहर में कई वोटर्स ने कहा कि उन्हें लगता है कि कांग्रेस विधायक और मंत्री विजय इंदर सिंगला ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है, लेकिन वो आम आदमी पार्टी को वोट देंगे और भगवंत मान को मुख्यमंत्री बनाएंगे. ज्यादातर लोगों ने ये कहा कि वो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को बहुत अच्छी तरह नहीं जानते.
यहां रोचक ये है कि इनमें से कई वोटरों ने ये भी स्वीकार किया कि भगवंत मान ने सांसद रहते हुए संगरूर शहर पर ध्यान नहीं दिया और उनका ज्यादा फोकस संगरूर लोक सभा सीट की ग्रामीण सीटों पर रहा.
मलेरकोटला, पंजाब की एकमात्र मुस्लिम बहुसंख्यक सीट है और भगवंत मान के लोकसभा क्षेत्र संगरूर के तहत आती है. मलेरकोटला में यहां तक कि कांग्रेस उम्मीदवार और मंत्री रजिया सुल्तान को भी उनके पति आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा की अक्खड़ छवि की वजह से नुकसान होता दिख रहा है.
इरशाद कहते हैं, वो अपनी पूरी जिंदगी पुलिस अधिकारी रहे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें ऐसा लगता है कि वो पुलिसवाले हैं और लोगों से उसी तरह बात करते हैं. इस सीट पर कांग्रेस और आप के बीच कड़ी टक्कर है.
बरनाला में स्थिति थोड़ी अलग है, लेकिन यहां भी भगवंत मान की पॉपुलैरिटी से इनकार नहीं किया जा सकता. यहां आप के पास सिटिंग एमएलए मीत हायर के तौर पर एक मजबूत उम्मीदवार है, लेकिन वोटरों का कहना है कि इस क्षेत्र में उनका काम बहुत प्रभाव डालने वाला नहीं रहा है.
मालवा की कई सीटों पर जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट को या तो कोई नहीं जानता या वो किसी तरह की निगेटिविटी का सामना कर रहे हैं, लेकिन इन सभी कमियों पर भगवंत मान फैक्टर पार्टी के लिए काम कर रहा है. ये उन सीटों पर खास तौर से प्रभावी है जहां कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के कैंडिडेट भी उम्मीदों पर खरे नहीं हैं और बहुत ज्यादा नकारात्मकता का सामना कर रहे हैं.
हालांकि आम आदमी पार्टी की मुश्किलें उन सीटों पर बढ़ सकती है जहां कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और छोटी पार्टियों के कम से कम तीन उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर हो.
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