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उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election 2022) का आखिरी रण समाप्त हो चुका है. सूबे की सीटों को लेकर आमजन ने तरह-तरह के कयास लगाए थे, लेकिन नतीजे इन कयासों के बिल्कुल विपरीत आए हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने पूरे बुंदेलखंड की 19 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया था, जिसमेंं बांदा की चारों विधानसभा- बांदा सदर, नरैनी, बबेरू और तिंदवारी शामिल थीं. इस बार के नतीजों में बांदा की तीन विधानसभा में बीजेपी और एक विधानसभा सीट पर एसपी ने जीती है. सबसे बड़ा चौंकाने वाला प्रदर्शन बीएसपी का रहा है, जो कभी यहां टॉप रहा करती थी, वह अब हर जिले में तीसरे स्थान पर पहुंच गई है.
बांदा में चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी को हुआ था, यहां की तीन विधानसभा सीटें बीजेपी ने जीती हैं. वहीं एक पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया है. तीन विधानसभा सीट में बांदा सदर विधानसभा के प्रकाश द्विवेदी (बीजेपी) ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है तो वहीं नरैनी विधानसभा में ओम मणि वर्मा (बीजेपी) ने पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
इसी तरह तिंदवारी विधानसभा से पहली बार बीजेपी प्रत्याशी रहे रामकेश निषाद जोकि बीजेपी के जिलाध्यक्ष रहे और निषाद पार्टी के कोटे से टिकट लेकर चुनाव मैदान में आये ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की.
नतीजों से पहले यहां के लोगों ने ये अंदाजा भी नहीं लगाया था कि बीजेपी यहां से तीन सीट ले जाएगी.
15654 मतों से बीजेपी ने एसपी प्रत्याशी को मात दी.
बीजेपी प्रत्याशी ओममणि वर्मा ने एसपी प्रत्याशी किरण वर्मा को 6719 वोटो से हराया.
बीजेपी प्रत्याशी रामकेश निषाद ने एसपी के ब्रजेश प्रजापति को 28431 वोटों से हराया है. ये वही ब्रजेश प्रजापति हैं जो स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये थे.
एसपी प्रत्याशी विशम्भर सिंह यादव ने बीजेपी प्रत्याशी अजय पटेल को 7036 मतों से पराजित किया है.
एक समय पर बुंदेलखंड बीएसपी का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2017 के चुनाव में ये भगवा रंग में रंग गया. इस बार के नतीजो में भी बीएसपी वापस लौटती नहीं दिखाई दे रही है. बीएसपी के फायरब्रांड नेता कहे जाने वाले गयाचरण दिनकर भी तीसरे नंबर पर रहे हैं.
यहां की जनता लगातार बीजेपी में विश्वास बनाये हुए हैं. सबसे मजेदार तो तिंदवारी विधानसभा का चुनाव रहा है जिसमें चुनाव से पहले बीजेपी से इस्तीफा देकर स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ एसपी में शामिल हुए. ब्रजेश प्रजापति भी जनता का विश्वास नहीं जीत पाये और हार गये.
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