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उत्तर प्रदेश (UP Election Result 2022) की राजनीति में जनपद एटा (Etah) अपनी एक अलग ही खास पहचान रखता है. यह जनपद पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीमाओं को जोड़ता है. एटा जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र हैं. अलीगंज-103, एटा सदर-104, मारहरा- 105 और जलेसर-106. इस बार एटा जिले की चारों सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इससे पहले साल 2017 में भी बीजेपी ने चारों सीटों पर कब्जा जमाया था. सबसे बड़ी बात है कि यही चारों प्रत्याशी उस बार भी चुनावी मैदान में थे.
साल 2017 से पहले यह जिला समाजवादी पार्टी का गढ़ बोला जाता था. लेकिन, साल 2017 में आई बीजेपी की सुनामी में एसपी का ये किला ध्वस्त हो गया. इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां से सबसे ज्यादा नुकसान बीएसपी को हुआ है. यहां से उसका वोट परसेंटेज शेयर घटा है. वहीं, बीजेपी और एसपी का वोट परसेंटेज पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़ा है.
बीजेपी- सत्यपाल सिंह- 102576 वोट
एसपी- रामेश्वर सिंह- 98465 वोट
बीएसपी- जुनैद मियां-17687 वोट
कांग्रेस- सुभाष वर्मा-1026 वोट
बीजेपी- विपिन वर्मा- 97059 वोट
एसपी- जुगेन्द्र सिंह- 79501 वोट
बीएसपी- अजय यादव- 26648 वोट
कांग्रेस- गुंजन मिश्रा- 1478 वोट
बीजेपी- वीरेंद्र लोधी-101049 वोट
एसपी- अमित गौरव- 83030 वोट
बीएसपी- योगेश शाक्य-16792 वोट
कांग्रेस- तारारानी- 830 वोट
बीजेपी- संजीव दिवाकर- 91050 वोट
एसपी- रणजीत सुमन- 86408 वोट
बीएसपी- आकाश सिंह-19303 वोट
कांग्रेस- नीलिमा राज- 856 वोट
साल 1993 (जब एटा कासगंज एक हुआ करता था) में निधौलीकलां विधानसभा क्षेत्र से मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा था. उस समय उन्हें 41683 वोट मिले थे. मुलायम के नजदीकी प्रतिद्वंदी रहे बीजेपी से चुनाव लड़ रहे सुधाकर वर्मा को 34620 वोट मिले थे. उसी समय 1993 में कासगंज सदर से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह चुनाव लड़े थे. हालांकि, जब कल्याण सिंह एटा लोकसभा से सांसद बने थे, तो मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह को अपना समर्थन दे दिया था और वो खुद चुनाव नहीं लड़े थे.
योगी ने अपनी सभाओं में माफिया पर प्रहार, मजबूत लॉ एंड ऑर्डर की बातें बड़े प्रभावी तरीके से रखीं. वे सपा के शासन की गुंडागर्दी सबको बार बार याद दिलाते थे. इससे यहां एसपी के विरोध का माहौल बना.
बीजेपी की टीम ने यहां माइक्रो मैनेजमेंट किया. चुनाव रणनीति से लेकर चुनाव प्रबंधन तक जिसकी जो भी जिम्मेदारी थी कार्यकर्ता पदाधिकारियों ने उसका निर्वहन किया. इसका रिजल्ट इस परिणाम के रूप में मिला.
बीजेपी की सोशल मीडिया लोगों के बीच तूफानी तरीके से बीजेपी की उपलब्धियों और बातों को पहुंचाया. आईटी सेल ने हर योजना की छोटी से छोटी बात आम आदमी तक पहुंचाई.ग्राफिक और वीडियो बनाकर वॉट्सऐप के फॉरवर्ड किए गए.
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