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UP Chunav Ajamgadh results 2022: यूपी चुनाव(UP Chunav) के नतीजे आ चुके हैंं. भले ही योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य में प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया है. लेकिन मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पास के जिले आजमगढ़ की सभी सीटों पर बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया है. इस जिले में बीजेपी ने बेहद खराब प्रदर्शन किया. मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र की आठ में से आठ सीटों पर बीजेपी ने भले ही कामयाबी हासिल की है. लेकिन आजमगढ़ जिले की दसों सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया. योगी और मोदी की सभा और दौरे का यहां कोई असर नहीं हुआ. जनता ने अखिलेश के गढ़ में योगी और मोदी को सिरे से नकार दिया. आजमगढ़ में आए इन नतीजों के पीछे की वजह क्या है.
जीते - पूजा सरोज (सपा) वोट- 86960
दूसरे - मंजू सरोज (भाजपा) वोट-72811
जीते - आलम बदी (सपा) वोट-79835
दूसरे - मनोज (भाजपा) वोट-45648
जीते - अखिलेश यादव (सपा) वोट- 79808
दूसरे अरविंद जायसवाल (भाजपा) वोट- 51343
जीते - डॉक्टर संग्राम यादव (सपा) वोट-91502
दूसरे प्रशांत सिंह (भाजपा-निषाद पार्टी) वोट- 74255
जीते नफीस अहमद (सुभासपा) वोट-84401
-दूसरे - सतेंद्र राय (भाजपा) वोट-60094
जीते - डॉक्टर एचएन पटेल (सुभासपा) वोट- 83093
दूसरे बंदना सिंह (भाजपा) वोट-60578
जीते कमलकांत राजभर (सपा) वोट- 72877
दूसरे डॉक्टर कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा (भाजपा) वोट- 59911
जीते दुर्गा प्रसाद यादव (सपा) वोट- 100813
दूसरे अखिलेश मिश्रा (भाजपा) वोट- 84777
जीते रामाकांत यादव (सपा) वोट- 81164
दूसरे - रामसूरत राजभर (भाजपा) वोट- 55558
जीते बेचई सरोज (सपा) वोट- 83087
दूसरे - नीलम सोनकर (भाजपा) वोट- 68720
त्रिकोणीय लड़ाई की बातें हुईं, पर टक्कर तो बीजेपी सपा में ही...
1- आजमगढ़ जिले की सबसे चर्चित सीट दुर्गा प्रसाद यादव की रही। लगातार 9 बार से विधायक दुर्गा का अभेद किला ढहाने में भाजपा के उम्मीदवार असफल रहे। योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने सभा कर के जनता का रुख अपनी तरफ करना चाहा। लेकिन आखिर का यह सीट सपा की झोली में चली गई। जनता पर किसी की बातों का कोई असर नहीं हुआ।
2- निजामाबाद विधान सभा समाजवादी पार्टी के आलम बदी ने जीती। समाजवादी पार्टी से सुभासपा गठबंधन के बाद यहां जीत अधिक आसान हो गई थी। इस विधानसभा क्षेत्र में आलम की लोकप्रियता अधिक होने के कारण यह सीट तीन बार से समाजवादी पार्टी के खाते में जा रही थी। जनता ने इस बार भी भरोसा जताया है।
3- आजमगढ़ में दशकों से जातीय समीकरण विधानसभा चुनाव को प्रभावित करता रहा है। यहां यादव, मुस्लिम, पटेल और राजभर वोटर अधिक हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी इन के दम पर हर बार अधिकतर सीटों पर काबिज हो जाती है। 2017, 2019 और 2022 में आए परिणाम इसकी गवाही दे रहे हैं।
4- आजमगढ़ के सगड़ी विधानसभा में पटेल बिरादरी के वोटर अधिक है। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने पटेल कैंडिडेट उतारकर अपना रास्ता आसान कर लिया। वही राजभर के सहयोग से इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा। अखिलेश यादव की लोकप्रियता इस क्षेत्र में अधिक होने के कारण दूसरी पार्टी का दबदबा नहीं बन पाया है।
5- आजमगढ़ जिले के बड़े चेहरे दुर्गा प्रसाद यादव, आलम बदी, रामाकांत यादव, संग्राम यादव का दबाव और लोकप्रियता इस क्षेत्र में भाजपा के हार का बड़ा कारण बनी। जातीय समीकरण समाजवादी पार्टी के लिए मुफीद रही। ऐसे में यहां से भाजपा का खाता भी नहीं खुला।
6- आजमगढ़ की दीदारगंज विधानसभा सीट राजभर बाहुल्य है। इस बार चुनाव में समाजवादी पार्टी से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठबंधन क्षेत्र के लिए मुफीद साबित हुआ। और यह सीट समाजवादी पार्टी के खेमे में चली गई। सपा का गढ़ मानी जाने वाली आजमगढ़ की सभी सीटों पर यादव, मुस्लिम, पटेल और राजभर हावी रहे। जिससे दूसरे दल का खाता तक नहीं खुल पाया।
राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार स्वर्मिल चंद्रा ने बताया कि
आजमगढ़ के चक्रपानपुर में पीजीआई और एक्सप्रेसवे पिछली सरकार में ही मिल गए थे. वर्तमान सरकार ने आजमगढ़ के अंदर विश्वविद्यालय निर्माण शुरू कराया था बावजूद इसके जनता का विश्वास जीतने में सफल नहीं हुए. अब नए मुद्दों के जरिए विकास कार्य कराकर जनता में अपनी जगह बनाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है
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