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उत्तराखंड में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान, बीजेपी-कांग्रेस ने बनाया बैकअप प्लान

उत्तराखंड में हंग असेंबली के चांस देख कांग्रेस-बीजेपी की एक ही कोशिश,अपना किला बचाकर दूसरे के किले में सेंध लगानी है

क्विंट हिंदी
उत्तराखंड चुनाव
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<div class="paragraphs"><p>उत्तराखंड में त्रिशंकु विधानसभा</p></div>
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उत्तराखंड में त्रिशंकु विधानसभा

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एग्जिट पोल (Exit Poll) के आंकड़ों ने यदि कुछ राज्यों की स्पष्ट तस्वीर पेश की है तो वहीं कुछ राज्यों में हंग असेंबली के चांसेज भी दिखाए हैं. उत्तराखंड (Uttarakhand) में भी एग्जिट पोल कुछ ऐसा ही प्रदर्शित करता दिख रहा है. यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को यहां की कुल 70 सीटों में से 36 सीटें जीतना जरूरी हैं, पर बहुमत के इस आंकड़े तक कोई भी पार्टी पहुंचती नहीं दिख रही. ऐसे में इस राज्य में अभी से ही हलचल मचना शुरू हो गई है.

त्रिशंकु विधानसभा की इस आशंका के चलते दोनों ही बड़ी पार्टियों को जहां एक और खुद के लिए बहुमत जुटाने की टेंशन है, वहीं उन्हें इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं दूसरी पार्टियां उनके विधायकों को तोड़कर न ले जाएं. इस खतरे से बचने के लिए राज्य की दोनों ही बड़ी पार्टियों ने अपने अपने मुख्य और बैकअप प्लान तैयार कर लिए हैं. आइए जानते हैं बीजेपी और कांग्रेस के प्लान के बारे में.

बीजेपी अलर्ट, मेन और बैकअप प्लान भी तैयार

बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय मतगणना के बाद बनने वाली परिस्थितियों को भांपकर पार्टी नेताओं के साथ बैठकें करने लगे हैं. पार्टी के अंदरखाने के सूत्रों ने जानकारी दी है कि नतीजों आने के बाद सरकार गठन के लिए पार्टी थिंक टैंक ने मेन प्लान और बैकअप प्लान तैयार कर लिए हैं. सबसे पहले तो जो मुख्य प्लान बनाया गया है वह यह मानकर बनाया गया है कि बीजेपी को अपने दम पर पूर्ण बहुमत मिलने वाला है तो इस स्थिति में वह किसी अन्य दल का समर्थन लिए बिना सरकार बनाएगी. इस प्लान में सबसे जरूरी ध्यान अपने विधायकों को तोडफोड़ से बचाने का है, जिससे सरकार गठन के काम तक सब कुछ निर्बाध तौर पर निपट जाए.

इसके अलावा एक बैकअप प्लान भी तैयार किया गया है. इसमें इस स्थिति को साेचा गया है कि जब कांटे की फाइट होगी और एक दो सीट का ही अंतर सरकार गठन के लिए रह जाएगा तो उस समय सीनियर लीडरशिप तेजी से एक्टिव मोड में आएगी और वे यह स्ट्रेटजी बनाएंगे कि कैसे बीजेपी को दोबारा उत्तराखंड की कुर्सी पर बैठाया जाए. यदि बीजेपी ही सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है तो उस समय स्टेट बीजेपी के बड़े नेता जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पाले में लाने के लिए जी तोड़ कोशिश करेंगे. वैसे निर्दलीयों को रिझाने के प्रयास तो अभी से इस राज्य में होने लगे हैं.
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कांग्रेस: फोकस क्लीयर, विधायकों को टूटने नहीं देना

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश चुनाव से फ्री हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अब उत्तराखंड के मोर्चे पर तैनात कर दिया है. वे यहां परिणामों के आने के बाद की प्रबंधन रणनीति तैयार करेंगे. भूपेश के अलावा कांग्रेस ने अपने कई वरिष्ठ नेताओं को पांचों चुनावी राज्यों में तैनात कर दिया है, जिससे वह चुनावी परिणाम के बाद आवश्यक निर्णय ले सकें और उस समय की स्थितियों को ध्यान में रखकर रणनीति बनाएं. कांग्रेस के पदाधिकारियों की अहम बैठकें शुरू हो चुकी हैं. कांग्रेस पार्टी कार्यालय में कंट्रोल रूम बना दिया गया है, जबकि एक निजी होटल में वार रूम बनना शुरू हो चुका है.पार्टी की ओर से छोटी पार्टियों व निर्दलीयों से संपर्क करना शुरू कर दिया गया है.

कांग्रेस को जिन राज्यों में लचर प्रदर्शन की आशंका है उनको सेकेंडरी रखकर उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्यों में अपना किला सुरक्षित रखने पर उनका ज्यादा ध्यान है. भूपेश बघेल को हाईकमान की ओर से निर्देशित कर दिया गया है कि उत्तराखंड में कड़ी टक्कर देखते हुए कांग्रेसी इस बार वहां कोई लापरवाही नहीं करना चाहती. ऐसे में कांग्रेस के निर्वाचित विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने और निर्दलीयों को भी दूसरे पाले में न जाने देने का प्रबंधन भूपेश बघेल व अन्य पार्टी नेताओं करना होगा.

निर्दलीयों पर डाले जाने लगे डोरे

जब 'क्विंट हिंदी' ने राज्य की सियासत का रुख भांपने जीतने की स्थिति में दिख रहे कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों से चर्चा की तो उन्होंने पुष्टि की कि बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही दल उनसे चुनाव बाद समर्थन के लिए संपर्क कर रहे हैं.

राज्य में चुनाव लड़े सबसे मजबूत निर्दलीयों में से पहला नाम टिहरी से उत्तराखंड जन एकता पार्टी के अध्यक्ष दिनेश धनै का आता है. वह पहले भी निर्दलीय विधायक रहते हुए कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं. दिनेश धनै ने हमसे चर्चा में बताया कि उनसे कांग्रेस और बीजेपी लगातार संपर्क कर रही हैं, लेकिन वह उसी पार्टी को अपना समर्थन देंगे, जो बहुमत के नजदीक होगी. यह तो 10 मार्च का दिन ही तय करेगा कि वह किसको अपना समर्थन देंगे.

एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत जो रुद्रप्रयाग जिले की सबसे हाॅट सीट मानी जानी वाली केदारनाथ विधानसभा से चुनाव लड़ रहे वे भी अपनी मजबूत स्थिति के चलते जीत के दावेदार हैं. उन्होंने कहा कि, मुझसे बीजेपी व कांग्रेस ने संपर्क किया है, लेकिन किस दल को समर्थन दूंगा, यह दस मार्च को ही मालूम हो पाएगा, अभी इस बारे में कुछ भी कहना बहुत जल्दबाजी होगी.

बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल से भी हमने बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पास लगातार बड़े दलों के नेताओं के फोन आ रहे हैं. पर उन्होंने भी दो टूक सभी दलों को जवाब दे दिया है कि जो बीएसपी सुप्रीमो मायावती का आदेश होगा, उसे ही माना जायेगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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