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प्रकाश अंबेडकर को गठबंधन में शामिल करने को लेकर फंसा गया मामला?

कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बातचीत के बाद भी मामला अब तक फंसा दिख रहा है.

रौनक कुकड़े
चुनाव
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महाराष्ट्र में अगर शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को में धूल चटानी है तो प्रकाश अंबेडकर को साथ लेना जरूरी है
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महाराष्ट्र में अगर शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को में धूल चटानी है तो प्रकाश अंबेडकर को साथ लेना जरूरी है
(फोटोः PTI)

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कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन इस बात को अच्छी तरह जानता है कि महाराष्ट्र में अगर शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को लोकसभा चुनाव में धूल चटानी है, तो उन्हें प्रकाश अंबेडकर को साथ लेना जरूरी है. लेकिन करीब एक महीने से प्रकाश अंबेडकर के साथ कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बातचीत के बाद भी मामला अब तक फंसा हुआ ही दिख रहा है.

कांग्रेस-एनसीपी हो या प्रकाश अंबेडकर की पार्टी, दोनों एक-दूसरे को पत्र लिखकर आरोप लगाने में ही ज्‍यादा व्यस्त लग रहे हैं. पर ये भी सच है कि महीनेभर बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकालने के बावजूद कांग्रेस-एनसीपी प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी से बातचीत जारी रखकर दलित समाज में ये संदेश देने की कोशिश में है कि हमने गठबंधन की पूरी कोशिश की.

क्या है प्रकाश अंबेडकर की कांग्रेस-एनसीपी से प्रमुख मांग

प्रकाश अंबेडकर ने कांग्रेस-एनसीपी नेताओं के सामने शर्त रखी है कि वे ये साफ करें कि अगर वे सत्ता में आते हैं, तो वे RSS को संविधान के दायरे में लाने को लेकर क्या कदम उठाएंगे. अंबेडकर की मांग पर कांग्रेस का कहना है कि अंबेडकर पत्र तैयार करें, वे हस्ताक्षर करने को तैयार हैं.

लेकिन कांग्रेस के इस ‘ट्रैप’ में अंबेडकर फंसते नहीं दिख रहे हैं. कांग्रेस के इस जवाब पर अंबेडकर ने कहा कि इतने साल सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी, जिनके पास कई बड़े वकील पार्टी में मौजूद हैं, वे एक RSS को कैसे संविधान के दायरे में लाएंगे, ये क्‍या पत्र तक नहीं ड्राफ्ट कर सकते हैं?

इतना ही नहीं, प्रकाश अंबेडकर की पार्टी ने 22 लोकसभा सीट देने की मांग भी कांग्रेस-एनसीपी के सामने रख दी है. इनमें अशोक चव्हाण की नांदेड़, शरद पवार की माढा और बारामती की सीट भी शामिल है.

क्यों महत्वपूर्ण हैं प्रकाश अंबेडकर?

कांग्रेस-एनसीपी प्रकाश अंबेडकर को अपने साथ इसलिए लाना चाहती है, ताकि महाराष्ट्र में दलित वोटों का बंटवारा रोका जा सके, नहीं तो इसका फायदा बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को हो सकता है.

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव की घटना के बाद से ही दलित समाज में बीजेपी सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है. भीमा कोरेगांव की घटना के बाद प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के साथ हाथ मिलकर, दलित और मुस्लिम वोटों को साथ लाने का शानदार प्लान तैयार किया, जिसका असर भी अंबेडकर की सभाओं में दिख रहा है.

कांग्रेस और एनसीपी के परंपरागत वोटर जिस तरह प्रकाश अंबेडकर के साथ नजर आ रहे हैं, उसने निश्चित तौर पर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है.

इतना ही नहीं, जिस तरह का रिस्‍पॉन्‍स फिलहाल प्रकाश अंबेडकर को मिल रहा है, उसे देखते हुए वे सोच रहे हैं कि अगर महाराष्ट्र में अकेले दम पर लड़े और कुछ सीटों पर जीत हासिल हुई और बीजेपी या कांग्रेस, दोनों सरकार बनाने की स्थिति में नहीं रही, तो वे तीसरे मोर्चे की सरकार में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

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राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं प्रकाश अंबेडकर

क्‍विंट के सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से कई बार बातचीत के बाद भी कोई ठोस फैसला न होने की वजह से अगले हफ्ते प्रकाश अंबेडकर और राहुल गांधी से दिल्ली में अपने प्रमुख मुद्दों को लेकर मुलाकात करेंगे.

बताया जा रहा है कि कांग्रेस-एनसीपी प्रकाश अंबेडकर के लिए पहले 4 लोकसभा की सीट छोड़ने को तैयार थी, लेकिन प्रकाश अंबेडकर को मनाने के लिए एक सीट और छोड़ सकती है. अगर सत्ता मिलती है, तो अंबेडकर के लिए एक राज्यसभा सीट देने को भी तैयार है.

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