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बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू और फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप आईटी की रेड को लेकर चर्चा में है. उनके घर और दफ्तर पर पड़ी इस रेड को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं, बता दें कि अनुराग कश्यप और तापसी सरकार की कई नीतियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं.
मोदी सरकार के लिए तीन कृषि कानून सिर दर्द बना हुआ है, किसान करीब तीन महीने से बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. जिसका समर्थन इन दोनों सेलेब्स ने किया था. अनुराग कश्यप और तापसी दोनों ने ही किसानों का समर्थन किया. जब पॉप स्टार रिहाना ने किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट किया था, तो तापसी ने ट्विटर पर लिखा था-
कोरोना के वक्त जब पीएम मोदी ने पूरे देश से लाइट बंद कर कैंडल जलाने की अपील की थी. तब तापसी ने ट्वीट किया था.
अनुराग कश्यप पिछले साल प्रदर्शनकारियों से मिलने शाहीन बाग गए थे और उन्होंने वहां बिरयानी भी खाई थी. अनुराग कश्यप लगातार नागरिकता कानून के विरोध में बोलते रहे. शाहीन बाग जाने से पहले कश्यप जामिया भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने छात्रों को संबोधित भी किया.
अनुराग कश्यप ने शाहीन बाग पहुंचकर बिरयानी खाने की बात ट्विटर पर भी शेयर की थी. उन्होंने लिखा था कि दादियों का जितना प्यार है उतना कभी नहीं देखा. कश्यप ने ट्विटर पर लिखा,
2019 में अनुराग कश्यप ने नरेंद्र मोदी सरकार को 'अहंकारी' और 'अनपढ़' करार दिया था, भारतीय संसद द्वारा नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सीएए) के पारित किए जाने के बाद अनुराग ने सरकार पर हमला बोला था,
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जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने आलोचना की थी. बिना किसी का नाम लिए कश्यप ने लिखा था कि एक आदमी को लगता है कि वो जानता है कि 120 करोड़ लोगों के लिए क्या सही है और इसे लागू करने के लिए उसके पास पावर भी है.
अनुराग कश्यप एक चिट्ठी पर साइन करने के लिए भी खबरों में आए थे. इस चिट्ठी के मुताबिक, देशभर मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं और ‘जय श्री राम’ एक युद्धघोष बन गया है. जिसको लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी.
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