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'इंग्लिश विंग्लिश' फेम डायरेक्टर गौरी शिंदे ने बॉलीवुड फिल्मों में क्या बदला?

Gauri Shinde की बात प्रोड्यूसर ने नहीं मानी तो उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू की

डॉ विजय शर्मा
बॉलीवुड
Published:
<div class="paragraphs"><p>इंग्लिश विंग्लिश बनाने वाली गौरी शिंदे ने बालीवुड की फिल्मों में क्या बदलाव लाया</p></div>
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इंग्लिश विंग्लिश बनाने वाली गौरी शिंदे ने बालीवुड की फिल्मों में क्या बदलाव लाया

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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गौरी शिंदे (Gauri Shinde) ऐसी डायरेक्टर हैं, जिनकी पहली फिल्म ने ही उन्हें शिखर पर बैठा दिया. उन्होंने हमेशा लीक से हट कर काम किया. हालांकि उन्हें यह काम करने में शुरू में काफी अड़चनें आईं. लेकिन वह अपने स्टैंड पर टिकी रहीं और उन्होंने जैसा सोचा वैसी ही फिल्में बनाईं.

नतीजा ये हुआ कि पहली फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ के लिए उन्हें इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अकादमी का बेस्ट डेब्यू डॉयरेक्टर का पुरस्कार मिला. उन्हें फिल्मफेयर से भी अवॉर्ड मिला. इंडियन स्क्रीन अवॉर्ड्स और टाइम्स ऑफ इंडिया ने उन्हें बेस्ट प्रॉमिसिंग डेब्यू डॉयरेक्टर माना.

गौरी शिंदे ने एक फॉर्मूले पर बनने वाली फिल्मों की धारणा को बदला

6 जुलाई 1974 को पूणे में जन्मी गौरी शिंदे ने बॉलीवुड की प्रचलित धारणा – फार्मूलाबद्ध फिल्में चलती हैं – को बदल दिया.

गौरी शिंदे के प्रोड्यूसर चाहते थे कि जब वे श्रीदेवी को लेकर फिल्म बना रहीं हैं, तो फिल्म में कम-से-कम एक आइटम सॉन्ग होना ही चाहिए. साथ ही वे चाहते थे कि श्रीदेवी के साथ बॉलीवुड के किसी प्रसिद्ध अभिनेता को रखा जाए.

उन्हें फिल्म की लीड के साड़ी पहनने पर भी आपत्ति थी. जब गौरी ने देखा कि प्रोड्यूसर अपनी बात पर अड़े हुए हैं, तो उन्होंने उस प्रोड्यूसर को बाहर का रास्ता दिखाया और अपने पति आर बाल्कि के साथ मिल कर अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘होप प्रोडक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड’ शुरू की.

आज एक दशक बीत जाने के बाद भी लोग ‘इंग्लिश विंग्लिश’ फिल्म और गौरी शिंदे को उनके काम से याद करते हैं. फिल्म दर्शकों और समीक्षकों द्वारा सराही गई और इसने सांस्कृतिक रूप से समाज में हस्तक्षेप किया.

विज्ञापन की दुनिया से आने वालीं गौरी शिंदे ने सोचा था कि अपनी मां के अनुभव पर आधारित एक फिल्म बनाएंगी. निर्देशक, लेखक, प्रोड्यूसर गौरी शिंदे ने चार साल बाद 2016 में एक बार फिर बॉलीवुड के सितारों को लेकर फिल्म बनाई. इस बार उनकी फिल्म ‘डियर जिंदगी’ में एक नहीं दो सितारे थे. ‘डियर जिंदगी’ की कहानी कृष्णन हरिहरन ओर कौसर मुनीर ने लिखी और इसका मजबूत संगीत अमित त्रिवेदी ने दिया. गोवा की खूबसूरत सिनेमाटोग्राफी का श्रेय लक्ष्मण उटेकर को जाता है. डायलॉग इस फिल्म को जानदार बनाते हैं.

‘डियर जिंदगी’ में कायरा (आलिया भट्ट) एक उभरती हुई सिनेमाटोग्राफर हैं, जिसे सटीक जिंदगी की तलाश है. इस चक्कर में वह कई लोगों से अपने रेलशनशिप को तोड़ती है, माता-पिता से भी वह गुस्सा है. हां, छोटे भाई किडो (रोहित शराफ) से उसकी बनती है.

अपनी परेशानियों के सिलसिले में वह एक लीक से हट कर सोचने वाले साइक्लोजिस्ट डॉक्टर जहांगीर खान (शाहरुख खान) से मिलती है. जहांगीर उसे जिंदगी का नया नजरिया देता है. कयारा को समझ आता है कि सटीक कुछ नहीं होता, अपूर्णता में ही पूर्णता है, कमियों के साथ जीवन की खुशियां हैं. गुजराती फिल्म ‘हेलो जिंदगी’ से प्रेरित यह फिल्म जिंदगी का अलग नजरिया प्रस्तुत करती है.

गौरी शिंदे ने आर बाल्कि के साथ मिल कर कई फिल्में प्रोड्यूस की हैं, जैसे ‘चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट’ उनमें से एक है. लेकिन दर्शकों को उनके निर्देशन में आने वाली फिल्म का इंतजार है.

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