जावेद साहब की कलम से निकले वो डायलॉग,जो आम जिंदगी के मुहावरे बन गए
जावेद अख्तर ने बॉलीवुड को कई दमदार डायलॉग्स दिए, जिनका 30-40 सालों बाद भी उतना ही क्रेज है.
आकांक्षा सिंह
सितारे
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जश्न-ए-रेख्ता में बतौर वक्ता शामिल होंगे जावेद अख्तर, विशाल भारद्वाज
फोटो:Twitter
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अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना जैसे सुपर स्टार्स की चमक-दमक वाले 70 और 80 के दशक में बॉलीवुड में लेखकों की एक जोड़ी थी जो इन स्टार्स से भी ज्यादा रसूख रखती थी. उनकी कलम से कहानी नहीं पैसा निकलता था.वो जोड़ी थी सलीम-जावेद की. कहानियों के साथ-साथ इस जोड़ी ने सैंकड़ों ऐसे डायलॉग लिखे जो आम जिंदगी के मुहावरे बन गए.
वक्त के साथ सलीम खान साहब ने तो फिल्मों को अलविदा कह दिया लेकिन जावेद साहब अपने गीतों, कहानियों , शायरी के जरिए सिनेमा और कला-साहित्य के क्षेत्र में बने रहे. हम आपको दिखाते हैं इस जोड़ी के मेरे पास मां है से लेकर मोगैम्बो खुश हुआ तक के वो बेस्ट डायलॉग जो कभी ना कभी आपने भी जरूर बोले होंगे.
“मेरे पास मां है”(फोटो: क्विंट हिंदी)
“ये पुलिस स्टेशम है, तुम्हारे बाप का घर नहीं”(फोटो: क्विंट हिंदी)
“अरे ओर सांबा, कितने आदमी थे?”(फोटो: क्विंट हिंदी)