बेकायदे की ‘पागलपंती’ में देखने लायक ज्यादा कुछ नहीं

पूरी फिल्म में सिर्फ पागलपंती ही हुई है.

स्तुति घोष
मूवी रिव्यू
Updated:
पूरी फिल्म में सिर्फ पागलपंती ही हुई है.
i
पूरी फिल्म में सिर्फ पागलपंती ही हुई है.
(फोटो : क्विंट / आर्णिका)

advertisement

उस फिल्म के बारे में कोई कितना कह सकता है, जिसके पास खुद कहने के लिए कुछ भी नहीं है? पूरी फिल्म में सिर्फ पागलपंती ही हुई है. फिल्म के ट्रेलर में भी कहा गया था कि 'दिमाग न लगाना, क्योंकि इनमें नहीं है'. तो इनके पास जो है, उसके बारे में इस रिव्यू में बताया जा रहा है.

फिल्म में एक किरदार है- नीरज मोदी. नाम के आखिरी अक्षर को बदल देने के बावजूद आप समझ ही गए होंगे कि ये मिस्टर मोदी कौन हैं, जो हीरे और पैसे लेकर यहां से भाग गए. इनामुल हक में ये किरदार निभाया है. देशभक्ति का जज्बा सारे किरदारों की रगों में दौड़ता हुआ दिखाया गया है. आखिर में एक मोड़ ऐसा भी आता है है जब ये 'कॉमेडी फिल्म' बिना इंडिकेटर दिए ऐसे ट्रैक बदलती है कि ऐसा लगता है मानों अगर ये फिल्म पसंद नहीं आई, तो क्या मैं 'एंटी नैशनल' हूं?

(फोटो : ट्विटर)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

फिल्म के फर्स्ट हाफ को "पागलपंती" ही करार दिया जा सकता है. कोई प्यार में पड़ रहा है तो कोई ऐसे ही गिर-पड़ रहा है. इंटरवल के बाद जब फिल्म आगे बढ़ती है तो हम धीरे-धीरे अपना सब्र खोने लगते हैं. यहां तक कि पागलपन के लिए भी एक तरीका और स्किल की एक निश्चित महारत होना जरूरी है. यहां तो बिलकुल ही रायता है. 'पागलपंती' में जरूरत से ज्यादा भीड़ है. इनमें से अरशद वारसी की कॉमिक टाइमिंग बहुत अच्छी है. वो अपने एक्सप्रेशन से ही हंसा देते हैं. उनके पास सबसे अच्छे डायलॉग्स भी आए हैं और उन्होंने इनका बेहतरीन इस्तेमाल किया है. साथ में अनिल कपूर और सौरभ शुक्ला के होने से हम फिल्म को पूरा देख पाते हैं.

तीनों एक्ट्रेस कृति खरबंदा, इलियाना डिक्रूज और उर्वशी रौतेला को एक-एक गाना मिला जिसमें उन्हें अपने ठुमके दिखाने का मौका मिला.  

मेकर्स ने कई दिशाओं में फिल्म को भटका दिया. जानवर आ जाते हैं, भूत बंगला खुल जाता है, फिर भी एक भी जोक पर हंसी नहीं आती. पागलपंती की भी हद होती है. इस फिल्म को थोड़ा और छोटा होना चाहिए था. बाकी ये फिल्म आपको कितनी पसंद आएगी, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप कितने 'सहनशाह' हैं.

आखिर में इस फिल्म के बारे में ये कहा जा सकता है कि ये 'हाउसफुल 4' से थोड़ी बेहतर है.

5 में से 1.5 क्विंट.

ये भी पढ़ें- ‘मोतीचूर चकनाचूर’Review: घिसी-पिटी कहानी, दर्शकों के अरमान चकनाचूर

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 22 Nov 2019,09:54 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT