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सिंबा में एक डायलॉग बार-बार सुनाई देता है- 'जे माला माहीत नाही ते सांगा', जिसका मतलब है कि मुझे ऐसा कुछ बताओ जो मैं नहीं जानता ! यही हम निर्देशक रोहित शेट्टी को बताना चाहते हैं! सिंबा में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे हमने पहले ही नहीं देखा है. 80 के दशक की रेप का बदला लेने वाला ड्रामा और चोर-पुलिस की लड़ाई. सब कुछ बहुत ही जानी-पहचानी थीम है.
सिंबा (रणवीर सिंह) बड़ा होकर पुलिस ऑफिसर बनना चाहता है. इसलिए उसके हाथ पर "पुलिस" लिखा टैटू होता है. जाहिर सी बात है कि मृतक की आत्मा की शांति के लिए बदला लिया जाता है. और तो और, बदला लेने ले बाद हमें मृतक की मुस्कुराती हुई आत्मा भी दिखाई देगी, जो ये बताएगी कि वाकई उसे शांति मिली है!
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रणवीर सिंह एनर्जी का एक पावरहाउस हैं. यहां जब वह अपनी पुलिस की वर्दी पहनते हैं, तो वो किसी सुपरहीरो की कॉस्ट्यूम से कम नहीं लगती. वे फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर से ज्यादा लाउड हैं. सिंबा रणवीर की वजह से पैसा वसूल और मजेदार है! रणवीर के सामने विलेन भी टक्कर का होना चाहिए, इसलिए सोनू सूद को लाया गया.
सारा अली खान को स्क्रीन पर लाने के लिए गाने आते हैं. इसलिए 'आंख मारे' और 'तेरे बिन नहीं लगदा दिल मेरा ढोलना' गानों के लिए वो नजर आती हैं. और उसके बाद वो गायब हो जाती हैं.
2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म में सेकेंड हाफ ज्यादा लंबा खिंचता हुआ लगता है, जिसमें वुमन एम्पावरमेंट के बड़े-बड़े मैसेज दिए गए. लेकिन जब रणवीर जैसे एक्टर के मुंह से ये मैसेज निकलते हैं, तो सिंबा को एक बार देखा जाना चाहिए. फिल्म देखकर एक अजीब तरह का अहसास पैदा होता है जो धीरे-धीरे आपके अंदर बढ़ता है.
मैं इसे 5 में से 3 क्विंट दूंगी.
हालांकि 'दीवार' की आइकॉनिक सीन से इसकी तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन फाइट के बीच अचानक हीरो और विलेन के बीच भारी-भरकम डायलॉगबाजी देखकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई. जब सोनू सूद सिंबा को बताता है कि वो अनाथ है, तो रणवीर जवाब देता है - “ना ही अब मेरे पास मां है, बाप है, बहन है, भाई भी नहीं है...पर वो तो अब तेरे पास भी नहीं है."
हाहाहा हिक्क! ड्रिंक करके सिंबा देखिए- तब ये सुरक्षित है!
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