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शाहरुख खान (Shahrukh Khan) ने फिल्म पठान (Pathaan) के साथ करीब 4 सालों के बाद बड़े पर्दे पर वापसी की है. सिद्धार्थ आनंद भी अपनी फिल्म में शाहरुख खान को हीरो जैसा वेलकम देते हैं, जिसके बाल काफी लंबे हैं, वो थोड़ा बुड्ढा और समझदार हो गया है, लेकिन उसकी डिंपल वाली स्माइल और टिमटिमाती आंखें इस बात की याद दिलाती हैं कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलती.
पठान यशराज फिल्म्स की अन्य जासूसी थ्रिलर और श्रीधर राघवन की एजेंट विनोद के लिए एक संकेत है. फिल्म के एक्शन सीक्वेंस भी काफी हद तक Mission Impossible और अन्य जेम्स बॉन्ड की फिल्मों से प्रेरित हैं, इतने डिस्पेंसेबल प्लॉट के साथ, ऐसा क्या है जो इस फिल्म का जश्न मनाने के लिए एक देश को एक साथ लाया है? वो है शाहरुख खान की विरासत, फिल्म के हर किरदार को शाहरुख के लार्जर देन लाइफ पर्सनालिटी को उभारने के लिए डिजाइन किया गया है.
जैसे-जैसे कथानक गहरा होता है, हमें फ्लैशबैक (और अधिक फ्लैशबैक) से बताया जाता है कि पठान को उसका नाम कैसे मिला, जिम के साथ उसकी शुरुआती मुलाकातें, रुबिया (दीपिका पादुकोण) के साथ उसकी पहली मुलाकात और घातक विश्वासघात. समय और चोटों ने पठान को सख्त कर दिया है, लेकिन कोई भी चीज उसे झुका नहीं सकती.
एक्शन सीक्वेंस फिल्म की टैग लाइन के लिए सही हैं- अपनी सीट बेल्ट बांध लीजिए. हर सफल हिंदी हीरो और विलेन के पीछे एक अच्छी फाइट होती है, और मैं आपको विश्वास दिलाती हूं, आप पठान पर अपना पैसा दांव पर लगा सकते हैं.
अगर वॉर में ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ की भिड़ंत ने आपको सीट से बांधे रखा, तो शाहरुख और जॉन के बीच फाइट सीन पर आप सीटी बजाने लगेंगे.
शाहरुख (Shahrukh Khan) की वापसी देखकर शानदार लगता है और शाहरुख ने फिर साबित कर दिया है कि वे केवल खान नहीं किंग खान है. शाहरुख की आंखें नम दिखाई देती हैं जब वह अफगानिस्तान में होते हैं, किसी मिशन पर. उनका लुक भी रफ-टफ दिखता है और स्टंट करते हुए भी शाहरुख शानदार लगते हैं, ये साबित करता है कि शाहरुख रोमांटिक किरदारों के किंग खान तो है ही साथ ही साथ एक शानदार एक्शन हीरो भी हैं.
जॉन भी शाहरुख के किरदार के बराबर ही दिखाई देते हैं बस अंतर इतना था कि वे विलन के किरदार में हैं, दीपिका और उनके स्टाइल को भी सौ में से सौ नंबर मिलने चाहिए, आशुतोष राणा और डिंपल कपाड़िया ने भी अपना अपना किरदार बखूबी निभाया.
जब सिद्धार्थ आनंद की बात आती है, तो आप सॉफ्ट नेशनलिज्म की उम्मीद कर सकते हैं, और पठान इससे अलग नहीं हैं. हालांकि, फिल्ममेकर यह तय करते हैं कि अंधे राष्ट्रवाद को उदारतापूर्वक नहीं परोसा जाता है जैसा कि हाल की कई फिल्मों में देखने को मिलता है. पठान फिल्म में कोई "अच्छा मुस्लिम बनाम बुरा मुस्लिम" जैसी स्थिति नहीं है, विलेन स्टीरियोटाइप नहीं है. यह फिल्म सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि अन्य पड़ोसी देशों के लिए भी है.
पठान फिल्म हमें यह याद दिलाती है कि शाहरुख खान करिश्माई दिल्ली का लड़का है, जिसने अपने टेलीविजन डेब्यू फौजी से ही लोगों का दिल जीत लिया था.
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