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Shehzada Film Review: लॉजिक छोड़ दें तो मनोरंजक है कार्तिक आर्यन की 'शहजादा'

कार्तिक आर्यन की 'शहजादा' 'अला वैकुंठप्रेमुलू' की हिंदी रीमेक है.

प्रतीक्षा मिश्रा
एंटरटेनमेंट
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<div class="paragraphs"><p>Shehzada Film Review: लॉजिक निकल दें- तो मनोरंजन से भरपूर है कार्तिक आर्यन की 'शहजादा'</p></div>
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Shehzada Film Review: लॉजिक निकल दें- तो मनोरंजन से भरपूर है कार्तिक आर्यन की 'शहजादा'

(फोटो साभार: यूट्यूब)

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अल्लू अर्जुन-स्टारर अला वैकुंठप्रेमुलू (AVPL) की हिंदी रीमेक, शहजादा (Shehzada), एक क्राइम थ्रिलर की तरह शुरू होती है - एक तूफानी रात, एक अस्पताल के हॉल में एक बच्चे के रोने की आवाज गूंजती है.

वाल्मीकि (परेश रावल) को अपने बेटे के जन्म की खबर मिलती है और उसे जल्द ही पता चलता है कि उसके मालिक और पूर्व मित्र रणदीप नंदा (रोनित रॉय) भी एक बेटे के पिता हैं.

वाल्मीकि ने दोनों बच्चों की अदला-बदली कर दी, उसने इस प्रक्रिया में एक से ज्यादा अपराध किए. उनके बेटे को रणदीप और उनकी पत्नी यशु नंदा (मनीषा कोइराला) ने राज (अंकुर राठी) के रूप में ऐशो आराम में पाला है. तो वहीं वाल्मीकि ने उनके बेटे बंटू को (कार्तिक आर्यन) सीमित साधनों में पाला.

शहजादा के एक सीन में कार्तिक आर्यन और कृति सनोन.

(फोटो साभार: यूट्यूब)

शहजाना साउथ की फिल्म AVPL (Ala Vaikunthpurramuloo) की रिमेक है. AVPL में इन दोनों बच्चों बंटू और राज के आंतरिक संघर्षों को अच्छी तरह से दिखाया गया है. बंटू आकर्षक, साहसी है, और लड़ाई से नहीं शर्माता है लेकिन फिर भी, उसका पूरा जीवन अपने पिता की नफरत से घिरा हुआ है. दूसरी ओर राज अक्षमता के स्तर तक कूट-कूट कर भरा हुआ है और अपनी विरासत के दबाव से भी दबा हुआ

शहजादा का एक दृश्य.

(फोटो साभार: यूट्यूब)

शहजादा में राज को इस हद तक बचकाना बना दिया जाता है कि उसकी सही शिकायत भी कुछ ऐसे रोने जैसी लगती है जैसे कि उसने कार्टियर मांगी हो और उसे रोलेक्स गिफ्ट में मिल गई हो. उसका रोल विशुद्ध रूप से बंटू की मर्दानगी के खिलाफ तुलना करने और उसका मजाक बनाने के लिए लिखा गया है.

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अनुकूलित पटकथा का श्रेय निर्देशक रोहित धवन को दिया जाता है, जबकि मूल कहानी और पटकथा एवीपीएल के निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास ने लिखी है.

कहानी हर उस व्यक्ति को किनारे कर देती है जो बंटू नहीं है. लेकिन फिर भी, मनीषा कोइराला, परेश रावल, और रोनित रॉय सभी अलग दिखते हैं क्योंकि वे सभी अनुभवी अभिनेता हैं जो किसी भी तरह से अपने रोल को निखारना जानते हैं.

सनी हिंदुजा एक गैंगस्टर के रूप में भी काम करता है, जिसका बिजनेस रणदीप के कारण खराब हो रहा है. जब वह एक भयानक व्यक्तित्व बनने की पूरी कोशिश करता है, तो उसे भी लीड के लिए दरकिनार कर दिया जाता है.

कार्तिक आर्यन अपने कंफर्ट जोन में सही लगता है, जो एक के बाद एक एक्शन सीन को आसानी से करता है.

कृति सेनन के किरदार का नाम समारा है, जो एक बड़ी वकील है. समारा कभी भी कोर्टरूम के अंदर नहीं दिखती और इस किरदार को सिर्फ लव इंटरेस्ट के लिए गढ़ा गया है.

हालांकि, समारा फिल्म से गायब हो जाती है जैसे ही उसका काम हो जाता है. वह बॉलीवुड की महिला प्रधान चीजें करती हैं जैसे कि एक ऐसी नौकरी जिसे उन्हें करते हुए नहीं देखा जा सकता है, जैसी की ग्रुप योग, ग्रुप ड्राइव-ए-साइकिल-विद-फ्लावर्स-इन-द-बास्केट-इंग.

शहजादा के एक सीन में कार्तिक आर्यन और कृति सनोन.

(फोटो साभार: यूट्यूब)

प्लॉट में टॉम एंड जेरी वाले जेरी की चीज से ज्यादा होल हैं.

अगर किसी को उम्मीद की किरण की तरफ देखना है, तो फिल्म में वह सब कुछ है जो एक मनोरंजन फिल्म में होता है- अगर आप लॉजिक को घर पर छोड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लेकिन यह वास्तव में कितना मायने रखता है? व्यक्तिगत रूप से? बहुत ज्यादा नहीं.

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