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नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्ममेकर हंसल मेहता एक और रियल स्टोरी दर्शकों के सामने ला रहे हैं. उनकी वेब सीरीज 'स्कैम 1992' भारत के उस बड़े घोटाले पर आधारित है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. करीब 5 हजार करोड़ का ये घोटाला किया था स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता ने. हर्षद मेहता ने 1990 में कई घोटालों को अंजाम दिया.
1954 में गुजराती परिवार में जन्में हर्षद मेहता ने अपना ज्यादातर समय छत्तीसगढ़ के रायपुर में बिताया. रायपुर से स्कूल की पढ़ाई करने के बाद वो वापस मुंबई लौट आया और लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की. पढ़ाई के बाद वो हॉजरी बेचने से लेकर डायमंड चुनने का काम करने लगा.
स्टॉक मार्केट में मेहता की एंट्री तब हुई जब उसने द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी में नौकरी शुरू की. यहीं से उसकी स्टॉक मार्केट में दिलचस्पी बढ़ी और नौकरी छोड़कर उसने 1981 में ब्रोकरेज फर्म ज्वाइन कर ली. 1990 तक, हर्षद मेहता इंडियन स्टॉक मार्केट का बड़ा नाम बन चुका था.
हर्षद मेहता को स्टॉक मार्केट की अच्छी समझ थी और यही उसका गुमान बन गया. मेहता ने बैंकों से पैसा उठाकर स्टॉक मार्केट में लगाया. मेहता की कमाई बढ़ती जा रही थी. उसने मुंबई के वर्ली में 12 हजार स्कॉयर फीट का सी-फेसिंग पेंटहाउस खरीदा था. उसके पास लग्जरी गाड़ियों का पूरा काफिला था.
23 अप्रैल 1992 में जर्नलिस्ट सुचेता दलाल ने सबसे पहले इस स्कैम का खुलासा किया. द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे एक स्टॉक ब्रोकर ने बैंकिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर पैसे निकाले.
नवंबर 1992 में सीबीआई ने हर्षद मेहता को गिरफ्तार किया. इस घोटाले में उसका साथ देने वाले उसके भाई अश्विन और सुधीर को भी गिरफ्तार किया गया. मेहता पर 72 धाराएं लगी थीं. बैंक और दूसरे संगठनों के 600 से ज्यादा सिविल एक्शन सूट उसके खिलाफ दर्ज हुए.
तीन महीने बाद मेहता और उसके भाई जमानत पर रिहा हो गए, जिसके बाद उसने खुलासा किया कि उसने प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ की रिश्वत दी थी. हर्षद मेहता ने इस बारे में एक कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया था और इसमें उनका साथ देने बैठे थे राम जेठमलानी. राव ने इन आरोपों से इनकार किया. CBI जांच में भी इस आरोप को लेकर कोई सबूत नहीं मिला.
जमानत पर रिहा हुए मेहता ने फिर स्टॉक मार्केट में अपना धंधा शुरू किया. अक्टूबर 1997 में स्पेशल कोर्ट ने मेहता के खिलाफ सीबीआई द्वारा लगाए गए 72 आरोपों में से 34 को मंजूरी दी. सितंबर 1999 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेहता और तीन अन्य लोगों को 380.97 मिलियन मारुति उद्योग लिमिटेड फ्रॉड केस में पांच साल की सजा सुनाई. उसे सभी केसों में फिर जमानत मिल गई. 2001 में उसे फिर एक केस में गिरफ्तार किया गया. 31 दिसंबर 2001 को 47 साल की उम्र में तिहाड़ जेल में हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई.
हंसल मेहता की सीरीज 'स्कैम 1992' में लीड रोल में प्रतीक गांधी दिखेंगे. सुचेता दलाल की के रोल में श्रेया धनवंतरी दिखाई देंगी. वहीं, शारिब हाशमी भी लीड रोल में हैं. ये सीरीज जर्नलिस्ट सुचेता दलाल और देबाशीष बसु की किताब 'द स्कैम' पर आधारित है.
सीरीज को डायरेक्ट करने वाले हंसल मेहता इससे पहले 'शाहिद', 'अलीगढ़' और 'ओमेरटा' जैसी असली कहानियों पर फिल्म बना चुके हैं.
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