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अपने मूल अधिकारों की लड़ाई के लिए Poland में महिलाएं एक बार फिर सड़कों पर उतर आई हैं. पोलैंड के विवादित गर्भपात कानून (Abortion Law in Poland) का फिर पुरजोर विरोध किया जा रहा है. पिछले साल कानून को मंजूरी मिलने के बाद भी हजारों की संख्या में महिलाओं ने सड़कों पर इस कानून का विरोध किया था. और अब, एक प्रेग्नेंट महिला की मौत के बाद, महिलाएं फिर अपने हक के लिए सरकार से टक्कर ले रही हैं.
पोलैंड में फिर क्यों शुरू हुए प्रदर्शन? ये विवादित गर्भपात कानून क्या है? महिलाएं इसका विरोध क्यों कर रही हैं? जानिए सब कुछ.
दक्षिणी पोलैंड के Pszczyna में प्रेगनेंसी के दौरान एक 30 साल की महिला की मौत होने के बाद, गर्भपात कानून के खिलाफ विरोध में फिर तेजी आ गई है. 30 साल की Izabela 22 हफ्ते प्रेगनेंट थीं, जब सितंबर में सेप्टिक शॉक से उनकी मौत हो गई. एक्टिविस्ट्स का कहना है कि Izabela की मौत इस कानून के कारण हुई, क्योंकि डॉक्टर्स ने पहले उनके अजन्मे बच्चे की गर्भ में मौत होने का इंतजार किया. महिलाओं का ये भी कहना है कि इलाज में देरी के पीछे एक कारण डॉक्टरों में गर्भपात कानून तोड़ने का डर भी था.
रॉयटर्स ने एक प्राइवेट ब्रॉडकास्टर, TVN24 के हवाले से बताया, Izabela ने अस्पताल में अपनी मां को लिखे एक टेक्स्ट मैसेज में कहा था, "बच्चे का वजन 485 ग्राम है. अभी, गर्भपात कानून के कारण, मुझे लेटे रहना पड़ेगा. वो और कुछ नहीं कर सकते. वो तब तक इंतजार करेंगे जब तक कि ये मर न जाए या कुछ और न हो, और अगर नहीं, तो मैं सेप्सिस की उम्मीद कर सकती हूं."
जब एक स्कैन से पता चला कि फीटस (भ्रूण) मर चुका है, तो अस्पताल के डॉक्टरों ने सिजेरियन करने का फैसला किया. परिवार के वकील, Jolanta Budzowska ने कहा कि Izabela का दिल ऑपरेशन थिएटर के रास्ते में ही रुक गया और उन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयासों के बावजूद उनकी मौत हो गई.
Pszczyna काउंटी अस्पताल ने मामले पर दुख जताते हुए कहा, "इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि सभी मेडिकल फैसले, पोलैंड में लागू कानूनी प्रावधानों और मानकों को ध्यान में रखते हुए किए गए थे." Izabela की मौत के समय ड्यूटी पर मौजूद दो डॉक्टरों को भी अस्पताल ने निकाल दिया है.
Izabela की मौत 22 सितंबर को हुई थी, लेकिन परिवार ने करीब एक हफ्ते पहले इसे सार्वजनिक किया. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले के चर्चा में आने के बाद से पोलैंड में सोशल मीडिया पर #anijednejwiecej हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, जिसका मतलब है- 'एक और नहीं.' इस हैशटैग के जरिये महिलाएं, Izabela के साथ एकजुटता दिखा रही हैं और कानून में बदलाव की मांग कर रही है.
Izabela की मौत और इसके बाद हुए व्यापक प्रदर्शन के बाद, पोलैंड की सरकार ने साफ किया है कि जब मां की जान जोखिम में होती है, तो कानूनी तौर पर प्रेग्नेंसी को खत्म किया जा सकता है. पोलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 7 नवंबर को बयान जारी कर साफ किया कि मां की जान को खतरा होने पर कानून इसकी इजाजत देता है. इसके मुताबिक, अगर मां की जान या स्वास्थ्य को खतरा है, तो डॉक्टरों को गर्भपात के बारे में "स्पष्ट फैसला लेने से नहीं डरना चाहिए."
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पोलैंड के प्रधानमंत्री Mateusz Morawiecki ने इस पूरे मामले पर कहा, "जब मां के जीवन और स्वास्थ्य की बात आती है... अगर ये खतरे में है, तो प्रेग्नेंसी को खत्म करना संभव है और फैसले से कुछ भी नहीं बदलता है."
हालांकि, कानून में गर्भपात को लेकर इस छूट पर एक्टिविस्ट्स ने चिंता जाहिर की है, क्योंकि इसके बावजूद डॉक्टरों में गर्भपात करने को लेकर डर देखा जा रहा है.
पोलैंड के कॉन्स्टीट्यूशनल ट्रिब्यूनल ने अक्टूबर 2020 में फीटल डिफेक्ट वाली प्रेगनेंसी को खत्म करने को असंवैधानिक करार कर दिया था, जो इस साल जनवरी में लागू हुआ. पोलैंड में अभी रूढ़िवादी सत्ताधारी पार्टी, लॉ एंड जस्टिस (PiS) की सरकार है.
पोलिश स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पोलैंड में हर साल किए गए 1,100 कानूनी गर्भपात में से 98 प्रतिशत फीटल डिफेक्ट, यानी कि भ्रूण में खामी के मामले हैं.
अब पोलैंड में गर्भपात केवल दो ही परिस्थितियों में करवाया जा सकता है:
मां की जान या स्वास्थ्य को बचाने के लिए
रेप या इंसेस्ट (incest) के मामले में
एक्टिविस्ट का कहना है कि भले ही कानूनी रूप से मां की जान या स्वास्थ्य को खतरा होने पर गर्भपात की अनुमति हो, लेकिन डॉक्टर ऐसा करने से बचते हैं. अगर उनके खिलाफ ये साबित हो गया कि मां की जान या स्वास्थ्य को उतना खतरा नहीं था, तो गर्भपात करने के जुर्म में वो तीन साल तक की सजा काट सकते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोलैंड में नागरिक प्रस्ताव के माध्यम से संसद में एक नया विधेयक पेश किया गया है, जो अवैध गर्भपात को हत्या के समान मानता है, और इसलिए इसके तहत उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.
पोलैंड का गर्भपात कानून, यूरोप के सबसे कड़े गर्भपात कानूनों में आता है. NBC की सितंबर 2021 की रिपोर्ट में सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव राइट्स के हवाले से बताया गया है कि ग्रीस से लेकर यूनाइटेड किंगडम में 95 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं की मांग पर गर्भपात उपलब्ध है, जो दुर्लभ मामलों में 24 हफ्ते और उससे ज्यादा समय तक गर्भपात की अनुमति देता है.
हालांकि, यूरोप में कुछ रूढ़िवादी देश ऐसे भी हैं, जो कैथलिक हैं और इसलिए वहां गर्भपात पर पूरी तरह से बैन लगा है. माल्टा द्वीप में गर्भपात पर पूरी तरह से बैन लगा है. माल्टा में गर्भपात करना या मेडिकल गर्भपात कराना अपराध है, जिसके लिए तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है.
आयरलैंड में कुछ सालों पहले ही गर्भपात को कानूनी अनुमति मिली है. आयरलैंड में 2012 में भारतीय मूल की सविता हलप्पनवरी की मौत के बाद देशभर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद महिलाओं गर्भपात कानून में बदलाव के पक्ष में वोट किया था. 2018 में आयरलैंड में मांग पर गर्भपात को वैध बनाया गया.
गर्भपात कानून पर बात टेक्सस का जिक्र किए बिना अधूरी है, जहां दुनिया के सबसे कठोर गर्भपात कानूनों में से एक लागू है. टेक्सास में इसी साल लागू हुआ नया गर्भपात कानून, छह हफ्तों के बाद गर्भपात को लगभग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देता है. भ्रूण में दिल की धड़कन का पता लगने के बाद टेक्सस में गर्भपात नहीं कराया जा सकता. वहीं, ये कानून रेप या इंसेस्ट जैसे मामलों में भी छूट नहीं देता. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये स्वास्थ्य कारणों से गर्भपात की अनुमति देता है, लेकिन तभी गर्भपात की अनुमति दी जाती है जब प्रेग्नेंसी मां के जीवन को खतरे में डाल सकती है.
कैथलिक देश अल साल्वाडोर में भी गर्भपात पर पूरी तरह से बैन है. फिलीपींस, सेनेगल और हॉन्डुरस में भी गर्भपात पर प्रतिबंध है.
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