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क्या अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में है? ट्रंप की कोशिशों को रोक पाएगा सीनेट?

कुछ राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी ने मतदान प्रतिबंध लगाने वाले कानून पारित किए हैं.

मोहम्मद साकिब मज़ीद
कुंजी
Updated:
<div class="paragraphs"><p>US में वोटिंग राइट्स पर चल रही है बहस, क्या अमेरिकी लोकतंत्र पहले जैसा नहीं रहा?&nbsp;</p></div>
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US में वोटिंग राइट्स पर चल रही है बहस, क्या अमेरिकी लोकतंत्र पहले जैसा नहीं रहा? 

(फोटो- अल्टर्ड बाई क्विंट)

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18 जनवरी को अमेरिका (America) के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के डेमोक्रेट्स ने सीनेट में अमेरिकी नागरिकों के मतदान अधिकारों के सुरक्षा का मुद्दा उठाया. अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट्स चुनावी नियमों में बड़े सुधार के लिए कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं. डेमोक्रेट्स का मानना है कि वोटिंग नियमों में बदलाव करने की जरूरत है, जिससे अश्वेत और अन्य बैकवर्ड वोटर्स को मतदान करने में किसी भी तरह की मुश्किलों को सामना न करना पड़े.

डेमोक्रेटिक पार्टी के मेंबर चक शूमर (Chuck Schumer) ने कहा कि जब तक हमें सफलता नहीं मिल जाती, तब तक हम इस मुद्दे पर लड़ने के लिए तैयार हैं. हम अभी वह स्थिति नहीं बना सके हैं, जहां पर हर व्यक्ति आसानी और ईमानदारी से वोट कर सके.

दूसरी ओर रिपब्लिकन पार्टी मताधिकार कानून को पक्षपातपूर्ण बताते हुए इसका विरोध करती है. पिछले साल तीन बार रिपब्लिकन पार्टी ने वोटिंग राइट्स कानून का विरोध किया था.

आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का इतिहास...

सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वोटिंग नियमों को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच बहस और दोनों पक्षों द्वारा लाभ हासिल करने के प्रयास उतने ही पुराने हैं, जितना पुराना अमेरिकी लोकतंत्र हैं. यह शासन के संघर्ष और बार-बार होने वाली बहस का एक हिस्सा है, लेकिन यह देश के नस्लवाद के लंबे इतिहास से भी भरा हुआ है.

अमेरिका में हर दो साल के बाद नवंबर में कांग्रेस के चुनाव और हर चार साल में राष्ट्रपति चुनाव होता है. राष्ट्रपति का अगला चुनाव 2024 में होगा.

सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि क्या ट्रम्प और उनके रिपब्लिकन सहयोगी, 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में धांधली होने का दावा करके, स्थानीय और राज्य विधानसभाओं का उपयोग अपने लाभ में सिस्टम को झुकाने के लिए कर सकते हैं?

वाशिंगटन डीसी में डेमोक्रेटिक वकील क्रिस सॉटर (Chris Sautter) ने कहा कि ट्रम्प के द्वारा बोले गए बड़े झूठ की वजह से राज्यों में रिपब्लिकन समर्थकों को नियमों में बदलाव करके लाभ हासिल करने की कोशिश करने को एक नई ताकत मिली है. उन्होंने कहा कि यह सब रिपब्लिकन के लिए 2024 में जीत हासिल करने के लिए एक नया माहौल बनाने जैसा है.

राज्यों में क्या हो रहा है?

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में ब्रेनन सेंटर फॉर जस्टिस के एक सर्वे के मुताबिक 2021 में 19 अमेरिकी राज्यों में 34 नए कानून पारित किए गए.

डेमोक्रेट्स के लिए सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि कुछ राज्यों में रिपब्लिकन विधायकों ने नए कानून पारित किए हैं जो पक्षपातपूर्ण अधिकारियों को संभावित रूप से चुनाव परिणामों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देंगे.

जॉर्जिया में 2020 के दौरान ट्रम्प की हार होने के बाद रिपब्लिकन-नियंत्रित राज्य विधायिका ने स्थानीय चुनाव बोर्डों की सदस्यता पर कंट्रोल जमाने के लिए एक कानून पारित किया, जो रिपब्लिकन को यह अधिकार देता है कि वह तय कर सके कि कौन वोटों की गिनती करेगा.

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राष्ट्रपति जो बाइडेन ने क्या कहा है?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते जॉर्जिया की यात्रा की और वहां पर बने कानून की कड़ शब्दों में निंदा की. बता दें कि इस कानून की वजह से अश्वेत मतदाताओं को वोटिंग राइट्स सही तरह से नहीं मिल सके हैं.

जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में कहा कि यह और कुछ नहीं केवल एक दंडात्मक कार्रवाई है, जिसे लोगों को वोट करने से रोकने के लिए बनाया गया है.

इसके अलावा पिछले साल जॉर्जिया से चुनाव जीतने वाले डेमोक्रेटिक सीनेटर राफेल वार्नोक (Raphael Warnock) ने राज्य में बनाए गए नए कानून को लोकतंत्र विरोधी बताया. उन्होंने आगे कहा कि लोगों के वोट करने के प्रोसेस को आसान बनाने के बजाय, रिपब्लिकन इसे और ज्यादा कठिन बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं.

कांग्रेस में क्या हो रहा है?

सीनेट के मेजॉरिटी लीडर चक शूमर (Chuck Schumer) ने ऐलान किया है कि सीनेट में 18 जनवरी से डेमोक्रेट-ड्राफ्टेड कानून पेश किया जाएगा. यह कानून जॉर्जिया जैसे दक्षिणी राज्यों में अमेरिका के चुनाव नियमों में बदलाव पर संघीय नियंत्रण लागू करने सहित वोटिंग नियमों में संशोधन लागू करेगा.

सीनेट के 50 डेमोक्रेट्स और 50 रिपब्लिकन के बीच बराबर बंटे होने की वजह से, शूमर के पास सीनेट के तथाकथित फिलिबस्टर नियम के मुताबिक कानून को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी 60 वोट नहीं हैं.

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोग्रेसिव और सिविल राइट्स लीडर्स की गुजारिश पर शूमर एक संसदीय दांव चलने की योजना बना रहे हैं. लेकिन उनके पास अपने डेमोक्रेटिक दल में फुल सपोर्ट नहीं मिल रहा है.

एरिजोना की एक डेमोक्रेट सीनेटर किर्स्टन सिनेमा (Kyrsten Sinema) ने कहा कि भले ही वो बड़े मतदान अधिकार विधेयक का समर्थन करती हों, लेकिन वो फिलिबस्टर नियम में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध करेंगी.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

वाशिंगटन डीसी की अमेरिकन युनिवर्सिटी में प्रोफेसर जेम्स थुबर (James Thuber) ने कहा कि हमारे लोकतंत्र को ग्राउंड लेवल से लेकर स्कूलों, लाइब्रेरी और राष्ट्रीय स्तर तक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. यह एक गंभीर समस्या है, क्योंकि हमने वह सभ्यता खो दी है जो कभी हमारे पास हुआ करती थी.

रिपोर्ट के मुताबिक कई एक्सपर्ट्स का मानना ​​​​है कि ट्रम्प का 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को मानने से इनकार करना और 6 जनवरी को वोट को पलटने की कोशिश बेहद खतरनाक थी. एक्सपर्ट्स इस बात से डरे हुए हैं कि डोनाल्ड ट्रंप 2024 में राज्य विधानसभाओं में नए अभियान के साथ लोकल वोटिंग बोर्ड्स पर कंट्रोल हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं.

वर्जीनिया सेंटर फॉर पॉलिटिक्स युनिवर्सिटी के एक एनालिस्ट काइल कोंडिक (Kyle Kondik) ने कहा कि डेमोक्रेट्स वोटिंग पर जो प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं, वह जरूरी नहीं कि डेमोक्रेटिक वोटर्स की सबसे बड़ी प्राथमिकता हो. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसे अधिक लंबे समय तक पारित होने का मौका है.

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Published: 20 Jan 2022,07:41 AM IST

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