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दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की सरकारी संपत्तियां जब्त करने के लिए कोई कंपनी कोर्ट में घसीट ले, ये किसी लिहाज से अच्छी खबर नहीं है. हमारी इंटरनेशनल साख के लिए तो बिल्कुल नहीं , लेकिन केयर्न एनर्जी ने यही किया है. वो विदेशों में एयर इंडिया की संपत्तियों को हर्जाने के रूप में पाना चाहती है. एयर इंडिया ही क्योंकि बाकी सरकारी संपत्तियों पर भी वो भी दावा ठोक रही है. तो आखिर ये नौबत क्यों आई और भारत सरकार इस स्थिति से निकलने के लिए क्या कर सकती है, आइए जानते हैं.
केयर्न एनर्जी ने 2007 में अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया को सूचीबद्ध कराया था. 2011 में उसने कंपनी की 10% हिस्सेदारी अपने पास रख कर बाकी 90% हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड को बेच दी थी .
नीदरलैंड के हेग स्थित PCA की तीन जजों वाली बेंच ने दिसंबर 2020 में अपना निर्णय दिया. गौर करने की बात है कि इनमें से एक जज को भारत से हैं. अदालत ने 582 पेज के फैसले में माना कि केयर्न एनर्जी की भारतीय इकाई केयर्न्स इंडिया पर बैक डेट से लगा टैक्स ठीक नहीं है. इसके साथ ही ये भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संधि के विपरीत भी था. निर्णय कंपनी के पक्ष में सुनाते हुए ट्रिब्यून ने भारत सरकार को 1.2 बिलीयन डॉलर देने को कहा. हालांकि सरकार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए वहीं के एक लोअर कोर्ट में अपील दायर कर दी.
टैक्स विवाद में भारतीय सरकार के खिलाफ 1.2 बिलीयन डॉलर का केस जीतने के बाद केयर्न एनर्जी ने न्यूयॉर्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वहां एयर इंडिया की संपत्तियों पर दावा कर दिया. कंपनी ने तर्क दिया है कि "कानूनी रूप से भारत सरकार और एयर इंडिया में नाम मात्र का भी फर्क नहीं है. दोनों को अलग मानना भारत सरकार को अनुचित मदद देगा. कुल मिलाकर कंपनी के मुताबिक जो देनदारी भारत सरकार की है, और वो अगर नहीं दे रही तो एयर इंडिया जैसी सरकारी भारतीय कंपनियों की संपत्तियां जब्त कर वसूल ली जाए.
दावे को स्वीकार करते हुए ट्रिब्यून ने माना कि भारत सरकार द्वारा टेलीकॉम कंपनी पर बैक डेट से टैक्स लगाना भारत-नीदरलैंड निवेश संधि के तहत न्याय संगत और निष्पक्ष व्यवहार के सिद्धांत का उल्लंघन है. उस केस में 12 हजार करोड़ का ब्याज और 7900 करोड का जुर्माना शामिल था.
अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केयर्न एनर्जी द्वारा दायर याचिका से संबंधित नोटिस अभी तक सरकार या एयर इंडिया को प्राप्त नहीं हुआ है. इसके अलावा सरकार किसी भी देश में केयर्न एनर्जी के कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर अपना पक्ष रखने के लिए एक काउंसिल टीम बनाने पर विचार कर रही है.
7 मई को, Reuters के एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने भारतीय स्टेट-रन बैंकों को विदेशों के अपने फॉरेन करेंसी अकाउंट से फंड निकालने को कहा था .इसके पीछे केयर्न एनर्जी के द्वारा उन अकाउंटों पर कानूनी कार्रवाई के द्वारा उन्हें जब्त करने का खतरा बताया जा रहा है.
केयर्न एनर्जी द्वारा यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मामला दायर करने के बाद शायद सरकार 'आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट' पर ध्यान दें. हालांकि सरकार का यही आधिकारिक स्टैंड है कि विवाद सुलझाने का यह प्रस्ताव मौजूदा कानूनों के अंदर ही होना चाहिए.
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