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Delhi MCD Election: AAP के दिल्ली फतह के बावजूद मेयर के चुनाव में चुनौतियां हैं

Delhi MCD Mayor's Elections Explained: केजरीवाल की मजबूरी- 3 महीने के लिए महिला मेयर बनाए या करे अप्रैल तक का इंतजार

विष्‍णु गोपीनाथ
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong>Delhi MCD Mayor's Elections Explained&nbsp;</strong></p></div>
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Delhi MCD Mayor's Elections Explained 

(फोटो- पीटीआई)

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दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे आ गए और आम आदमी पार्टी (AAP) के पक्ष में आसान बहुमत के साथ MCD में बीजेपी का 15 साल लंबा कार्यकाल खत्म हो गया. पहली बार सात साल पहले सरकार बनाने वाली और 2020 में फिर से जीतने वाली AAP को अब एक ऐसा फैसले लेना है, जिसका अब तक के अपने कार्यकाल में उसे सामना नहीं करना पड़ा है- एकीकृत दिल्ली नगर निगम और एक अर्थ में पूरी दिल्ली के लिए एक मेयर के चुनाव (Delhi MCD Mayor's Elections Explained) का.

लेकिन मेयर चुनने की प्रक्रिया में उससे जुड़ीं चुनौतियां शामिल हैं. सवाल है कि भारत की राजधानी के लिए मेयर कैसे चुना जाता है? पिछली बार दिल्ली के मेयर कब चुने गए थे? आम आदमी पार्टी के लिए जीत के बावजूद आगे क्या चुनौतियां खड़ी हैं? कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब हम यहां देने की कोशिश करेंगे.

Delhi MCD Mayor's Elections: दिल्ली नगर निगम का क्या इतिहास रहा है?

दिल्ली नगर निगम 1958 में अस्तित्व में आया था और इसे दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 द्वारा बनाया गया था. उस समय, इसमें 80 पार्षद थे और राजधानी दिल्ली में कई अलग-अलग नागरिक निकायों को एक साथ लेकर इसे बनाया गया था. इसमें दिल्ली जिला बोर्ड, दिल्ली सड़क परिवहन प्राधिकरण, दिल्ली राज्य बिजली बोर्ड और दिल्ली संयुक्त जल और सीवेज बोर्ड जैसी बॉडी शामिल थी.

समय के साथ,दिल्ली नगर निगममें पार्षदों की संख्या 272 तक हो गयी. आगे परिसीमन/डीलिमिटेशन के बाद दिल्ली नगर निगम को छोटे भागों में तोड़ा गया. MCD का कार्यकाल चुनाव से पांच साल की अवधि तक रहता है.

यह एकीकृत एमसीडी 2012 तक जारी रहा. लेकिन इस साल बढ़ती आबादी को संभालने के लिए एक प्रयोग के रूप में, दिल्ली नगर निगम को उत्तरी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में विभाजित किया गया. इसके पीछे उद्देश्य यह देखना था कि क्या यह कवायद मैनेजमेंट को आसान बनाती है?

अगले 10 साल तक तीन नगर निगम काम करते रहे. फिर 17 अक्टूबर 2022 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक परिसीमन आदेश जारी किया गया और 272 पार्षदों और वार्डों को घटाकर 250 कर दिया गया, और तीनों नगर निगमों को एक बार फिर से दिल्ली नगर निगम के रूप में पूरी तरह से एकीकृत कर दिया गया.

इन्हीं 250 सीटों पर 4 दिसंबर 2022 को चुनाव लड़ा गया था. इसे अब आम आदमी पार्टी ने निर्णायक रूप से जीत लिया है. AAP की जीत ने MCD में बीजेपी के 15 साल के गढ़ को भेद दिया है. 2007 में हुए चुनावों के बाद से बीजेपी तीन बार MCD में सत्ता में रही थी.

Delhi MCD Mayor's Elections: दिल्ली के मेयर का चुनाव कैसे होता है?

दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार, MCD में हर पांच साल में चुनाव कराना होता है, यह तय करने के लिए कि कौन सी पार्टी MCD में सत्ता में रहेगी. इस अधिनियम की धारा 35 के तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में निगम को अपनी पहली बैठक में मेयर का चुनाव एक साल के लिए करना होता है.

मेयर का कार्यकाल एक वर्ष की अवधि के लिए होता है, और कानून के अनुसार यह अनिवार्य है कि किसी पार्टी के कार्यकाल के पहले साल, उसे मेयर पद के लिए पार्षदों में से एक महिला का चुनाव करना होगा जबकि तीसरे साल एक अनुसूचित जाति के सदस्य का चुनाव करना होगा.

आखिरी बार 2011 में जब एकीकृत MCD थी तो मेयर बीजेपी की रजनी अब्बी थी.

इस बार मेयर के लिए एक चुनाव केवल तभी किया जाएगा जब बीजेपी और कांग्रेस AAP द्वारा चुने गए उम्मीदवार का विरोध करेंगी और अपने खुद के उम्मीदवारों को मैदान में उतरेंगी. यदि सिर्फ बहुमत वाली पार्टी- मतलब इस बार AAP अपना उम्मीदवार खड़ा करती है तो उसे ही मेयर नियुक्त किया जाएगा. अगर चुनाव होता है तो सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को मेयर चुना जाएगा.

यदि मेयर के इस चुनाव में टाई हो जाता है (दोनों को बराबर वोट मिलते हैं), तो चुनाव की देखरेख के लिए नियुक्त विशेष आयुक्त टाई को तोड़ने के लिए विशेष ड्रा करेगा. ड्रॉ में जिसका नाम आएगा उसे टाई-ब्रेकिंग वोट मिलेगा और उसे जीता हुआ माना जायेगा.

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Delhi MCD Mayor's Elections: दिल्ली के मेयर के कर्तव्य और शक्तियां क्या हैं?

  • दिल्ली नगर निगम अधिनियम के चैप्टर 5 में कहा गया है कि निगम हर महीने कम से कम एक बार बैठक करेगा.

  • हालांकि मेयर के पास कम से कम पार्षदों की कुल संख्या के एक-चौथाई के लिखित अनुरोध पर, निगम की एक विशेष बैठक बुलाने की शक्ति है.

  • इसके अलावा, बैठकों के दौरान कोई भी काम तभी हो सकता है जब कम से कम कुल पार्षदों के पांचवें हिस्से से अधिक पार्षद मौजूद हो. यदि यह कोरम पूरा नहीं होता, तो यह मेयर की ड्यूटी है कि वह कोरम पूरा होने तक बैठक को स्थगित करे.

  • मेयर दिल्ली नगर निगम की सभी बैठकों में पीठासीन अधिकारी भी होता है. मेयर की अनुपस्थिति में, डिप्टी मेयर इस जिम्मेदारी को संभालता है.

  • किसी मुद्दे पर वोट बराबर रहने की स्थिति में मेयर के पास दूसरा वोट या निर्णायक वोट भी होता है.

  • मेयर के पास किसी भी ऐसे सवाल को अस्वीकार करने की शक्ति है, जो उनकी राय में, बैठकों के दौरान सवाल पूछने के लिए अधिनियम में दिए प्रावधानों का उल्लंघन है.

  • निगम की बैठकों के दौरान, मेयर उन पार्षदों को बैठक से हटने के लिए कह सकते हैं जिनका आचरण "घोर अव्यवस्थित" है और उन्हें 15 दिनों के लिए बैठकों में भाग लेने से सस्पेंड भी कर सकते हैं. मेयर किसी भी समय इस निलंबन को रद्द भी कर सकते हैं.

  • मेयर के पास यह अधिकार भी है कि वह गंभीर हंगामे की स्थिति में बैठकों को अगली तारीख तक के लिए स्थगित कर सकता है.

  • विशेष आयुक्त से पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब आयुक्त द्वारा दिया जाना चाहिए, जब तक कि उन्हें मेयर द्वारा छूट नहीं दी जाती.

  • सभी पार्षदों को पदभार ग्रहण करने के 30 दिनों के भीतर मेयर के सामने अपनी संपत्ति और परिवार की संपत्ति की घोषणा करनी होती है. ऐसा न करने पर उन्हें पार्षद के पद से अयोग्य ठहराया जा सकता है.

Delhi MCD Mayor's Elections: आप के मेयर के चुनाव में क्या चुनौतियां हैं?

आप को मेयर के चुनाव में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे पहले, मेयर आम तौर पर वित्तीय वर्ष में विजेता पार्टी की पहली बैठक, जो अप्रैल में होती है, उसमें चुने जाते हैं. लेकिन इस साल जो MCD के चुनाव 9 मार्च को होने वाले थे, वे उसके एकीकरण पर केंद्र की घोषणा के बाद समय पर नहीं हुए और आगे बढ़ा दिए गए.

चुनाव में देरी का मतलब है कि AAP को यह तय करना है कि पार्टी इस 2022-23 वित्तीय वर्ष के बचे तीन महीनों के लिए मेयर का चुनाव करेगी या नहीं. यदि AAP ऐसा करने का फैसला करती है, तो उन्हें केंद्र सरकार से अप्रैल 2023 की जगह दिसंबर 2022 में पार्टी की पहली बैठक, और मेयर-डिप्टी मेयर की नियुक्ति, शपथ ग्रहण समारोह के कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध करना होगा.

आप के सामने यह भी चुनौती है कि मेयर के चुनाव में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है और अगर आप का पार्षद बीजेपी उम्मीदवार को वोट दे भी दे तो उसे पद से नहीं हटाया जाता. नतीजे सामने आते ही आप ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि बीजेपी उसके पार्षदों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है.

संशोधित दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 514A के तहत, जब तक एक मेयर का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक केंद्र सरकार द्वारा एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है, जो पार्टी की पहली बैठक और मेयर के चुनाव तक एमसीडी के कार्यों को संचालित कर सके.

बता दें कि केंद्र ने 1992 बैच के IAS अधिकारी अश्विनी कुमार को मई 2022 में एकीकृत MCD में विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था.

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