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Halti Violence Explained: कैरीबियन सागर में स्थित देश हैती की स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई है. हथियारबंद गिरोहों के आतंक से देश संकट में आ गया है. हिंसा के कारण लगभग 3 लाख 62 हजार नागरिक अपने घरों से पलायन कर चुके हैं. रिपोर्टस के अनुसार, अब गिरोह ने शहरों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है.
चलिए आपको बताते हैं कि हैती में क्या हो रहा है? हिंसा की क्या वजह है? वहां के प्रधानमंत्री ने देश क्यों छोड़ा? भारत और अमेरिका जैसे देश क्या कदम उठा रहे?
हैती में पिछले कई दिनों से हिंसा जारी है और स्थिति गृह युद्ध जैसी बन गई है. हथियारबंद गिरोह के आंतक से नागरिक परेशान हैं और अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गये हैं. लोगों के सामने खाने, रहने के साथ रोजगार का भी संकट आ गया है.
हैती की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस में सोमवार (18 मार्च) को तड़के हथियारबंद गिरोह ने आसपास के इलाकों में ताबड़तोड़ हमले किए, जिसमें कम से कम एक दर्जन लोगों की मौत हो गई. हथियारबंदों ने लाबूले और थोमसिन इलाकों में घरों में लूटपाट की, जिसके चलते लोग वहां से भागने को मजबूर हो गये. हालांकि, कुछ लोगों ने रेडियो स्टेशनों के माध्यम से पुलिस से मदद की गुहार लगाई.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हैती में कुपोषण और भुखमरी अपना विकराल रूप ले रही है. यूनीसेफ ने कहा कि हैती में नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल और पोषण नहीं मिल रहा है. ऐसे में भेजे जानी वाली मदद को लूटना और मुश्किलें पैदा कर सकता है. एजेंसी ने ये भी बताया कि 260 मानवीय मदद वाले कंटेनर सशस्त्र ग्रुप के कंट्रोल में हैं.
प्रधानमंत्री एरियल हेनरी के इस्तीफे की मांग को लेकर शुरू हुए इस हिंसक हमले में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पीएम को उखाड़ फेंकने के लिए एक गिरोह के नेता के दबाव के कारण हैती में हिंसा भड़की हैं. 2021 में हैती के अंतिम राष्ट्रपति की हत्या के बाद हेनरी के सत्ता में आने के बाद से, हिंसक गिरोहों ने अपने क्षेत्र का विस्तार किया है.
प्रधानमंत्री ने फरवरी की शुरुआत में पद छोड़ने का वादा किया था, लेकिन सुरक्षा की कमी का हवाला देते हुए उन्होंने इस प्रक्रिया में देरी की.
फरवरी के अंत में, UN ने कहा कि पांच देशों ने औपचारिक रूप से सैनिकों की प्रतिज्ञा की थी और मिशन के लिए फंड में 11 मिलियन डॉलर से भी कम जमा किया गया था.
बीबीसी के अनुसार, हैती में हिंसा की वजह सत्ता है. रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा के पीछे जिमी ‘बारबीक्यू’ शॉलजे, जॉनसन आंद्रे उर्फ इजो और गाय फिलिप का हाथ है. ये लंबे समय से विद्रोह कर रहे हैं.
बीबीसी के अनुसार, जिमी (47) एक पूर्व पुलिस अधिकारी थे. वो उस गिरोहों की अगुवाई करते हैं, जिन्हें हैती में जी9 के नाम से जाना जाता है. जिमी, पूर्व प्रधानमंत्री एरियल हेनरी के सबसे मुखर विरोधियों में से एक रहे हैं. जिमी तभी से एरियल हेनरी का इस्तीफा मांगते रहे थे, जब एरियल ने पीएम पद की शपथ ली थी.
जिमी पर 2018 के नरसंहार की अगुवाई करने का इल्जाम लगता रहा है. उस घटना में सैकड़ों लोगों को मार डाला गया था. यही नहीं, 2021 में वरेऊ के ईंधन टर्मिनल की नाकेबंदी के पीछे भी उनका हाथ था.
बीबीसी के अनुसार, जॉनसन आंद्रे (26) उर्फ इजो हैती में काम करने वाले एक और गैंग लीडर हैं. इजो के बारे में कहा जाता है कि वो बारबीक्यू से भी ज्यादा शक्तिशाली हैं.
रोमां ले कोर ने बीबीसी को बताया कि इजो और बारबीक्यू के बीच सबसे बड़ा अंतर ये है कि इजो गैंग के बीच से ही उभरे हैं और इन दिनों वो विलाज डे डाय-5 सेगोन गैंग की अगुवाई करते हैं. दोनों ही अपराधी नेता चर्चा में रहना पसंद करते हैं.
गाय फिलिप (56) एक और पूर्व पुलिस अधिकारी हैं, जो विद्रोही हो गए हैं. फिलिप ने 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति बरट्रैंड एरिस्टाइड के खिलाफ तख्तापलट की अगुवाई में मदद की थी.
2016 में गाय फिलिप हैती में सीनेट का चुनाव जीते थे. लेकिन सीनेटर की शपथ दिलाए जाने के कुछ दिन पहले ही उन्हें ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार करके अमेरिका के हवाले कर दिया गया था.
अमरीका में अपनी सजा पूरी करने के बाद पिछले साल नवंबर में गाय फिलिप को दोबारा हैती भेज दिया गया था.
हैती में जारी हिंसा के बीच प्रधानमंत्री एरियल हेनरी इस्तीफा देकर देश छोड़कर भाग गये हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
हैती में जारी हिंसा के बीच कई दूतावासों ने अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया है. भारत के विदेश मंत्रालय ने पिछले शुक्रवार (15 मार्च) को कहा था कि वह हैती में से अपने 90 नागरिकों को निकालने पर विचार कर रहा है.
जानकारी के अनुसार, हैती में भारत का दूतावास नहीं है और देश की स्थिति पर डोमिनिकन गणराज्य की राजधानी सैंटो डोमिंगो स्थित भारतीय मिशन के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है.
वहीं, हैती में बिगड़ती स्थिति के मद्देनज अमेरिकी दूतावास ने जल्द से जल्द अपने नागरिकों को देश छोड़ने की सलाह दी थी. इसी कड़ी में रविवार (17 मार्च) को दूतावास ने नागरिकों को वापिस लाने के लिए सरकारी चार्टर विमान भेजा था, जिससे 30 से अधिक लोग वापस देश लौटे हैं.
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