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Israel के आदेश के बाद गाजावासियों का पलायन, इसे 'दूसरा नकबा' क्यों कहा जा रहा?

Israel-Hamas War: गाजा शहर में संभावित जमीनी हमले से पहले फिलिस्तीनी दक्षिणी गाजा की ओर भाग रहे हैं.

गरिमा साधवानी
कुंजी
Published:
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Israel के आदेश के बाद गाजावासियों का पलायन, इसे 'दूसरा नकबा' क्यों कहा जा रहा?

(फोटो: X/@JehadAbusalim

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Israel-Hamas War: इजराइल रक्षा बलों (IDF) ने शुक्रवार, 13 अक्टूबर को गाजा पट्टी की लगभग आधी आबादी - दस लाख से अधिक लोगों - को उत्तरी गाजा खाली करने के लिए कहा है. आदेश में कहा गया है कि गाजावासी "अपनी सुरक्षा और सलामती के लिए" 24 घंटों के भीतर दक्षिण की ओर चले जाएं.

सेना ने कहा, "आप गाजा सिटी में तभी लौट पाएंगे जब इसकी अनुमति देने वाली कोई और घोषणा की जाएगी." इसके साथ ही "इजरायली सीमा से लगे सुरक्षा बाड़ के क्षेत्र में न जाने" के लिए भी कहा गया है.

आदेश के मद्देनजर, कथित तौर पर हजारों लोग शरण लेने के लिए दक्षिण की ओर जा रहे हैं. वहीं इजरायल और आतंकवादी समूह हमास के बीच युद्ध आठवें दिन में प्रवेश कर गया है.

इजरायली सेना के आदेश के बाद उत्तरी गाजा के लोग जरूरी सामानों के साथ दक्षिण की ओर पलायन कर रहे हैं. 

(फोटो: PTI)

इजरायल का यह आदेश गाजा पट्टी पर संभावित जमीनी हमले से पहले आया है. इस बीच, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि यह "दूसरा नकबा" है जो दस लाख से अधिक फिलिस्तीनियों को प्रभावित करेगा जो उत्तरी गाजा को अपना घर कहते हैं.

चलिए आपको बताते हैं कि आखिर नकबा क्या है और फिलिस्तीनियों के पलायन को 'दूसरा नकबा' क्यों कहा जा रहा है?

नकबा जिसने फिलिस्तीनियों को शरणार्थी बना दिया

फिलिस्तीनी 1948 में इजरायल राज्य की स्थापना और युद्ध के परिणाम को "अल नकबा" या "तबाही" (Catastrophe) कहते हैं.

द कन्वर्सेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मूल फिलिस्तीनी आबादी - लगभग 7,50,000 लोग, जो फिलिस्तीन की 77.8 प्रतिशत भूमि पर रहते थे - युद्ध के परिणामस्वरूप उन्हें या तो उनके घरों से निकाल दिया गया या उन्हें भागना पड़ा.

फिलिस्तीनी गाजा पट्टी और अन्य अरब देशों में शरणार्थी बन गए.

द कन्वर्सेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात को अब 75 साल हो गए हैं. फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) का अनुमान है कि "6 मिलियन फिलिस्तीनी शरणार्थी आज भी इन क्षेत्रों के शिविरों रह रहे हैं, जो UNRWA की चिकित्सा और शिक्षा सुविधाओं के साथ-साथ मानवीय सहायता पर निर्भर हैं."

युद्ध के बाद इस क्षेत्र में मुश्किल से 1,60,000 फिलिस्तीनी बचे थे, जो मूल आबादी का 10 प्रतिशत से भी कम था.

"जो लोग बचे थे वे तेजी से अल्पसंख्यक हो गए, अपनी मातृभूमि में दूसरे दर्जे के नागरिक बन गए- अपने बाकी साथी नागरिकों से कट गए. एक बार अपनी भूमि से अलग होने के बाद, फिलिस्तीनी प्रभावी रूप से इजरायली अर्थव्यवस्था के लिए एक अकुशल सस्ती श्रम शक्ति बन गए."
द कन्वर्सेशन के लिए मारवान दरवेश
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अभी भी सदमे में लोग

75 साल बाद भी फिलिस्तीन के लोगों अभी भी नकबे के सदम में हैं. पीड़ितों की तीन-चार पीढ़ियों पर भी इसका असर देखने को मिलता है.

"अपने घरों और जमीन से जबरन विस्थापित होकर दूसरे देशों में शरणार्थी बनना और यहां तक ​​कि वहां भी जो कभी उनका अपना देश था- फिलिस्तीनी सामूहिक स्मृति का केंद्र है. 1948 की घटनाओं और उसके बाद के वर्षों ने फिलिस्तीनियों की पहचान, समुदाय और पूरे परिवार को बांट दिया. यहां तक की सामाजिक संरचनाएं और रिश्ते भी टूट गए."
द कन्वर्सेशन के लिए मारवान दरवेश

नकबा के बाद फिलिस्तीनियों के पास कुछ भी नहीं बचा- न जमीन, न घर, न राजनीतिक या बौद्धिक नेतृत्व और न ही समर्थन.

इसके बाद साल 1964 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन का गठन हुआ.

द कन्वर्सेशन के लिए कोवेंट्री यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ट्रस्ट, पीस एंड सोशल रिलेशंस के एसोसिएट प्रोफेसर मारवान दरवेश लिखते हैं, इस दौरान फिलीस्तीनी कहीं खो गए, प्रतिनिधित्वहीन हो गए और दुनिया के लिए लगभग अदृश्य हो गए.

अभी क्या हो रहा है?

देश की सेना के मुताबिक, पिछले सप्ताह युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 1300 से ज्यादा इजरायलियों की मौत हुई है.

दूसरी ओर फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि:

  • गाजा में कम से कम 2,215 लोग मारे गए हैं और 8,714 घायल हुए हैं.

  • वेस्ट बैंक में 54 लोग मारे गए और 1,100 घायल हुए हैं.

जैसे ही इजरायल ने हमास आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई तेज की है. द क्विंट के पास मौजूद एक बयान में कहा गया है,

"IDF गाजा सिटी के सभी नागरिकों से उनकी खुद की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने घरों से दक्षिण की ओर निकलने और गाजा नदी, वादी गाजा के दक्षिण क्षेत्र में जाने का आह्वान करता है, जैसा कि मानचित्र पर दिखाया गया है. हमास आतंकवादी संगठन ने इजरायल के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है और गाजा सिटी एक ऐसा क्षेत्र है जहां सैन्य कार्रवाई हो रही है. यहां से निकलना आपकी खुद की सुरक्षा के लिए है. आप गाजा सिटी तभी लौट पाएंगे जब इसकी अनुमति देने वाली कोई अन्य घोषणा की जाएगी."

इसके साथ ही फिलिस्तीनी "नागरिकों" से "इजरायल की सुरक्षा बाड़ेबंदी वाले क्षेत्र" के पास न जाने का भी आदेश दिया गया है. साथ ही दावा किया गया है कि हमास के आतंकवादी "गाजा सिटी में, सुरंगों के अंदर, घरों के नीचे और निर्दोष नागरिकों से भरी इमारतों के अंदर छिपे हुए हैं."

IDF के निर्देश के जवाब में सीएनएन ने शुक्रवार, 13 अक्टूबर को रिपोर्ट दी कि हमास ने इज़रायल पर "मनोवैज्ञानिक युद्ध" का आरोप लगाते हुए गाजा निवासियों को अपने घर नहीं छोड़ने के लिए कहा है.

"कब्जा की नीति के जरिए गलत प्रोपेगेंडा फैलाने और प्रसारित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य नागरिकों के बीच भ्रम पैदा करना और हमारे आंतरिक मोर्चे की स्थिरता को कमजोर करना है."
हमास

क्विंट ने इस बयान को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया है.

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इजरायल के निर्देश पर चेतावनी जारी की है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि यह निकासी आदेश "विनाशकारी और भयावह नतीजों" के बिना "नामुमकिन" है.

इस चेतावनी के साथ ही यह इजरायल के लिए उत्तरी गाजा में किसी भी नागरिक को मारने का "फ्री पास" हो सकता है, ऐसे जब वह जमीनी हमले की योजना बना रहा है.

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