इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने सभी नागरिकों को गाजा शहर छोड़ने का अल्टीमेटम दिया. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कथित तौर पर पहले से ही भीड़भाड़ वाले गाजा पट्टी की आधी आबादी के पलायन को असंभव करार दे दिया और बताया कि इस पलायन के दौरान दस लाख से अधिक लोग प्रभावित होंगे.
वहीं, अल्टीमेटम के बाद इजरायली सेना गाजा में ग्राउंड ऑपरेशन करने की तैयारी में जुट गई.
इधर, 12 अक्टूबर को एक संवाददाता सम्मेलन किया गया, जिसमें इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी थे. उसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इजरायल के एक्शन का समर्थन किया, लेकिन देश से नागरिकों को नुकसान न पहुंचे, इसके कदम उठाने की अपील की. लेकिन तेल अवीव किसी से सलाह लेने के मूड में नहीं दिख रहा है.
IDF ने स्पष्ट रूप से गाजा पट्टी के उत्तरी आधे हिस्से को परिभाषित किया. गाजा पट्टी में जहां उन शरणार्थियों के वंशज रहते हैं, जो 1948 में इजरायल की स्थापना के समय भाग गए थे या अपने घरों से निष्कासित कर दिए गए थे. आईडीएफ का यह भी कहना है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि हमास नागरिकों को मानव ढ़ाल के रूप में इस्तेमाल नहीं करेगा.
दूसरी ओर, इसका मतलब यह हो सकता है कि इजरायली गाजा शहर को एक फ्री-फायर जोन के रूप में मानेंगे, जहां बचे हुए किसी भी व्यक्ति को मार दिया जाएगा. इन युद्धों में अक्सर कई लोगों की जान चली जाती है. स्कूल-कॉलेज बिल्डिंग को भारी क्षति पहुंचती है. परिणामस्वरूप, यह खूनी खेल होता है.
गाजा में इजरायल के प्लान
अपने ग्राउंड ऑपरेशन के लिए इजरायल ने 3,60,000 रिजर्विस्ट यानी सेना के जवान को शामिल किया है. जिससे उनकी कुल सेना 5,00,000 से अधिक हो गई है.
यहां, वे न केवल आतंकवादी संगठन हमास की लगभग 40,000 की सेना का सामना करेंगे. बल्कि इसके सहयोगी बलों -फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे), लगभग 15,000 और डेमोक्रेटिक फ्रंट से संबंधित अन्य 10,000 आतंकवादियों का भी सामना करेंगे.
इजरायल के पहले के ऑपरेशन थोड़े समय के लिए घने शहरी क्षेत्रों की परिधि को नियंत्रित करने पर केंद्रित थे, लेकिन इस बार एक बड़ा अंतर है -इजरायल अब बड़े पैमाने पर ऑपरेशन बढ़ाने की तैयारी कर रहा है.
जबकि अतीत में, उनका उद्देश्य केवल समय-समय पर सजा देकर हमास को रोकना था. इस बार, इजरायल का कहना है कि उसे उस संगठन को खत्म करने की जरूरत है, जो 1948 के बाद से उसके खिलाफ सबसे भयानक आतंकवादी अटैक के लिए जिम्मेदार है.
इसका मतलब होगा कि इजरायल का अब फोकस हमास और पीआईजे के बचे हुए रॉकेटों और युद्ध सामग्री को नष्ट करना, सभी सुरंगों और भूमिगत बुनियादी ढांचे को नष्ट करना, उनके औद्योगिक बुनियादी ढांचे को खत्म करने का फोकस होगा. इसके साथ ही, वे अधिक से अधिक लड़ाकों को पकड़ेंगे और मारेंगे. हालांकि, ये कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे आसानी से हासिल किया जा सके.
हमास और इजरायल दोनों के पास कौन से हथियार और उपकरण
अपने रॉकेट और ड्रोन के अलावा, हमास के उपकरणों में रूसी कोर्नेट्स और कोंकुर्स शामिल हैं, जो एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हैं. उनके पास कंधे से दागी जाने वाली स्ट्रेला और इग्ला एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें भी हैं. यह मूल रूप से भारी मशीन गन, मोर्टार और इसी तरह की एक पैदल सेना है.
हमास पिछले कुछ समय से इस युद्ध की तैयारी कर रहा है और उसने बारूदी सुरंगों, मजबूत प्वाइंट्स और घातक स्थलों के साथ युद्ध के मैदान की तैयारी की है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि हमास अपने सुरंग नेटवर्क का उपयोग रक्षात्मक और आक्रमण करने यानी दोनों उद्देश्यों के लिए करेगा.
जहां तक इजरायलियों का सवाल है, उनके पास सबसे शक्तिशाली सेना है. उनका ऑपरेशन हाईटेक होगा, जिसमें ड्रोन, लड़ाकू जेट और जासूसी विमान, तोपखाने और कई आधुनिक हथियार हैं, जिसके बल पर इजरायल हमास के गढ़ों तक पहुंचने और नष्ट करने की कोशिश करेगा.
इसके अलावा, उनके पास विशेष हथियारों में D9R है, यह एक इजरायली-संशोधित बुलडोजर है, जो तीन मंजिल ऊंचा है और इमारतों को आसानी से नेस्तनाबूत कर सकता है. उससे लैस बड़े अस्त्र-शस्त्र को तबाह कर सकता है और खदानों से बच सकता है.
गाजा पर इजरायल के सैन्य आक्रमण का इतिहास
जब गाजा पर जमीनी आक्रमण की बात आती है, तो इजरायल इससे पहले वहां कई बार आक्रमण कर चुका है.
इसकी शुरुआत 1967 के छह दिवसीय युद्ध से हुई, जिसमें इजरायल ने गाजा पर कब्जा कर लिया और इसे अपने सैन्य प्रशासन के अधीन कर लिया. तब से, इजराइल को विरोध प्रदर्शनों, रॉकेट हमलों और अब, हाल ही में, हमास के आतंकवादी हमले के माध्यम से फिलिस्तीनी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है.
1987-1992 के बीच हमास का उदय देखा गया और फतह और फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन जैसे वामपंथी धर्मनिरपेक्ष समूहों का पतन. 2000 के दूसरे इंतिफादा* ने 2005 में इजरायलियों को गाजा से हटने के लिए मजबूर कर दिया और हमास वहां प्रमुख ताकत के रूप में उभरा.
*(इंतिफादा-वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजरायली कब्जे के खिलाफ फिलिस्तीनी विद्रोह)
2008-09 के गाजा युद्ध में इजरायल ने ऑपरेशन कास्ट लीड किया, जिसमें हमास के ठिकानों, पुलिस प्रशिक्षण शिविरों, पुलिस मुख्यालयों आदि को निशाना बनाकर गाजा पर बमबारी के साथ शुरू हुआ था. मस्जिदों, अस्पतालों और स्कूलों जैसे नागरिक बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचाया गया और इजरायल ने दावा किया कि इनका उपयोग आतंकवादी बचने के लिए कर रहे थे.
इजरायली जमीनी आक्रमण जनवरी की शुरुआत में शुरू हुआ और तीन सप्ताह में समाप्त हो गया.
इस ऑपरेशन के 20 महीने बाद, तनाव बढ़ता रहा और नवंबर 2012 की शुरुआत में हमास की ओर से रॉकेट दागना शुरू हो गया, जिसके बाद हमास के सैन्य प्रमुख अहमद जाबरी की हत्या के साथ ऑपरेशन पिलर ऑफ डिफेंस की शुरुआत हुई. हालांकि, इजरायल ने अपना शक्ति बढ़ाई लेकिन जमीनी आक्रमण से बचा रहा.
इसके बाद, जुलाई 2014 तक शांति का दौर रहा. जब इजरायल ने ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज शुरू किया. अभियान के तीन चरण थे -एक हवाई अभियान, उसके बाद हमास की व्यापक सीमा पार सुरंगों को खोजने और नष्ट करने के लिए जमीनी घुसपैठ.
यह ऑपरेशन अगस्त के अंत तक चला. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इजरायलियों ने लगभग 66 सैनिकों और 6 नागरिकों को खो दिया, जबकि फिलिस्तीनियों की संख्या 2133 थी, जिनमें से 1489 नागरिक मारे गए.
2018 के बाद से, गाजा-इजरायल सीमा पर फिलिस्तीनी विरोध प्रदर्शन करते आए, जो समय-समय पर हमास और आईडीएफ के बीच झड़पों में बदला. 2021 और 2022 में, नियमित झड़पें होती रही हैं लेकिन उनकी अवधि सीमित रही है और उनमें से अधिकांश के कारण हमास के रॉकेट हमले और इजरायल ने हवाई जवाबी कार्रवाई हुई.
हमास की सुरंगों से कैसे निपटेगा इजरायल?
अब, इजरायली सेना लॉन्च किए जाने वाले ग्राउंड ऑपरेशन की कई विशेषताएं 2014 के ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज से सबक लेगी.
इससे पहले, आईडीएफ ने खुफिया और एयर पॉवर पर फोकस किया था, लेकिन गाजा में सेना और भारी हथियारों से लैस वाहनों को भेजने के लिए सक्रिय सुरक्षात्मक प्रणाली (एपीएस) की जरुरत है, जो उन्हें रॉकेट-चालित ग्रेनेड और एंटी-टैंक मिसाइलों से बचा सकती है.
दूसरी बात, हमास ने इजरायल के हवाई अटैक से बचने के लिए सुरंग का उपयोग किया. जिससे निपटना इजरायल के लिए महत्वपूर्ण है.
हमास के पास गाजा पट्टी के भीतर सुरंगों का एक व्यापक नेटवर्क है, साथ ही कई सुरंगें ऑपरेशन के लिए गाजा से इजरायल तक जाती हैं. कुछ सुरंगे गुप्त सप्लाई के लिए मिस्र तक जाती हैं. इस क्षमता को देखते हुए, इजरायल के पास जमीनी युद्ध करने और धैर्यपूर्वक इस भूमिगत बुनियादी ढांचे का पता लगाने और उसे नष्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
अपनी रक्षा करते हुए इजरायल को इस बात पर ध्यान रखना होगा, कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून की सीमा के भीतर अपने ऑपरेशन करने होंगे. इससे पहले के ऑपरेशन नागरिक हताहतों के कारण इजरायलियों के खिलाफ कई आरोप लगाए गए थे.
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में एक जांच हुई थी, जिसमें आईडीएफ के हथियारों से हमले पर सवाल उठाया गया था, जिसमें नागरिक को निशाना बनाने सहित बड़े क्षेत्र में क्षति पर भी सवाल उठाया गया था.
इजरायल के पास कई ऑप्शन लेकिन एक भी अच्छा नहीं है
जैसा कि देखा जा सकता है, गाजा में इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अब तक उसे नियंत्रित किया जा चुका है.
इसका मुख्य कारण यह है कि वे हमास को रोकना चाहते थे, लेकिन शासन को गिराना नहीं. स्वयं इजरायलियों के पास गाजा को किसी भी रूप में चलाने का साहस नहीं है. अब, वे सभी दांव बंद हो गए हैं और इजरायल को लगता है कि उसके पास हमास को खत्म करने या उसे पूरी तरह से सैन्य रूप से खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
गाजा पर समय-समय पर बमबारी करना और चुनिंदा नेताओं को खत्म करना इस संबंध में एक अच्छा विकल्प था लेकिन अब, इजरायली आबादी कुछ और मांग करेगी.
इजरायलियों के सामने विकल्प बहुत अच्छे नहीं हैं.
हमास को खत्म करने में समय लग सकता है और गाजा पर इजरायली सैन्य कब्जा लंबे समय तक बना रह सकता है. उदाहरण के लिए, इजरायल को अपने उद्देश्य पूरे होने तक अपने सैनिकों को वहां तैनात रखना पड़ सकता है.
वैसे भी, हमास को राजनीतिक और सैन्य रूप से खत्म करना आसान नहीं होगा. यह देखते हुए कि गाजा में उसका एक महत्वपूर्ण आधार है और किसी भी मामले में, नागरिक हताहतों की संख्या और नागरिक बुनियादी ढांचे के बड़े पैमाने पर विनाश की संभावना के बिना यह संभव नहीं होगा.
इजरायल अब जो भी विकल्प चुनता है, उसके परिणाम का असर आने वाले सालों तक देखा जाएगा.
यह मत भूलिए कि 1982 में बेरूत पर कब्जा किया गया, जिसे कभी फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को खत्म करने के लिए सराहा गया था, ने अंततः क्रूर हिजबुल्लाह को जन्म दिया. 9/11 के आतंकवादी हमलों के खिलाफ अमेरिकी अभियानों से भी सबक मिलता है, जिसने इस्लामिक स्टेट को जन्म दिया और अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में वापस लाने में मदद की.
आने वाली लड़ाइयों से परे, सवाल यह है कि इसका अंत कहां होगा?
इजराइल पर भयानक आतंकी हमला हुआ है लेकिन गाजा में इसके एक्शन शायद ही अच्छे हैं. इससे भी अधिक, गाजा, वेस्ट बैंक और अरब वर्ल्ड में 7 अक्टूबर की घटनाओं पर प्रतिक्रिया से इजराइल के प्रति नफरत की गहराई का पता चलता है जिसे केवल सैन्य बल के माध्यम से नहीं निपटा जा सकता है.
(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक ओपनियन है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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