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15 जनवरी को एक नेपाली यात्री विमान पोखरा के एक नए हवाईअड्डे पर उतरते समय नदी की खाई में गिर गया. इस हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई. विमान में 72 लोग सवार थे जिसमें से पांच भारतीय थे. पोखरा, नेपाल का एक शहर है जहां सैलानी घूमने जाया करते हैं.
अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि रविवार का हादसा, नेपाल की 30 वर्षों की सबसे खराब विमान दुर्घटना है.
दुर्घटना के बाद नेपाल के उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रबी लमिछाने ने ट्वीट करके कहा कि अब तक नेपाल की सड़क और हवाई परिवहन सुरक्षा की जो स्थिति रही है, उसे ‘गवारा नहीं किया जा सकता.’
लेकिन नेपाल में अक्सर हवाई दुर्घटनाएं क्यों होती हैं? वहां फ्लाइंग इतना जोखिम भरा क्यों है?
नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएएएन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 1955 में पहली दर्ज दुर्घटना के बाद से देश में विमान हादसों में 914 लोग मारे गए हैं.
नेपाल में जिन दुर्घटनाओं में रविवार, 15 जनवरी की दुर्घटना से ज्यादा लोग मारे गए, वे इस प्रकार हैं:
31 जुलाई 1992 को एक थाई एयरवेज एयरबस A310 मध्य नेपाल के घ्यांगफेदी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें सवार 113 लोगों की मौत हो गई थी.
सितंबर 1992 में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस काठमांडू के रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में 167 लोग मारे गए थे.
15 जनवरी को पोखरा में यति एयरलाइंस त्रासदी नेपाली हवाई क्षेत्र में होने वाली अब तक की 104वीं दुर्घटना है. हम यहां कुछ और हादसों का भी जिक्र कर रहे हैं:
मार्च 2018 में यूएस-बांग्ला एयरलाइंस का एक बॉम्बार्डियर क्यू400 ढाका से लौटते समय काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसमें 71 यात्रियों और चालक दल में से 51 की मौत हो गई.
मई 2022 में एक डी हैविलैंड कनाडा डीएचसी-6-300 ट्विन ओटर विमान पोखरा से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसमें 16 नेपाली, चार भारतीय और दो जर्मन मारे गए थे.
ऐसे में सवाल उठता है कि हवाई यात्रा के लिए नेपाल इतना खतरनाक क्यों है?
काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा समुद्र तल से 1,338 मीटर ऊपर एक संकरी घाटी में स्थित है. इसका मतलब है कि विमानों के पास मुड़ने और नेविगेट करने के लिए अपेक्षाकृत कम जगह होती है.
और तो और, अगर त्रिभुवन में उतरना कठिन है, तो नेपाल की दूर-दराज की हवाई पट्टियों की स्थिति की कल्पना की जा सकती है. यह और भी खराब है, क्योंकि वे मुख्य रूप से केवल छोटे टेक-ऑफ और लैंडिंग के काबिल विमान को संभालने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.
नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण की 2019 की एक रिपोर्ट में यह बात मानी गई थी कि नेपाल की "भौगोलिक स्थिति प्रतिकूल है" और पायलट्स को इस चुनौती का सामना करना पड़ता है.
जैसे देश के लुकला क्षेत्र में तेनजिंग-हिलेरी हवाईअड्डे को अक्सर दुनिया का सबसे खतरनाक हवाईअड्डे कहा जाता है जिसका एकमात्र रनवे नीचे घाटी की ओर झुकता है.
तिस पर, खराब मौसम परेशानी बढ़ा देता है. नेपाली टाइम्स के अनुसार, 1952 और 2022 के बीच, अधिकांश हवाई दुर्घटनाओं का कारण, बादलों में छिपे हुए पहाड़ थे. जिन्हें एयर क्रैश इनवेस्टिगेटर्स, कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (सीएफआईटी) कहते हैं. यानी जब विमान नियंत्रण मे होने के बावजूद जमीन, पहाड़, जलाशय या किसी रुकावट से अनजाने में टकरा जाता है.
एक न्यूज वेबसाइट ने विमान दुर्घटनाओं के पिछले 60 वर्षों के डेटा का विश्लेषण किया. इससे पता चला कि नेपाल में 92 प्रतिशत हवाई दुर्घटनाएं सीएफआईटी का नतीजा हैं, जो आमतौर पर खराब मौसम, बादलों और लो विजिबिलिटी के कारण होती हैं.
वह कहते हैं, "उड़ान के दृश्यता संबंधी नियमों में कहा गया है कि पायलट सिर्फ तभी उड़ान भरेंगे, जब आसमान एकदम साफ हो और उन्हें आगे सब कुछ नजर आ रहा हो. लेकिन नेपाल के लो फ्लाइंग एयरक्राफ्ट्स के मामले में यह मुमकिन नहीं कि हमेशा इस नियम को माना जाए."
विमान उद्योग में निवेश की कमी भी जोखिमों में इजाफा करती है. उदाहरण के लिए, पुराने विमानों में आधुनिक रडार नहीं होते हैं, और नेपाल में ज्यादातर विमान पुरानी शैली के हैं.
15 जनवरी की दुर्घटना से पहले, नेपाल में मई 2022 में एक भयानक दुर्घटना हुई थी, जब पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से टेक-ऑफ करने के तुरंत बाद तारा एयर का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. यह हवाई जहाज 40 साल से ज्यादा पुराना था और ऐसी तकनीक से लैस नहीं था जो पायलट को अपने आस-पास के वातारण की महत्वपूर्ण जानकारी दे सके.
नेपाल में उड्डयन क्षेत्र की स्थिति ऐसी है कि 2013 से यूरोपीय संघ ने नेपाल से सभी हवाई सेवाओं को रद्द कर दिया है. चूंकि वहां से हवाई यात्राओं को सुरक्षित नहीं माना जाता.
एक और अनोखी बात यह है कि नेपाल का नागरिक उड्डयन प्राधिकरण दोहरी भूमिका निभा रहा है.
कान (सीएएएन) नेपाल में सर्विस प्रोवाइडर और रेगुलेटर, दोनों है. इससे हितों का टकराव पैदा होता है, खासकर जब सुरक्षा नियमों की बात आती है.
सर्विस प्रोवाइडर के रूप में वह दो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे चलाता है- काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, और भैरहवा में नया खुला गौतम बुद्ध अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा. चूंकि यह दोनों काम करता है, सर्विस प्रोवाइडर और रेगुलेटर दोनों है, तो इससे सख्ती बरतने की उम्मीद की जाती है.
नेपाल के राजनैतिक नेताओं ने भी यह बात कही है.
2009 से, यूरोपीय आयोग और संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) नेपाल को आगाह कर रहा है कि उसे अपने एविएशन रेगुलेटर की शक्तियों और जिम्मेदारियों को अलग-अलग करना चाहिए क्योंकि उसकी दोहरी भूमिका से हितों में टकराव पैदा होता है.
फिर भी हालात जस क तस हैं. हालांकि, सरकार कह रही है कि दोनों संस्थाओं को अलग करने के लिए वह बिल लाना चाहती है और यह उसकी प्राथमिकता है.
उप प्रधानमंत्री और गृह मामलों के मंत्री के सलाहकार डॉ अर्निको पांडे ने द क्विंट को बताया, "राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने नेपाल के लोगों से जो वादे किए हैं, उनमें यह भी शामिल है कि इस संस्था के दो फाड़ किए जाएं. यह हमारी पार्टी की प्राथमिकता है."
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