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Cold And Asthma: सर्दियां, गर्मियों की हीट और ह्यूमिडिटी से बेशक राहत देती हैं, लेकिन ठंडी और ड्राई हवा के कारण सर्दियों का हमारी सांस की नली पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. कुछ लोगों को केवल खराब गले और बहती नाक की समस्या होती है, जबकि अस्थमा (Asthma) से पीड़ित लोगों को अपने लक्षणों को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है.
सर्दियों में अस्थमा के लक्षण बिगड़ क्यों जाते हैं? सर्दियों के मौसम में अस्थमा के किन लक्षणों से सावधान रहना चाहिए? क्या मौसमी फ्लू के कारण अस्थमा पीड़ितों की हालत बिगड़ सकती है और
सर्दियों में अस्थमा का ख्याल कैसे रखा जा सकता है? आइये जानते हैं अमृता हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन के प्रमुख और सीनियर कंसलटेंट, डॉ. अर्जुन खन्ना से.
सर्दियों में अस्थमा के लक्षण क्यों बिगड़ जाते हैं?
डॉ. अर्जुन खन्ना कहते हैं, "सर्दियां मोल्ड, नमी, और धूल के कणों से लेकर सर्दी और फ्लू के वायरस तक अस्थमा के कई ट्रिगर्स लेकर आती हैं. सांस की नली में ड्राईनेस और जलन के साथ ये ट्रिगर्स और ठंडा मौसम, अस्थमा पीड़ितों के लिए बहुत मुश्किलें पैदा कर देते हैं. इस मिश्रण से न केवल अस्थमा के लक्षण बिगड़ सकते हैं, बल्कि इसकी वजह से अस्थमा का दौरा पड़ सकता है और मौसम के कारण होने वाले अस्थमा के नए मामले उत्पन्न हो सकते हैं. ठंडी हवा से सांस की नली में हिस्टामाइन बन सकता है, ये वही कैमिकल है, जो आपका शरीर एलर्जी के दौरे के वक्त उत्पन्न करता है. इस प्रतिक्रिया के कारण अस्थमा के लक्षण बिगड़ सकते हैं".
सर्दियों के मौसम में अस्थमा के किन लक्षणों से सावधान रहना चाहिए?
अस्थमा के कारण सांस की नली में सूजन आ जाती है और यह संकरी हो जाती है, इसलिए जब पहले से कमजोर सांस की नली ठंडी, ड्राई हवा के संपर्क में आती है, तो यह सांस की नली की पेशियों में और ज्यादा ऐंठन उत्पन्न कर सकती है. ठंडी और ड्राई हवा ज्यादातर अस्थमा पीड़ितों के लिए एक आम ट्रिगर है और इसके लक्षण अस्थमा के अन्य ट्रिगर्स की भांति ही होते हैं.
खांसी (सूखी या कफ के साथ)
सांस से घरघराहट की आवाज
छाती में जकड़न
सांस का फूलना
क्या मौसमी फ्लू के कारण अस्थमा पीड़ितों की हालत बिगड़ सकती है?
मौसमी फ्लू सर्दियों का एक आम कारण है और यह अस्थमा के लक्षणों और दौरे के प्रमुख ट्रिगर्स में से एक है. यदि अस्थमा पीड़ित ठंड और फ्लू के वायरस के संपर्क में आता है, जो इस वक्त फैल रहे होते हैं, तो उन्हें संक्रमण और निमोनिया होने का खतरा भी होता है. इसलिए चाहे छोटा हो या बड़ा, किसी भी तरह के संक्रमण के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है.
सर्दियों में अस्थमा का ख्याल कैसे रखा जा सकता है?
जागरुकता बढ़ाना और ट्रिगर्स से बचना लक्षणों की रोकथाम करने का पहला कदम है और सांस की समस्याओं से बचने के लिए जल्द से जल्द मेडिकल परामर्श लिया जाना जरूरी है. इसके अलावा अस्थमा और ट्रिगर्स समय के साथ बदल सकते हैं, इसलिए इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है. ज्यादातर मामलों में बचाव और नियंत्रण की दवाओं का मिश्रण लिया जाता है. बचाव की दवाइयां जरूरत के अनुसार ली जाती हैं और इनका मुख्य उद्देश्य तेजी से राहत प्रदान करना होता है. ये आपको अचानक दौरा पड़ने पर राहत देती हैं. अस्थमा नियंत्रण की दवाइयां रोज ली जाती हैं, जो दौरा पड़ने की आशंका को रोकती हैं. यह अस्थमा पीड़ितों के इलाज के सबसे महत्वपूर्ण विकल्पों में से एक है.
अस्थमा पीड़ितों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
डॉक्टर द्वारा बताए इलाज और दिनचर्या का पालन करना चाहिए
क्विक रिलीफ इन्हेलर हमेशा अपने पास रखना चाहिए
सांस की नली के संक्रमणों से बचने के लिए हर साल फ्लू का टीका और न्यूमोकोकल निमोनिया का टीका नियमित तौर से लगवाना चाहिए
जब तापमान बहुत कम हो जाए यानी देर रात और सुबह-सवेरे घर के अंदर रहें
अपनी नाक और मुंह को मास्क और स्कार्फ से ढंक लें. इससे आप संक्रमण के संपर्क में आने से बचेंगे और ठंडी हवा के सीधे संपर्क से भी
धूल और मोल्ड के संपर्क में आने से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखें और अपने हाथों को साफ रखें
अपने हाथों को अपने चेहरे और नाक से दूर रखें ताकि फ्लू के वायरस और बैक्टीरिया सांस की नली में प्रवेश न कर पाएं
ठंडी हवा के कारण सांस की नली ड्राई हो जाती है, इसलिए गर्म पदार्थों को पीकर नमी बनाए रखें, जिससे म्यूकस बाहर निकलने और सांस की नली का लुब्रिकेशन बनाए रखने में मदद मिले
स्टीम इनहेलेशन से भी मदद मिल सकती है
डेयरी उत्पादों का सेवन न करें क्योंकि इनके सेवन से ज्यादा मात्रा में म्यूकस बनता है
अपने आहार में मैग्नीशियम और विटामिन सी और डी के स्रोत शामिल करें क्योंकि इससे इम्युनिटी को मजबूत बनाने, सांस की नली को आराम देने और शरीर की इन्फ्लेमेटरी प्रतिक्रियाओं को कम करने में मदद मिलती है.
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