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World AIDS Day: AIDS की रोकथाम के लिए शिक्षा, जागरूकता, सेफ प्रैक्टिस को अपनाना जरूरी

AIDS Awareness: इसके बारे में जानकारी और जागरूकता ही एड्स से बचाव का पहला कदम है.

डॉ. पंकज वर्मा
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong>World AIDS Day 2023:&nbsp;</strong>एड्स दुनिया भर में एक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है</p></div>
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World AIDS Day 2023: एड्स दुनिया भर में एक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है

(फोटो:iStock)

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World AIDS Day 2023: एड्स दुनिया भर में एक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है और इस रोग के संक्रमण को रोकने के लिए इसकी रोकथाम और जानकारी बहुत जरूरी है. इसके बारे में जानकारी और जागरूकता ही एड्स से बचाव का पहला कदम है. इसलिए एचआईवी के संक्रमण, जोखिम कारकों और रोकथाम के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है.

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि एड्स से बचाव के लिए लोगों को किन-किन जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए और क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

एड्स से बचाव के लिए किन-किन जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए?

इसके बारे में जानकारी और जागरूकता ही एड्स से बचाव का पहला कदम है. इसलिए एचआईवी के संक्रमण, जोखिम कारकों और रोकथाम के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है. यौन संबंध के सुरक्षित प्रयोग के बारे में जानकारी और शिक्षा को बढ़ावा देने से लोगों में भ्रम दूर होता है और लोग इस रोग के प्रति अधिक जागरूक हो जाते हैं, इसके लिए इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए:

  • सुरक्षित यौन संबंध: यौन संबंध के दौरान कंडोम का सही उपयोग एचआईवी (HIV) के फैलाव को रोकने के सबसे कारगर तरीकों में से एक है. लोगों को सुरक्षित यौन संबंध को अपनाने के फायदों के बारे में अपने साथी के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और जागरूकता के लिए बढ़ावा देना चाहिए.

  • रेगुलर टेस्ट: रोकथाम के लिए किसी भी व्यक्ति की एचआईवी स्थिति को जानना जरुरी है. रेगुलर टेस्ट से रोग को जल्दी पता करने, सही समय पर इलाज को शुरू करने और वायरस को दूसरों तक फैलने के जोखिम को कम करने में सहायता मिलती है. जिन स्थानों पर अधिक जोखिम वाली आबादी है, उन स्थानों पर नियमित रूप से टेस्ट को बढ़ावा देना जरूरी है.

  • सुई एक्सचेंज प्रोग्राम: जो व्यक्ति दवाओं के इंजेक्शन लगाते हैं, उनके लिए सुई एक्सचेंज के माध्यम से इन्फेक्शन से सुरक्षित सीरिंज उपलब्ध कराई जाती है, जिससे सुइयों के माध्यम से एचआईवी के फैलाव का जोखिम कम हो जाता है. ये कार्यक्रम नशा मुक्ति और सहायता के लिए जरूरी चीजें भी प्रदान करता है.

  • प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PrEP): पीआरईपी में हाई रिस्क वाले व्यक्तियों के लिए एचआईवी इन्फेक्शन के जोखिम को कम करने के लिए हर दिन दवा दी जाती है. इसलिए हाई रिस्क वाले लोगों को प्रोत्साहित करें, जैसे कि सीरोडिसॉर्डेंट संबंधों (serodiscordant relationships) वाले व्यक्ति या जिन्हें ज्यादा खतरा होने की आशंका है, वे अपने डॉक्टर्स के साथ पीआरईपी पर जानकारी ले सकते हैं.

  • स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना: हेल्थ को बेहतर बनाने वाली आदतों को बढ़ावा देने से एड्स की रोकथाम में सहायता मिल सकती है. इसमें नशीले पदार्थों के सेवन से बचना, हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखना और समय पर इलाज कराना बेहद जरुरी है.

  • मां से बच्चे में रोग के फैलाव की रोकथाम: एचआईवी से पीड़ित गर्भवती महिलाएं, बच्चे के जन्म के समय या बच्चे को दूध पिलाते समय अपने बच्चे में वायरस इन्फेक्शन को रोकने के लिए एंटीरेट्रोवाइरल दवाएं ले सकती हैं. मां से बच्चे में इन्फेक्शन को रोकने के लिए गर्भावस्था के दौरान मां की अच्छी देखभाल करनी चाहिए और कोई भी समस्या महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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बदनामी से डरिए नहीं बल्कि मुकाबला करिए

बदनामी और भेदभाव एड्स की रोकथाम के प्रयासों में दिक्कत पैदा करते हैं. एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों को समझने से और उनके प्रति सहानुभूति को बढ़ावा देने से एक ऐसा माहौल बनता है, जहां लोग टेस्ट के लिए आगे आते हैं, जिससे रोगियों का सही समय पर पता चल पाता है और ठीक तरह से इलाज पूरा हो पाता है.

पूरी दुनिया को मिलकर करना है प्रयास

एड्स की रोकथाम के लिए पूरी दुनिया को मिलकर प्रयास करना है जिसके लिए सरकारों, हेल्थ केयर संगठनों, गैर-लाभकारी संस्थाओं और लोगों के बीच सहयोग की जरुरत होती है. रोग के निदान के लिए नई खोज, रोकथाम कार्यक्रमों के लिए जरुरी फंड और सबसे अच्छी प्रक्रियाओं को आपस में साझा करना विश्व स्तर पर योगदान देता है.

शिक्षा, जागरूकता, सेफ प्रैक्टिस को अपनाना जरुरी

एड्स की रोकथाम अकेले एक व्यक्ति या किसी एक समूह की जिम्मेदारी नहीं है. यह एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें  शिक्षा, जागरूकता, सुरक्षित अभ्यास को अपनाना और इन्हें बढ़ावा देना जरूरी है. लोगों को जागरूकता के साथ सक्षम बनाकर और एक अच्छे वातावरण को बढ़ावा देकर, हम एक ऐसे भविष्य को बनाने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं, जहां नए एचआईवी से संक्रमित रोगियों की संख्या कम होगी और एचआईवी संक्रमित के साथ रहने वाले लोग हेल्दी लाइफ जी सकते हों.

(ये आर्टिकल गुरुग्राम, नारायणा हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट, डॉ. पंकज वर्मा ने फिट हिंदी के लिये लिखा है.)

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