advertisement
पीटीआई ने बताया कि कोविड-19 की वैक्सीन, कोवैक्सिन को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 6-12 साल की उम्र के बच्चों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है.
DCGI के एसईसी (SEC) ने, इस वैक्सीन के 6-12 साल के बच्चों में प्रयोग के लिए सिफारिश की, इसके कुछ ही घंटों बाद DCGI की स्वीकृति आई.
भारत बायोटेक को 2 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों में कोवैक्सिन की सुरक्षा और प्रभाव का समर्थन करने वाले अतिरिक्त डेटा प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया.
कोवैक्सिन को पहली बार 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए दिसम्बर 2021 में अप्रूव किया गया था. यह जायडस कैडिला (Zydus Cadila) के डीएनए वैक्सीन के बाद, देश की दूसरी वैक्सीन थी जिसे बच्चों पर प्रयोग की अनुमति मिली थी.
जब 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए राष्ट्रीय कोविड वैक्सीन अभियान चलाया गया, तो कोवैक्सिन को इस आयु वर्ग के लिए पेश किया जाने वाला एकमात्र टीका घोषित किया गया था.
बच्चों के लिए कोवैक्सिन के बारे में जानने के लिए यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं:
वैक्सीन फॉर्मूला वही है, जो वयस्कों को दिया जाता है.
बच्चों के लिए, इसे 28 दिनों के अंतराल के साथ 2 खुराक में लेना है.
हालांकि वैक्सीन को पहले 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मंजूरी दी गई थी, और अब 6 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए भी इसे स्वीकृति मिल गई है. राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत इसे अब तक केवल 15 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए शुरू किया गया है.
ईयूए के लिए आवेदन करते हुए, भारत बायोटेक ने अगस्त 2021 में 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों पर अपने कोविड वैक्सीन के चरण 2 और 3 क्लिनिकल ट्रायल डेटा को समीक्षा के लिए दवा के रेग्युलेटरी बॉडी को प्रस्तुत किया था.
यह डेटा अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
फेज 2/3 परीक्षणों का एक प्री-प्रिंट वर्जन, जो 30 दिसंबर को जारी किया गया, टीके को '2-18 वर्ष के वालंटियरों में मजबूत सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता' का प्रदर्शन करता हुआ पाया गया.
फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल के कुछ प्रमुख बिंदु यहां दिए गए हैं:
फेज 2/3 परीक्षण एक ओपन-लेबल, बहु केंद्रीय अध्ययन था.
परीक्षण जून 2021 से सितंबर 2021 के बीच आयोजित किए गए थे.
525 योग्य प्रतिभागियों (2 और 18 वर्ष की आयु के बीच) को नामांकित किया गया था और उनकी उम्र के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया गया था.
जैसा कि बच्चों पर परीक्षण में होता है, इस अध्ययन में कंट्रोल आर्म नहीं थी.
एसईसी की युवा आयु समूहों के लिए टीके की सिफारिश, और बाद में डीसीजीआई से ईयूए इस डेटा के विश्लेषण के बाद आई.
(पीटीआई से इनपुट्स के साथ लिखित.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 26 Apr 2022,06:13 PM IST