advertisement
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के रिसर्चर्स ने एक कोविड-19 वैक्सीन बनाई है, जो हाई टेम्परेचर में भी स्टेबल रह सकती है और कथित तौर पर SARS-CoV-2 के सभी मौजूदा स्ट्रैंस का मुकाबला कर सकती है.
वैक्सीन का अब तक हैम्स्टर और चूहों पर टेस्ट किया जा चुका है और जल्द ही मनुष्यों में इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जाएगा. वैक्सीन बाजार में कब उपलब्ध हो सकती है, इसकी कोई पुष्टि नहीं है.
यहां वैक्सीन के बारे में वह सब कुछ है, जो आपको जानना चाहिए.
वैक्सीन का नाम RS2 है. इसे एक हाइब्रिड सिंथेटिक एंटीजन, SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन के दो प्रमुख भागों - S2 सबयूनिट और रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) का इस्तेमाल करके बनाया गया है.
IISc के अनुसार, ये वैक्सीन मौजूदा चारों COVID वेरिएंट ऑफ कंसर्न, अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा और उनके मौजूदा सब-वेरिएंट के खिलाफ इन्फेक्शन को रोकने में सक्षम है.
डेवलपर्स का दावा है कि इसे भविष्य के किसी भी वेरिएंट के लिए आसानी से मॉडिफाई किया जा सकता है.
इसे कोल्ड स्टोरेज के बिना एक महीने तक 37⁰ सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है
ट्रायल्स से पता चला है कि यह 100⁰ सेल्सियस तापमान तक लिमिटेड एक्सपोजर में काम कर सकता है
यह क्यों मायने रखता है: बाजार में पहले से ही कई कोविड वैक्सीन हैं (भारत में विकसित टीके भी शामिल हैं), जिन्हें आम तौर पर 2o से 8o सेल्सियस के बीच तापमान में स्टोर और ट्रांसपोर्ट किया जाता है नहीं तो वे अन्स्टेबल और पोटेंशियली इनिफेक्टिव (potentially ineffective) हो जाते हैं.
यह भारत जैसे ट्रॉपिकल देशों में उनके डिस्ट्रीब्यूशन के लिए लॉजिस्टिकल समस्या पैदा करता है.
IISc के रिसर्चर्स ने एक बयान में कहा, "RS2 टीके भारत जैसे देशों में खास तौर पर उपयोगी हैं, जहां कोल्ड स्टोरेज और ट्रासपोर्टेशन महंगा और चुनौतीपूर्ण है. बेहतर फॉर्मूलेशन में से एक को तेजी से क्लिनिकल डेवलपमेंट के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है."
इसके अलावा, COVID-19 वायरस लगातार म्यूटेट और इवोल्व हो रहा है, वैक्सीन का हाइब्रिड बनावट इसे SARS-CoV-2 के किसी भी नए वेरिएंट के लिए जल्दी से तैयार होने का मौका देता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined