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Covid-19: दिल्ली में COVID मामले फिर से बढ़ रहे हैं: महामारी आगे क्या मोड़ लेगी?

राष्ट्रीय राजधानी में एक बार फिर से COVID मामलों में वृद्धि देखी जा रही है.

अनुष्का राजेश
फिट
Published:
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दिल्ली में बढ़ते कोविड के मामले 

(फोटो:iStock)

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15 जून को, दिल्ली में 1,118 नए COVID मामले पाए गए, जिससे राष्ट्रीय राजधानी का 7 दिन का औसत 729 हो गया और सकारात्मकता दर 7.01 प्रतिशत हो गई.

यह पिछले 1 महीने में दिल्ली में एक दिन में दर्ज किए गए COVID मामलों की सबसे अधिक संख्या है. दिल्ली में इससे पहले अप्रैल और मई के बीच मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई थी, जब ओमिक्रॉन संस्करण का पता चला था.

तब से, राजधानी के कई हिस्सों में मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के निर्देश हटा दिए गए थे.

हालांकि, अब जैसे मामले फिर से बढ़ने लगें हैं, सवाल यह है कि क्या हम COVID की एक नई वेव देखने जा रहे हैं?

देश में COVID मामलों का वर्तमान ग्राफ महामारी के भविष्य के बारे में क्या कहता है? क्या हम चौथी लहर के लिए तैयार हैं? क्या आपको चिंतित होना चाहिए?

डेटा क्या कहता है: संक्रमण बढ़ रहे हैं

दिल्ली में COVID मामलों में मौजूदा वृद्धि पिछले कुछ हफ्तों में मुंबई और पुणे जैसी है.

मुंबई में, 15 जून को, 2293 COVID मामले दर्ज किए गए, जो महाराष्ट्र के दैनिक मामलों की संख्या (2956) से तीन चौथाई अधिक है.

पूरे देश में भी, 6 जून के बाद से मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें हर सप्ताह 7891 नए मामले दर्ज किए गए हैं. 14 जून को, भारत ने 8822 नए COVID ​​​​मामले दर्ज किए - मार्च के बाद से एक दिन में सबसे अधिक.

मामलों में वृद्धि, ओमिक्रॉन और इसके सब वेरिेएन्टों के कारण हुई है, जिनका पहली बार अप्रैल में पता चला था.

अस्पतालों की स्थिति

फिट से बात करते हुए, दिल्ली भर के विभिन्न अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमण तो बढ़ गया है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या कम है.

"हमारे पास आ रहे ज्यादातर रोगियों का COVID टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है, लेकिन उनमें से अधिकांश असिम्प्टोमैटिक हैं, या उनमें हल्का संक्रमण हैं."

अपने अस्पताल में, डॉ राणावत कहती हैं, उनके पास वर्तमान में आईसीयू में तीन COVID ​पेशंट हैं - सभी बुजुर्ग, और जो पहले से ही इम्यूनो-कॉम्प्रमाइज्ड थे.

ओखला के होली फैमिली हॉस्पिटल में मेडिकल डायरेक्टर और क्रिटिकल केयर मेडिसिन के HOD डॉ सुमित रे अपने अस्पताल में भी इसी तरह की स्थिति बताते हैं.

उनका कहना है कि उन्होंने 'संख्या में थोड़ी वृद्धि' देखी है.

"(हमारे पास) ICU में 3 सकारात्मक और 2 सस्पेक्टेड पेशंट हैं, 2 वेंटिलेटर पर हैं. वे सब या तो पार्शली-वैक्सीनेटेड हैं या इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी पर हैं."
डॉ सुमित रे, HOD, क्रिटिकल केयर मेडिसिन और मेडिकल डायरेक्टर, होली फैमिली हॉस्पिटल, ओखला
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फिट से बात करते हुए, विशेषज्ञों ने दोहराया कि हमें संक्रमण के बजाय बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की दर पर करीब नजर रखने की जरूरत है. वे कहते हैं, संक्रमण, तो आगे भी इसी तरह तेजी से बढ़ते और घटते रहेंगे.

"गंभीर बीमारियां अभी भी कम हैं, क्योंकि भले ही नए वायरस वेरिएंट पहले से टीका लगा चुके या पहले संक्रमित हो चुके लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं, वे ऐसे लोगों में हल्के बीमारी का कारण बनते हैं," डॉ सत्यजीत रथ, इम्यूनोलॉजिस्ट, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, कहते हैं.

इसका मतलब यह भी है कि टीके अभी भी काम कर रहे हैं, और गंभीर बीमारी से बचाव का अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हैं.

"SARS COV2 जैसे संक्रामक वायरस को फैलने से रोकना असंभव है," डॉ विनीता बल, इम्यूनोलॉजिस्ट, और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER पुणे) की रिसर्चर कहती हैं.

"लेकिन एक बार जब वायरस अंदर आ जाता है, तो टी सेल, बी सेल और एंटीबॉडी, जो हमारे शरीर के इम्यूनिटी का हिस्सा हैं, वह सब एक साथ मिलकर वायरस को और फैलने से रोकते हैं ताकि हम बीमार ना पड़ें"
डॉ विनीता बल, इम्यूनोलॉजिस्ट, और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर पुणे) में रिसर्चर

महामारी आगे क्या मोड़ ले सकती है?

फिट से बात करते हुए, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के इम्यूनोलॉजिस्ट, डॉ सत्यजीत रथ ने कहा, "यह स्थिति तब तक ही रहेगी जब तक संयोग से कोई नया वायरस वेरिएंट सामने नहीं आता जिसके कारण गंभीर बीमारी भी होती हो."

"मुझे लगता है कि आउटब्रेक तो आगे भी होते रहेंगे, लेकिन क्या मामलों की संख्या में बड़े पैमाने पर वृद्धि आती है और क्या वे गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं, ऐसे मुद्दे हैं, जो संयोग की बातें हैं, और नए वेरिएंटों के उभरने की संभावना पर निर्भर हैं."
सत्यजीत रथ, इम्यूनोलॉजिस्ट, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी

लेकिन, साथ ही, बड़ी संख्या में हो रहे संक्रमणों को नजरअंदाज भी नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि हर कोई सुरक्षित नहीं है.

“इमयूनो-कॉम्प्रमाइज्ड और बुजुर्ग, जो पहले से ही अधिक जोखिम में हैं, जैसे लोगों में गंभीर बीमारी की संभावना बढ़ जाती है”, माहिम के एसएल रहेजा अस्पताल के सलाहकार और क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ संजीत ससीधरन ने फिट को बताया.

विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि सभी लोग पूरी तरह से वैक्सीनेटेड नहीं हैं, और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं.

तो भले ही ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य अथॉरिटीज और विशेषज्ञों का कहना है कि सावधानी और COVID-उपयुक्त व्यवहार बनाए रखना जरूरी है - जैसे मास्क लगाना, हाथ साफ रखना और सामाजिक दूरी बनाए रखना.

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