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9 जून को महाराष्ट्र ने 2,813 नए कोविड केस दर्ज किए. महाराष्ट्र में कोविड संक्रमण रफ्तार पकड़ रहा है. हालांकि, यह कोविड (COVID) की रोज की गिनती की सीढ़ी में सिर्फ एक और पायदान है, जो पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ती जा रही है.
देश में कोविड के मामलों में अचानक आई तेजी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत में संभावित चौथी लहर आ रही है?
क्या महाराष्ट्र की यात्रा करना सुरक्षित है?
क्या ज्यादा लोगों के बूस्टर डोज लेने से संक्रमण का फैलाव रोकने में मदद मिलेगी?
क्या वैक्सीन अभी भी कामयाब है?
फिट ने इस सवालों को लेकर एक्सपर्ट से बात की.
महाराष्ट्र के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा जारी बयान के मुताबिक प्रदेश में इस समय टेस्ट पॉजिटिविटी दर 9.74 फीसदी है. इसका मतलब यह है कि जिनका कोविड टेस्ट किया जाता है, ऐसे हर 100 लोगों में करीब 10 लोग पॉजिटिव निकलते हैं.
केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस समय राज्य में टेस्ट पॉजिटिविटी दर 10 फीसदी से ज्यादा है और सात दिन का औसत 9.39 फीसदी है.
कर्नाटक में भी मामलों में थोड़ी तेजी देखी जा रही है. इस हफ्ते राज्य में हर दिन 200 से ज्यादा नए मामले सामने आए. शहर में बढ़ते मामलों के नतीजे में बेंगलुरु नगर निगम ने फिर से सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाना जरूरी कर दिया है.
नवी मुंबई के अपोलो हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. भरत अग्रवाल फिट से कहते हैं, “यह उछाल एकदम अचानक नहीं आया है क्योंकि “कोविड असल में खत्म हुआ ही नहीं था.”
और यह सच है. बीते कुछ महीनों में दिल्ली सहित देश के दूसरे हिस्सों में समय-समय पर कोविड मामलों में बढ़ोत्तरी और कमी देखी जा रही है.
इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. सत्यजीत रथ का कहना है, “हमें यह भी याद रखना चाहिए कि चूंकि अब देश भर में टेस्टिंग और रिपोर्टिंग कम व्यवस्थित और काफी अलग-अलग हो रही है, इसलिए ‘मरीजों की गिनती’ और ‘टेस्ट पॉजिटिविटी दर’ को समझ पाना कठिन है.”
एक निश्चित नियम के तौर पर कोविड मामलों को बताई गई संख्या से ज्यादा होना माना जाता है.
IISER-पुणे में इम्यूनोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक डॉ. विनीता बल कहती हैं, इस समय यह कहना मुश्किल है कि कौन सा सब-वेरिएंट असल में मामलों में उछाल की वजह है, लेकिन ये सभी ओमिक्रॉन वेरिएंट हैं, जो बेहद संक्रामक वेरिएंट है.
मुंबई में BA1, BA2, और XE वेरिएंट पाए गए हैं, जबकि पुणे में BA.4 और BA.5 पाए गए हैं.
इसके अलावा एहतियाती उपायों जैसे मास्क में ढिलाई और इम्युनिटी में कमी आई है, और कोई अचंभा नहीं कि संक्रमण बढ़ रहा है.
फिट ने जिन एक्सपर्ट से बात की उनका कहना है कि लोगों को ओमिक्रॉन (Omicron) और इसके सब-वेरिएंट्स से संक्रमित होने से बचाने में कोविड की वैक्सीन बहुत असरदार नहीं रही हैं, और तीसरी डोज भी बहुत खास फर्क नहीं ला सकती है.
डॉ. विनीता बल का कहना है, यहीं पर हमें संक्रमण और बीमारी के बीच फर्क करना होगा.
हमारी सभी मौजूदा वैक्सीन– बूस्टर सहित– संक्रमण को दूर रखने में सौ फीसदी कारगर नहीं हैं, और इसकी वजह यह है कि ये वायरस को शरीर में घुसने से रोकने के लिए प्रवेश स्थान पर इम्युनिटी की मजबूत दीवार नहीं बनाती हैं.
डॉ. बल कहती हैं, “sars COV2 जैसे संक्रामक वायरस के संक्रमण को रोकना नामुमकिन है.”
डॉ. रथ कहते हैं, ‘'कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि संक्रमण का फैलना जारी रहेगा.’'
डॉ. रथ आगे कहते हैं, “मुझे शक है कि हम पर्याप्त रूप से बड़े पैमाने पर ‘बूस्टर’ वैक्सीनेशन कर ज्यादा फर्क ला सकते हैं, यहां तक कि हमारा वैक्सीनेशन अभियान भी ध्यान और गंभीरता में कमी से धीमा पड़ गया है.”
लेकिन अच्छी खबर यह है कि ज्यादातर लोग केवल हल्की बीमारी या एसिम्टोमेटिक संक्रमण के बाद ठीक हो जा रहे हैं, जिसका मतलब है कि वैक्सीन अभी भी काम कर रही है.
एस एल रहेजा हॉस्पिटल, माहिम में कंसल्टेंट और क्रिटिकल केयर के हेड डॉ. संजीत ससीधरन हॉस्पिटलों और जमीनी हालात के बारे में बात करते हुए फिट को बताते हैं, हालांकि मरीज बढ़ रहे हैं मगर हॉस्पिटल में दाखिले के मामले कम है.
बीएमसी द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि इस समय शहर में उपलब्ध 24,601 हॉस्पिटल बेड में से केवल 223 ही भरे हैं, और शहर में उपलब्ध 1531 आईसीयू बेड में से 45 भरे हैं.
इसके अलावा इस समय शहर में कोविड के 4,880 एक्टिव मामलों में से केवल 3 मरीज ही गंभीर हालत में हैं.
जब पहले देश में कोविड के मामले कमी के दौर के बाद बढ़े थे तो एक्सपर्ट ने उस समय एक दौर देखा था जब पहले मामले बढ़ते हैं और फिर गंभीर मामले बढ़ते हैं और मौतें होने लगती हैं.
क्या फिर ऐसा हाल हो सकता है? क्या इसका सबसे बुरा दौर अभी आना बाकी है?
डॉ. ससीधरन की राय है कि ऐसा नहीं है. साथ ही कहते हैं कि वह दौर वेरिएंट की वजह से था.
वह कहते हैं, “वह दौर तब था जब वायरस बहुत आक्रामक था, जैसे डेल्टा के मामले में,” वह इसे और समझाते हुए कहते हैं, “उस वक्त हो यह रहा था कि वायरस खुद इतनी खतरनाक पैथोलॉजी पैदा कर रहा था कि वायरस संक्रमित तो कर रहा था, लेकिन फिर 10 या 12 दिन बाद वह और खतरनाक हो जा रहा था. इसलिए उस समय उस तरह का दौर था.”
डॉ. रथ के अनुसार संक्रमण की छोटी और बड़ी लहरें जारी रहने की संभावना है, और “ऐसा तब तक चलेगा जब तक कोई नया वायरस वेरिएंट नहीं आ जाता है और साथ ही उससे भी गंभीर बीमारी आ सकती है.”
डॉ. बल कहती हैं, “अगर छोटे स्तर का संक्रमण होता है, तो यह एक नई इम्यून प्रतिक्रिया भी पैदा करेगा, और एक और बूस्टर की तरह काम करेगा, जो कि अच्छा है.”
हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि सभी को सिर्फ हल्का संक्रमण होने की संभावना है, और कुछ ऐसे भी हैं, जो दूसरों की तुलना में ज्यादा असुरक्षित रहेंगे.
डॉ. रथ ध्यान दिलाते हैं, इसके अलावा “ऐसा लगता है कि हमने अपनी वयस्क आबादी के लिए बुनियादी दो-डोज अभियान का कवरेज भी पूरा नहीं किया है, और ज्यादातर बच्चे अभी भी वैक्सीन से वंचित हैं.”
इस सब बातों को देखते हुए स्वास्थ्य अधिकारी और एक्सपर्ट लोगों के मास्क लगाने, हाथ धोने और शारीरिक दूरी बनाए रखने के कोविड व्यवहार को जारी रखने पर जोर दे रहे हैं.
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